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Stock Market: जोखिम उठाएं, चुनें ऐक्टिव मिडकैप-स्मॉलकैप फंड

पांच साल के लिहाज से 85.7 फीसदी लार्जकैप फंड अपने बेंचमार्क को मात देने में विफल रहे। लेकिन मिड और स्मॉलकैप श्रेणी में संख्या 58.1 फीसदी से कम रही।

Last Updated- April 11, 2024 | 11:40 PM IST
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एसऐंडपी डाओ जोन्स कैप सूचकांक ने हाल ही में दिसंबर में खत्म कैलेंडर वर्ष 2023 के लिए एसऐंडपी सूचकांक बनाम ऐक्टिव फंड (SPIVA) भारत का स्कोरकार्ड जारी किया है। पांच साल के लिहाज से 85.7 फीसदी लार्जकैप फंड अपने बेंचमार्क को मात देने में विफल रहे। लेकिन मिड और स्मॉलकैप श्रेणी में संख्या 58.1 फीसदी से कम रही।

मुख्य बातें

ऐक्टिव फंड अपने बेंचमार्क को मात देने के लिए जूझ रहे हैं, खासकर लंबी अवधि वाले। मिरे ऐसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) के ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) प्रोडक्ट प्रमुख एवं फंड मैनेजर सिद्धार्थ श्रीवास्तव का कहना है, ‘अगर आपको लगता है कि ऐक्टिव फंडों में निवेश कर ही आप अल्फा का आनंद ले सकते हैं तो यह गलत है। पैसिव फंडों को सिर्फ इसलिए नजरअंदाज नहीं करें क्योंकि वे अपने बेंचमार्क के जैसे ही रिटर्न देते हैं।’

लार्जकैप ऐक्टिव फंडों का प्रदर्शन पिछले एक साल के दौरान सुधरा है। समस्थिति एडवाइजर्स के सह-संस्थापक रवि सरावगी कहते हैं, ‘इस अवधि के दौरान सिर्फ 51.6 फीसदी लार्जकैप फंडों ने बेंचमार्क से कमतर प्रदर्शन किया है। यह पिछली एसपीआईवीए रिपोर्टों की तुलना में काफी कम है।’

उनके अनुसार, इसका एक कारण यह भी है कि लार्जकैप फंडों को मिडकैप एवं स्मॉलकैप शेयरों में 20 फीसदी तक निवेश की अनुमति है, जो बहुत अच्छा है। तीन, पांच और 10 वर्ष की अवधि के दौरान लार्जकैप श्रेणी का प्रदर्शन खराब बना हुआ है।

मिड और स्मॉलकैप श्रेणी में पिछले एक साल के दौरान 73.6 फीसदी फंडों ने खराब प्रदर्शन किया है। कुछ जानकारों का यह भी कहना है कि मिड और स्मॉलकैप श्रेणी को एकसाथ जोड़कर इसकी तुलना एसऐंडपी बीएसई 400 मिड-स्मॉलकैप सूचकांक से करने से तस्वीर धुंधली हो गई है।

सरावगी का कहना है, ‘कोई निवेशक मिडकैप और स्मॉलकैप श्रेणी के लिए अलग-अलग आंकड़े देखना पसंद कर सकता है और उनके प्रदर्शन की तुलना क्रमशः बीएसई मिडकैप और एसऐंडपी बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक से होनी चाहिए थी। भले ही हर श्रेणी में फंडों की संख्या कम हो, मगर इससे काफी जानकारी मिलती।’

ऐसी हो कार्रवाई

एसपीआईवीए रिपोर्ट पैसिव बने रहने पर जोर देती है। सेबी के पंजीकृत निवेश सलाहकार और फिडुसिएरीज के संस्थापक अविनाश लूथड़िया कहते हैं, ‘निवेशकों को निफ्टी 50 सूचकांक पर आधारित सिंगल मार्केट कैप भारित पैसिव इंडेक्स फंड से जुड़े रहना चाहिए।’ अधिक अस्थिरता के कारण वह मिडकैप और स्मॉलकैप फंडों में निवेश की सलाह नहीं देते हैं।

बीते साल करीब 50 फीसदी लार्जकैप फंडों ने बेंचमार्क को मात दिया है, फिर भी वित्तीय सलाहकार इस श्रेणी में सक्रिय होने को लेकर आश्वस्त नहीं हैं। सरावगी ने कहा, ‘एक साल के आंकड़ों के आधार पर, बेहतर प्रदर्शन की संभावना 50-50 है। इसके अलावा लंबी अवधि के आंकड़े बताते हैं कि इस श्रेणी में जाने का रास्ता पैसिव ही है।’

इस नजरिये को बदलने के लिए ऐक्टिव लार्जकैप फंडों को लगातार बेहतर प्रदर्शन करना होगा। सरावगी के अनुसार मिडकैप और स्मॉलकैप फंडों का प्रदर्शन क्रमशः मिडकैप इंडेक्स और स्मॉलकैप इंडेक्स की तुलना करने पर बेहतर है। वह कहते हैं, ‘इस श्रेणी में मेरा सुझाव ऐक्टिव फंडों का है।’

अपने निवेश को ऐसे बांटें

श्रीवास्तव के मुताबिक, निवेशकों को ऐक्टिव और पैसिव फंडों को मिलाकर निवेश करना चाहिए। कई सलाहकार कोर (कुल का 70 फीसदी) और सैटेलाइट (30 फीसदी) पोर्टफोलियो की अवधारणा का उपयोग करते हैं। कोर पोर्टफोलियो में कम अस्थिरता वाली सुरक्षित संपत्ति होनी चाहिए। निफ्टी-50 आधारित पैसिव फंड यहां बिल्कुल सही है।

सैटेलाइट पोर्टफोलियो में निवेशक बेहतर प्रदर्शन के लिए कुछ जोखिम ले सकते हैं। वे इनमें मिडकैप, स्मॉलकैप फंड, फैक्टर फंड (अधिक अस्थिरता वाले) आदि शामिल कर सकते हैं।

इंडेक्स फंड अथवा ईटीएफ?

अधिकतर सलाहकार खुदरा निवेशकों के लिए इंडेक्स फंड को तरजीह देते हैं क्योंकि वे सरल होते हैं। लूथड़िया कहते हैं, ‘किसी भी निफ्टी-50 आधारित फंड को चुनें जिसका कुल एक्सपेंस रेश्यो 20 आधार अंक या उससे कम हो।’ श्रीवास्तव के अनुसार, इंडेक्स फंड चुनने के दौरान आपको एक्सपेंस रेश्यो और ट्रैकिंग एरर अथवा ट्रैंकिंग डिफरेंस की तुलना करनी चाहिए। इन सभी मापदंडों में कम से कम रहना बेहतर है।

सरावगी का सुझाव है कि कम से कम पांच साल के ट्रैक रिकॉर्ड वाले इंडेक्स फंड के साथ जाना चाहिए और यह एयूएम के आधार पर शीर्ष पांच में से एक फंड हो। ईटीएफ में निवेशकों को एक्सचेंजों पर इसकी तरलता को देखना चाहिए। लूथड़िया कहते हैं, ‘ईटीएफ में हाल के दिनों में रोजाना कम से कम एक करोड़ का ट्रेडिंग वॉल्यूम बरकरार रहा हो और इसने लाभांश का भुगतान नहीं किया हो।’

First Published - April 11, 2024 | 11:24 PM IST

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