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E-challan से कोर्ट पर बढ़ा बोझ: 60% से ज्यादा मामले लंबित, वाहन मालिक और कैब कंपनियां परेशान

न्यायालयों में ई-चालान से जुड़े 60% से ज्यादा मामले लंबित हैं, जिससे वाहन मालिकों, कैब कंपनियों और परिवहन क्षेत्र को गंभीर कारोबारी असर झेलना पड़ रहा है।

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सुरजीत दास गुप्ता   
Last Updated- August 18, 2025 | 10:55 PM IST

डिजिटल तकनीक इस्तेमाल में लाए जाने के बाद ई-चालान जारी होने के मामले काफी बढ़ गए हैं। वर्ष 2019 से 2024 के बीच यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले चालकों को 42,545 करोड़ रुपये के ई-चालान जारी किए हैं मगर उनमें 60 प्रतिशत से अधिक मामले न्यायालयों में अटके पड़े हैं। न्यायालय ऐसे मामलों की बढ़ते अंबार से निपटने में मशक्कत कर रहे हैं वहीं इसका गंभीर असर वाहन संचालित करने वाले प्लेटफॉर्म, कैब एग्रीगेटर आदि के कारोबार पर भी हो रहा है।

सरकार को 2019 से 2024 की अवधि में ई-चालान से केवल 17,431 करोड़ रुपये ही हासिल हो पाए हैं। लॉयर्ड के आंकड़ों के अनुसार वर्ष-वार संग्रह में भारी गिरावट आई है। 2019 में यह निर्धारित जुर्माने का 78 प्रतिशत से घट कर 2024 में केवल 27.5 प्रतिशत रह गया। लॉयर्ड परिवहन कंपनियों को दंड की निगरानी और समाधान में मदद करती है।

वर्ष 2025 के पहले छह महीनों में 5.5 करोड़ चाला न जारी किए गए जिनमें 80 प्रतिशत लंबित हैं। मूल्य के लिहाज से 10,298 करोड़ रुपये के चालान जारी किए गए, लेकिन संग्रह केवल 20 प्रतिशत ही रहा है।

पिछले छह वर्षों में चालान चौगुना हो गए हैं जो 2019 में 2.7 करोड़ से बढ़कर 2024 में 8 करोड़ हो गए। इस अवधि में कुल 30 करोड़ चालान जारी हुए। मगर इन मामलों का निपटारा बहुत धीमी गति से हुआ। 2019 में 1.3 करोड़ मामले निपटाए गए जो 2024 में 2.6 करोड़ हो गए। पिछले छह वर्षों में 17.6 करोड़ मामले निपटाए गए जो कुल मामलों का महज 40 प्रतिशत है।

ई-चालान जारी होने की दर बढ़ने के साथ विचाराधीन चालान के आंकड़े भी बढ़ते जा रहे हैं। 2019 में विचाराधीन ऐसे 76 लाख मामले थे  जो 2024 में बढ़कर 5.74 करोड़ हो गए। यानी यह लगभग साढ़े सात गुना की बढ़ोतरी है। निपटाए गए मामलों की दरें 2019 में 63 प्रतिशत से घट कर 2024 में केवल 28 प्रतिशत रह गई।

मामलों के बोझ तले दबे न्यायालयों के लिए तेजी निपटारा करना मुमकिन नहीं हो पा रहा है। एक न्यायालय से दूसरे न्यायालय भेजे जाने वाले सालाना मामले 2019 में 67 लाख से बढ़कर 2024 में 2.79 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गए। मगर लेकिन न्यायालयों में निपटारे मुश्किल से बढ़े जो 17 लाख से बढ़कर केवल 24 लाख तक पहुंच पाए। 2024 में न्यायालय में आए चालान में 80 प्रतिशत सुलझाए नहीं जा सके। निपटान में तेजी लाने के लिए स्थापित वर्चुअल अदालतों का प्रभाव सीमित रहा है।

31 जनवरी तक 21 राज्यों में 28 वर्चुअल न्यायालयों ने 714.99 करोड़ रुपये के जुर्माने संग्रह के साथ 6.66 करोड़ मामले हल हुए हुए। न्यायालय में मामले जमा होने के गंभीर परिणाम सामने आ रहे हैं। बड़े वाहन प्लेटफॉर्म के लिए वाहनों के कम इस्तेमाल की समस्या से जूझ रहे हैं क्योंकि चालक कानूनी प्रक्रियाओं में फंस जाते हैं। लॉयर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और संस्थापक हिमांशु गुप्ता कहते हैं, ‘वाणिज्यिक वाहनों चाहे कार हों या ट्रक अगर उनके खिलाफ चालान के मामले लंबित हैं तो उनके राष्ट्रीय परमिट का नवीकरण नहीं हो सकता।

उदाहरण के लिए एक मझोली आकार के राइड-हेलिंग फ्लीट पार्टनर के पास 100 से भी कम कारों से जुड़े 58 लाख रुपये के लंबित चालान हैं। एक कार एग्रीगेटर के पास 249 ऐसे वाहन हैं जो काली सूची में डाल दिए गए हैं। उनमें 93 प्रतिशत अनसुलझे हैं। इससे वाहनों की उपलब्धता प्रभावित होती है।’

निजी कार मालिकों के लिए मुश्किल आती है जब वे कोई वाहन बेचते हैं। बिना अनापत्ति प्रमाण पत्र के स्वामित्व हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है, जो चालान के सभी मामले सुलझने के बाद ही संभव हो पाता है।

First Published : August 18, 2025 | 10:38 PM IST