सोने (gold) की कीमतों ने घरेलू बाजार में फिर से रफ्तार पकड़ी है। जुलाई के निचले स्तर से इसमें 7 फीसदी से ज्यादा यानी तकरीबन 5 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम तक की मजबूती आ चुकी है। कीमतों में आगे और भी तेजी के आसार हैं।
घरेलू फ्यूचर मार्केट एमसीएक्स (MCX) पर सोने का बेंचमार्क अक्टूबर कॉन्ट्रैक्ट मंगलवार 20 अगस्त को 72,272 के ऊपरी स्तर तक चला गया। 25 जुलाई के निचले स्तर से यह 7 फीसदी यानी 7 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम ज्यादा है। फिलहाल एमसीएक्स पर सोने की कीमतें 72 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के ऊपर है।
इससे पहले केंद्रीय बजट 2024 में इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती किए जाने के बाद सोने की कीमतों में 7 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम तक की गिरावट देखने को मिली थी। बजट के बाद 25 जुलाई को एमसीएक्स (MCX) पर कीमतें गिरकर 67,400 रुपये के निचले स्तर तक चली गई थी। पिछले महीने 23 जुलाई को पेश किए गए आम बजट में सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी को 15 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दिया गया। इसके अलावा ग्लोबल मार्केट में आई नरमी ने भी घरेलू कीमतों पर दबाव बनाया था।
एमसीएक्स (MCX) पर सोने के बेंचमार्क अगस्त कॉन्ट्रैक्ट ने 18 जुलाई 2024 को रिकॉर्ड बनाया था। उस दिन इंट्राडे ट्रेडिंग में बेंचमार्क अगस्त फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट बढ़कर 74,538 रुपये प्रति 10 ग्राम के न्यू ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया था।
ठीक इसी तरह की की चाल सोने की हाजिर कीमतों में भी दर्ज की गई। Indian Bullion and Jewellers Association (IBJA) के मुताबिक सोना 24 कैरेट (999) 18 जुलाई 2024 को शुरुआती कारोबार में 74,065 रुपये प्रति 10 ग्राम की ऊंचाई पर पहुंचने के बाद 26 जुलाई को शुरुआती कारोबार में 68,069 रुपये प्रति 10 ग्राम के निचले स्तर तक चला गया। फिलहाल कीमत 72 हजार रुपये के थोड़ा नीचे है। इससे पहले 23 मई 2024 को सोना 24 कैरेट(999) 74,222 रुपये प्रति 10 ग्राम के ऑल-टाइम हाई पर देखा गया था।
ग्लोबल मार्केट में सोने (gold) की कीमतों में देखी जा रही रिकॉर्ड तेजी से घरेलू कीमतों को सपोर्ट मिल रहा है। साथ ही अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में जारी कमजोरी ने भी सोने की कीमतों को सपोर्ट किया है। ग्लोबल मार्केट में 20 अगस्त को स्पॉट गोल्ड 2,431.60 डॉलर प्रति औंस के ऑल-टाइम हाई पर चला गया। जबकि बेंचमार्क यूएस दिसंबर कॉन्ट्रैक्ट बढकर 2,570.40 डॉलर प्रति औंस के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। ग्लोबल लेवल पर गोल्ड इस साल अब तक 22 फीसदी (तकरीबन 500 डॉलर प्रति औंस) से ज्यादा मजबूत हुआ है।
अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की संभावना के फिर से जोर पकड़ने की वजह से फिलहाल गोल्ड में शानदार तेजी देखने को मिल रही है। अमेरिकी डॉलर (US Dollar) और बॉन्ड यील्ड (US Bond Yield) में कमजोरी भी कीमतों के लिए एक हद तक मददगार रहा है। यूएस डॉलर इंडेक्स मंगलवार को 7 महीने के अपने निचले स्तर पर चला गया। पिछले 1 महीने में इसमें तकरीबन 3 फीसदी की कमजोरी आई है। समान अवधि के दौरान 10 वर्षीय यूएस बॉन्ड यील्ड में भी तकरीबन 50 बेसिस प्वाइंट की कमी आई है।
