facebookmetapixel
बाय नाउ, पे लेटर: BNPL से करें स्मार्ट शॉपिंग, पर किश्तें रखें अपनी आय का 10-15% तकअभी नहीं थमा टाटा ट्रस्ट में घमासान! मेहली मिस्त्री के कार्यकाल पर तीन ट्रस्टियों की चुप्पी ने बढ़ाया सस्पेंसOpening Bell: सेंसेक्स 200 अंक चढ़ा; Coforge में 6% उछाल, SBI Life 3.5% ऊपरसीमेंट के दाम गिरे, लेकिन मुनाफे का मौका बरकरार! जानिए मोतीलाल के टॉप स्टॉक्स और उनके टारगेटStocks To Watch Today: Lenskart की IPO एंट्री से बाजार में हलचल, आज इन दिग्गज शेयरों पर रहेगी निवेशकों की नजरEditorial: बाजार में एसएमई आईपीओ की लहरराष्ट्र की बात: कहानियां गढ़ने में डीपफेक से पैदा हुई नई चुनौतीजलवायु परिवर्तन नहीं सत्ता परिवर्तन असल मुद्दा!क्विक कॉमर्स में स्टार्टअप की नई रणनीतिपिछड़ा अरट्टई, व्हाट्सऐप फिर नंबर एक; एआई सर्च इंजन परप्लेक्सिटी ने भारतीयों का ध्यान ज्यादा खींचा

Sovereign Gold Bond: 17वें गोल्ड बॉन्ड को मैच्योरिटी से पहले बेचने का मिला मौका, सालाना कमाई 13 फीसदी से ज्यादा

Sovereign Gold Bond: 17वें सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को मैच्योरिटी से पहले बेचकर निवेशकों ने 4 दिसंबर को सालाना 13 फीसदी से ज्यादा कमाए।

Last Updated- December 06, 2023 | 12:30 PM IST
Gold bonds will not come now! Preparation to reduce financial burden अब नहीं आएंगे गोल्ड बॉन्ड! वित्तीय बोझ कम करने की तैयारी

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond) को मैच्योरिटी से पहले बेचने (प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन) का एक और मौका बॉन्ड धारकों को 4 दिसंबर 2023  को मिला। इससे पहले बॉन्ड धारकों को 4 दिसंबर 2022 और 4 जून 2023 को इस  17वें बॉन्ड (2017-18 Series X) को मैच्योरिटी से पहले रिडीम करने का मौका मिला था। तब उन्होंने  इस बॉन्ड के 3,232 यूनिट (1 यूनिट = 1 ग्राम) बेचे थे ।

अब जानते हैं कि आखिर वैसे बॉन्ड धारक जिन्होंने इस बॉन्ड को मैच्योरिटी से पहले 4 दिसंबर को बेचा उन्हें कितनी कमाई हुई । साथ ही यह भी देखते हैं कि ऐसे बॉन्ड धारक उनके मुकाबले फायदे या घाटे में  रहे जिन्होंने पिछले महीने की 30 तारीख को मैच्योरिटी के बाद पहले गोल्ड बॉन्ड को रिडीम किया।

ग्रॉस /कुल कमाई

यह सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (2017-18 Series X) 2,961 रुपये के इश्यू प्राइस पर 4 दिसंबर 2017 को जारी हुआ था। जबकि RBI ने इस बॉन्ड का प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन प्राइस 6,265 रुपये प्रति यूनिट तय किया। इस हिसाब से इस सीरीज को मैच्योरिटी से पहले रिडीम करने पर बॉन्ड धारकों को 111.58 फीसदी का कैपिटल गेन हुआ होगा।

टैक्स चुकाने के बाद कमाई

लेकिन क्योंकि बॉन्ड धारकों ने बॉन्ड इश्यू होने के 36 महीने बाद बेचे हैं इसलिए उन्हें कैपिटल गेन पर इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर 20.8 फीसदी) लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स चुकानी पड़ी होगी।

अब इस बॉन्ड को मैच्योरिटी से पहले रिडीम करने के मामले में बगैर इंडेक्सेशन  के फायदे और इंडेक्सेशन के फायदे के साथ लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स की गणना करते हैं:

बगैर इंडेक्सेशन का फायदा लिए

परचेज प्राइस/ इश्यू प्राइस : 2,961 रुपये

प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन प्राइस:  6,265 रुपये

टैक्सेबल कैपिटल गेन: 6,265-2,961 = 3,304 रुपये

लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स (20.8%): 687.23 रुपये

टैक्स चुकाने के बाद कमाई: 6,265-687.23 = 5,577.77 रुपये

इंडेक्सेशन का फायदा लेने के बाद

परचेज प्राइस/ इश्यू प्राइस: 2,961 रुपये

कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स (CII) (2017-18): 272

CII (2023-24): 348

इन्फ्लेशन को एडजस्ट करने के बाद परचेज प्राइस: 2,961 x (348/272) = 3788.34 रुपये

प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन प्राइस: 6,265 रुपये

टैक्सेबल कैपिटल गेन (after Indexation): 6,265-3,788.34 = 2,476.66 रुपये

लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स (20.8%) : 515.14 रुपये

टैक्स चुकाने के बाद कमाई: 6,265-515.14 = 5,749.86 रुपये

यदि इंडेक्सेशन का फायदा बॉन्ड धारकों को नहीं मिलता तो कमाई 5,749.86 रुपये के बजाय 5,577.77 रुपये हुई होती।

