सरकार ने सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) पर ब्याज दर इसी महीने बढ़ाकर 8.2 फीसदी कर दी, जिसके बाद इस पर भी वरिष्ठ नागरिक बचत योजना के बराबर ब्याज मिलने लगा है। छोटी बचत योजनाओं में अब सबसे ज्यादा रिटर्न इन्हीं दोनों पर मिल रहा है।
सुकन्या समृद्धि योजना पर 8.2 फीसदी के रिटर्न पर कर भी नहीं लगता। वरिष्ठ नागरिक बचत योजना पर भी इतना ही रिटर्न मिलता है मगर उस पर कर लगता है। सेबी में पंजीकृत निवेश सलाहकार दीपेश राघव कहते हैं, ‘अगर कोई व्यक्ति 30 फीसदी कर के दायरे में आता है तो किसी योजना में कर चुकाने के बाद 8.2 फीसदी रिटर्न तभी हासिल होगा, जब योजना 12 फीसदी रिटर्न दे रह हो।’
लोक भविष्य निधि (PPF) पर भी कर नहीं लगता मगर उस पर ब्याज केवल 7.1 फीसदी है। सुकन्या समृद्धि में निवेश डूबने का जोखिम भी नहीं है। साथ ही कर बचत का फायदा मिलता है।
राइट होराइजंस के संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी (CEO) अनिल रेगो कहते हैं, ‘धारा 80 सी के तहत इसमें कर योग्य आय 1.5 लाख रुपये तक घट जाती है।’
सुकन्या समृद्धि में तरलता कम होना भी फायदे की बात है। सेबी में पंजीकृत निवेश सलाहकार और फिनस्कॉलर्ज वेल्थ मैनेजर की सह-संस्थापक तथा प्रिंसिपल एडवाइजर रेणु माहेश्वरी समझाती हैं, ‘लॉक-इन से सुनिश्चित होता है कि बेटी की पढ़ाई और शादी के लिए रखा गया धन कहीं और इस्तेमाल न हो जाए।’
हालांकि इस योजना में थोड़ी-बहुत तरलता मौजूद है। बेटी 18 साल की हो जाए या 10वीं पास कर ले तो सुकन्या समृद्धि खाते में पिछले वित्त वर्ष के अंत तक मौजूद रकम का 50 फीसदी तक निकाला जा सकता है। रकम एकमुश्त निकाली जा सकती है या बच्ची की फीस चुकानी हो तो पांच साल तक हर साल किस्त में भी निकाली जा सकती है। बेटी 18 साल की हो जाए तो उसकी शादी के समय खाता बंद भी किया जा सकता है।
सुकन्या समृद्धि में लॉक-इन अवधि ज्यादा है यानी लंबे अरसे के लिए रकम फंसी रहती है। राघव कहते हैं, ‘बेटी की पढ़ाई या शादी के अलावा किसी और मकसद के लिए रकम चाहिए तो 21 साल की अवधि पूरी होने से पहले रकम नहीं निकाली जा सकती।’
कुछ और शर्तें भी हैं। रेगो कहते हैं, ‘ज्यादा से ज्यादा दो बेटियों के लिए ही सुकन्या खाते खोले जा सकते हैं। इस पर ब्याज की दर हर तिमाही घटाई-बढ़ाई जाती है। खाता खुलने के बाद 15 साल तक ही इसमें रकम जमा की जा सकती है।’ माहेश्वरी बताती हैं कि इसमें हर साल 1.5 लाख रुपये तक ही जमा किए जा सकते हैं।
पीपीएफ भी लंबी अवधि की निवेश योजना है मगर सुकन्या समृद्धि से कुछ अलग है। राघव बताते हैं, ‘पंद्रह साल की अवधि पूरी होने के बाद पीपीएफ को पांच-पांच साल के लिए बढ़ाया जा सकता है मगर सुकन्या समृद्धि योजना बढ़ाई नहीं जा सकती। 15 साल पूरे होने के बाद पीपीएफ से रकम निकालना आसान है मगर सुकन्या समृद्धि से अवधि पूरी होने के बाद ही रकम निकाल सकते हैं।’
सुकन्या समृद्धि खाता वही खुलवा सकता है, जिसकी बेटी की उम्र 10 साल से कम है। माहेश्वरी की सलाह है कि पात्र माता-पिता को इसमें खाता जरूर खुलवाना चाहिए। रेगो भी कहते हैं कि बेटी के माता-पिता को अगर रकम फंसने से परहेज नहीं है तो योजना बहुत बढ़िया है।
मगर पढ़ाई और शादी पर साल-दर-साल बढ़ता खर्च देखते हुए सुकन्या समृद्धि पर्याप्त नहीं होगी क्योंकि इसमें सालाना 1.5 लाख रुपये से ऊपर निवेश नहीं कर सकते। नवजात बच्ची की कॉलेज की पढ़ाई और शादी में 17 से 25 साल का अरसा बचा होता है। इसलिए राघव की सलाह है कि इन मकसदों के लिए पोर्टफोलियो में जोखिम लिया जा सकता है। वे इक्विटी म्युचुअल फंडों और पीपीएफ में निवेश करने की राय देते हैं।
माहेश्वरी भी लंबे अरसे बाद आने वाले इन लक्ष्यों के लिए किसी इंडेक्स फंड में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के जरिये निवेश शुरू करने के पक्ष में हैं। मगर वह निवेश और बीमा के मिश्रण वाली योजनाओं से सतर्क रहने की सलाह देती हैं क्योंकि इनमें रिटर्न बहुत कम मिलता है।
घर चलाने वाले व्यक्ति की अचानक मौत हो जाए तो बेटी की पढ़ाई और शादी जैसे लक्ष्य पटरी से उतर जाते हैं। इसके लिए माता-पिता को पर्याप्त टर्म बीमा खरीद लेना चाहिए ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित रहे।