इससे पहले अप्रैल और मई में भी सोने की कीमतें कई दफे ऊपरी स्तर तक गई थीं। उस दौरान भी जून में ब्याज दरों में कटौती की संभावना बढ़ गई थी। लेकिन इस संभावना के कमजोर पड़ने के साथ ही मई के आखिरी हफ्ते और जून में कीमतों में करेक्शन देखने को मिला। जून के पहले पखवाड़े में ग्लोबल मार्केट में सोना 2,300 डॉलर से भी नीचे चला गया था।
मार्केट में फिलहाल इस बात की संभावना बेहद प्रबल हो गई है कि अमेरिका का केंद्रीय बैंक सितंबर की अपनी बैठक में ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट यानी 0.25 फीसदी की कटौती सकता है। यदि अमेरिका में ब्याज दरों में कमी आती है तो सोने को और सपोर्ट मिलना लाजमी है। सोने पर कोई इंटरेस्ट/ यील्ड नहीं मिलता इसलिए ब्याज दरों के नीचे जाने से निवेश के तौर पर इस एसेट क्लास की पूछ-परख बढ जाती है।
अमेरिका और अन्य विकसित देशों में यदि ब्याज दरें नीचे आती हैं तो शायद गोल्ड में एक स्पष्ट और टिकाऊ तेजी की स्थिति बन सकती है। विकसित देशों के केंद्रीय बैंक यदि इस तरह का कदम उठाते हैं तो पश्चिमी देशों में निवेशकों का रुझान फिर से गोल्ड की तरफ बढ़ सकता है। गोल्ड में पिछले अक्टूबर के बाद से जो शानदार तेजी देखने को मिली है उससे पश्चिमी देशों के रिटेल निवेशक कमोबेश अछूते ही रहे हैं। खासकर ईटीएफ के आंकड़े तो इस बात की तस्दीक करते हैं कि पश्चिमी देशों में रिटेल इन्वेस्टमेंट डिमांड की स्थिति कमजोर बनी हुई है। जानकार मानते हैं कि गोल्ड में आगे जो तेजी होगी उसमें पश्चिमी देशों के निवेशक शायद बड़ी भूमिका निभाएं।
इसके अलावे और भी कई और भी फैक्टर हैं जो गोल्ड को फिलहाल सपोर्ट कर रहे हैं। गोल्ड ईटीएफ (gold ETF) में फिर से बढ़ रहा निवेश उन्हीं महत्वपूर्ण फैक्टर में से एक है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल लेवल पर लगातार तीसरे महीने जुलाई में गोल्ड ईटीएफ में निवेश में बढ़ोतरी (inflow) दर्ज की गई। जुलाई 2024 के दौरान ग्लोबल लेवल पर गोल्ड ईटीएफ में निवेश में 3.7 बिलियन डॉलर (48.5 टन सोने की वैल्यू के बराबर) का इजाफा हुआ। जून 2024 के दौरान ग्लोबल लेवल पर गोल्ड ईटीएफ में निवेश में 1.4 बिलियन डॉलर (17.5 टन सोने की वैल्यू के बराबर) का इजाफा हुआ था। इससे पहले लगातार 12 महीने की गिरावट के बाद मई में गोल्ड ईटीएफ में शुद्ध निवेश 0.5 बिलियन डॉलर (8.2 टन सोने की वैल्यू के बराबर) बढ़ा था।
ईटीएफ डिमांड के मामले में चीन और भारत इस साल अभी तक आगे रहे हैं। होलसेल डिमांड के बरक्स चीन में इन्वेस्टमेंट डिमांड में तेजी लगातार आठवें महीने जुलाई के दौरान बरकरार रही। चीन में जुलाई के दौरान गोल्ड ईटीएफ का कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 108 मिलियन यूएस डॉलर बढ़कर 7.3 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया। टोटल होल्डिंग्स भी इसी अवधि के दौरान 1.3 टन बढ़कर अब तक के सबसे उच्चतम स्तर 94 टन पर पहुंच गया। इक्विटी में गिरावट के साथ ही सोने की कीमतों में रिकॉर्ड तोड़ तेजी के बीच चीन में गोल्ड ईटीएफ लगातार नई ऊंचाई को छू रहा है।
इस साल जुलाई तक चीन में गोल्ड फंड (gold fund) में 2.5 बिलियन डॉलर का निवेश हुआ है। किसी एक कैलेंडर ईयर के पहले 7 महीनों के दौरान के दौरान चीन के गोल्ड ईटीएफ में यह सबसे ज्यादा निवेश है। पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले यह 80 फीसदी ज्यादा है। इसी तरह टोटल होल्डिंग्स में भी इस साल जुलाई तक 32.3 टन का इजाफा हुआ है। पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में यह 52 फीसदी ज्यादा है।