इंटरेस्ट जोड़कर कमाई 

निवेशकों को इस सीरीज के लिए प्रति वर्ष 2.5 फीसदी यानी 37.02 रुपये प्रति छह महीने जबकि 6 साल की होल्डिंग पीरियड के दौरान 444.24 रुपये इंटरेस्ट/कूपन मिला। इस तरह से देखें तो इंटरेस्ट को जोड़ने के बाद इस बॉन्ड ने 13.09% फीसदी का एनुअल रिटर्न (CAGR) दिया। सितंबर 2016 के बाद जारी होने वाले सीरीज के लिए इंटरेस्ट को सालाना 2.75 फीसदी से घटाकर 2.5 फीसदी कर दिया गया है।

 SGB की इस सीरीज पर इंटरेस्ट जोड़कर सालाना कमाई (CAGR) की गणना:

इश्यू प्राइस 1 ग्राम: 2,961 रुपये

रिडेम्प्शन प्राइस (LTCG टैक्स घटाने के बाद): 5,749.86 रुपये

इंटरेस्ट: 444.24 रुपये

ग्रॉस (कुल) रिटर्न (रिडेम्प्शन प्राइस + इंटरेस्ट): 6,194.1

एनुअल रिटर्न (CAGR): 13.09%

ऐसे बॉन्ड धारक  मैच्योरिटी से पहले बेचकर भी सालाना कमाई (एनुअल रिटर्न) के मामले में फायदे में हैं। जबकि पहले सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (2015-I) की मैच्योरिटी के बाद बॉन्ड धारकों को 12.16 फीसदी का सालाना / एनुअल रिटर्न मिला। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की पहली सीरीज (2015 Series I) पिछले महीने  30 तारीख को मैच्योर हुई।

गोल्ड में निवेश का कौन सा ऑप्शन टैक्स बचाने के लिए बेहतर

अब जानते हैं कि प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन को लेकर नियम क्या हैं?

कब कर सकते हैं प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को मैच्योरिटी से पहले रिडीम करने का विकल्प भी निवेशकों के पास होता है। जिसे आप उसके इश्यू होने के 5 साल बाद मैच्योरिटी से पहले रिडीम कर सकते हैं। आरबीआई प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन की तारीख उस दिन तय करती है जिस दिन इस बॉन्ड पर इंटरेस्ट देय होता है। इस बॉन्ड पर इंटरेस्ट प्रत्येक छह महीने यानी साल में दो दफे मिलता है।

Gold prices at lifetime high: टूट गए सारे रिकॉर्ड! सोना 64 हजार के पार; ग्लोबल मार्केट में 2,100 के लेवल को छोड़ा पीछे

वित्त वर्ष 2017-18 की दसवीं  सीरीज (17वें चरण) के लिए निवेशकों को आरबीआई ने 4 दिसंबर को 6,265 रुपये के प्राइस पर मैच्योरिटी से पहले रिडीम करने का तीसरा मौका दिया।

प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन प्राइस तय होती है कैसे

मैच्योरिटी से पहले रिडेम्प्शन प्राइस प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन की तारीख से ठीक पहले के तीन कार्य दिवस के लिए आईबीजेए (IBJA) की तरफ से प्राप्त गोल्ड 999 के क्लोजिंग प्राइस का एवरेज होती है। इसी नियम के अनुसार आरबीआई ने इस 17वें बॉन्ड का प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन प्राइस 6,265 रुपये प्रति यूनिट/ग्राम तय किया जो IBJA से प्राप्त 29 नवंबर, 30 नवंबर और 1 दिसंबर  के क्लोजिंग प्राइस का एवरेज है।

कितने ग्राम गोल्ड बॉन्ड का हो चुका है प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन

हालिया प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन से पहले भी बॉन्ड धारक इस 17वें बॉन्ड के 3,232 यूनिट बेच चुके हैं। आरबीआई के आंकड़े बताते हैं कि 24 नवंबर 2023 तक इस बॉन्ड के 3,232 यूनिट यानी 3,232 ग्राम सोने की वैल्यू के बराबर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन हो चुका है । इससे पहले इस बॉन्ड के लिए कुल 107,380 यूनिट की खरीद की गई थी। इस तरह से इस बॉन्ड के 104,148 यूनिट अभी भी बचे हैं।

टैक्स को लेकर क्या हैं नियम

अगर आपने मैच्योरिटी पीरियड से पहले रिडीम किया तो टैक्स फिजिकल गोल्ड की तरह ही लगेगा। मतलब सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड खरीदने के बाद 36 महीने से पहले बेच देते हैं तो होने वाली कमाई यानी कैपिटल गेन को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा। जो आपके ग्रॉस टोटल इनकम में जोड़ दिया जाएगा और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। लेकिन अगर आप 36 महीने बाद बेचते हैं तो कैपिटल गेन पर इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर 20.8 फीसदी) लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स देना होगा। लेकिन यदि आप सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड को उसकी मैच्योरिटी यानी 8 साल तक होल्ड करते हैं तो रिडेम्प्शन के समय आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा।

First Published - December 5, 2023 | 3:02 PM IST

संबंधित पोस्ट