ईटीएफ डिमांड भारत में भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। सोने की कीमतों में तेजी के रुख के बीच घरेलू स्तर पर गोल्ड ईटीएफ (Gold Exchange Traded Fund) में जुलाई 2024 के दौरान निवेश 1,337 करोड़ रुपये के पार चला गया। फरवरी 2020 के बाद यह सबसे ज्यादा है। गोल्ड ईटीएफ में फरवरी 2020 के दौरान 1,483.33 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश दर्ज किया गया था। इस साल गोल्ड ईटीएफ में अभी तक सिर्फ अप्रैल में निकासी दर्ज की गई जबकि बाकी 6 महीनों के दौरान निवेश में इजाफा देखने को मिला है।
एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के आंकड़ों के अनुसार देश के कुल 17 गोल्ड ETF (Gold Exchange Traded Fund) में जुलाई 2024 के दौरान 1,337.35 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश (inflow) हुआ, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 193 फीसदी ज्यादा है। पिछले साल की समान अवधि के दौरान देश के कुल 13 गोल्ड ईटीएफ में 456.15 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश हुआ था।
जून 2024 के दौरान गोल्ड ईटीएफ में 726.16 करोड़ रुपये रुपये का शुद्ध निवेश हुआ था। इस तरह से देखें तो कैलेंडर ईयर 2024 के पहले 7 महीनों (जनवरी- जुलाई) के दौरान गोल्ड ईटीएफ में कुल 4,523.29 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश हुआ। जबकि कैलेंडर ईयर 2023 के पहले 7 महीनों के दौरान 453.55 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश दर्ज किया गया था।
ग्लोबल लेवल पर बढ़ते जियो-पॉलिटिकल टेंशन के बीच निवेश के सुरक्षित विकल्प (safe-haven) के तौर पर भी सोने की मांग बढ़ी है।
हालांकि चीन के केंद्रीय बैंक की तरफ से लगातार तीसरे महीने यानी जुलाई के दौरान सोने की खरीदारी से परहेज करने की वजह से केंद्रीय बैंकों की खरीदारी को लेकर थोड़ी अनिश्चितता बढ़ी है। चीन के गोल्ड रिजर्व की हिस्सेदारी उसके कुल रिजर्व में अभी भी तुलनात्मक रूप से कम है इसलिए कई जानकार मानते हैं कि आने वाले समय में चीन का केंद्रीय बैंक फिर से सोने की खरीदारी शुरू कर सकता है। चीन के कुल फॉरेक्स रिजर्व में फिलहाल गोल्ड रिजर्व की हिस्सेदारी 4.9 फीसदी है। दूसरी तरफ भारत सहित कई देशों के केंद्रीय बैंकों की तरफ से सोने की खरीदारी लगातार जारी है।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के हालिया 2024 Central Bank Gold Reserves (CBGR) survey में भी यह बात सामने निकल कर आई है कि 29 फीसदी केंद्रीय बैंक अगले 12 महीने में अपने गोल्ड रिजर्व में बढ़ोतरी करना चाह रहे हैं। इस सर्वे में गोल्ड की खरीदारी को लेकर केंद्रीय बैंकों ने जितना उत्साह जताया है वह वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के इस तरह के बाकी सभी सर्वे के मुकाबले ज्यादा है। पिछले साल के सर्वे में 24 फीसदी केंद्रीय बैंकों ने अपने गोल्ड रिजर्व में वृद्धि करने की इच्छा जताई थी।
हालांकि कीमतों में रिकॉर्ड तेजी के बीच सोने की फिजिकल डिमांड पर असर पड़ सकता है। आंकड़े भी बताते हैं कि चीन में पिछले 3 महीने में फिजिकल डिमांड पर असर पड़ा है। हालांकि इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती के बाद भारत में फिजिकल डिमांड में तेजी आई है। लेकिन यदि कीमतेंं आगे और बढ़ती है तो फिजिकल डिमांड पर इसका असर पड़ सकता है।