facebookmetapixel
त्योहारी सीजन में दिखा खरीदारी का स्मार्ट तरीका! इंस्टेंट डिजिटल लोन बना लोगों की पहली पसंदQ2 में बंपर मुनाफे के बाद 7% उछला ये शेयर, ब्रोकरेज बोले – BUY; ₹298 तक जाएगा भावNifty Smallcap में गिरावट की चेतावनी! 3 तकनीकी संकेत दे रहे हैं 5% क्रैश का इशाराक्या Hindalco अब उड़ान भरेगा? एक ब्रोकर ने दिया ₹920 का टारगेट, बाकी रहे सतर्कसोना खरीदने का वक्त आ गया! एक्सपर्ट दे रहे हैं निवेश की सलाह, बोले- अब नहीं खरीदा तो पछताएंगेटैरिफ विरोधियों को Trump ने बताया ‘मूर्ख’, बोले- अमेरिका के हर नागरिक को मिलेगा $2,000 का डिविडेंड₹9,975 तक के टारगेट! नतीजों के बाद Bajaj Auto पर 4 ब्रोकरेज हाउसों की राय सामने आईLenskart Share: ₹390 पर कमजोर लिस्टिंग के बाद 2% उछला स्टॉक, बेच दें या होल्ड करें शेयर?राशन कार्ड के लिए सरकारी दफ्तर जाने की जरूरत नहीं, बस ये ऐप डाउनलोड करेंQ2 results today: ONGC से लेकर Vodafone Idea और Reliance Power तक, आज इन कंपनियों के आएंगे नतीजे

रिटेल निवेशकों को फ्लोटिंग दर वाले बचत बॉन्डों से परहेज करने की सलाह

मौजूदा परिवेश में रिटेल निवेशकों के लिए ट्रेजरी बिल बेहतर विकल्प

Last Updated- October 26, 2023 | 10:10 PM IST
Bonds

बाजार कारोबारियों का कहना है कि रिटेल निवेशक फ्लोटिंग दर वाले बचत बॉन्डों में निवेश करने से परहेज कर सकते हैं, क्योंकि इन खास बॉन्डों में सिर्फ बढ़ते दर परिवेश में ही मुनाफा कमाने की संभावना रहती है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ‘रिटेल डायरेक्ट’ के जरिये फ्लोटिंग-दर के सेविंग बॉन्डों की खरीद की अनुमति दी है। रिटेल डायरेक्ट एक ऐसा ऑनलाइन पोर्टल है जो निवेशकों को सरकारी प्रतिभूतियां खरीदने में सक्षम बनाता है।

फ्लोटिंग-दर के बॉन्ड सरकार द्वारा जारी किए जाते हैं और निर्गम की तारीख से इनकी परिपक्वता सात साल की होती है। आरबीआई 8.05 प्रतिशत की ब्याज दर की पेशकश करता है, जो राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी) दर से 35 आधार अंक अ​धिक है। इन बॉन्डों पर ब्याज हर साल 1 जनवरी और 1 जुलाई को छमाही आधार पर चुकाया जाता है और संचित ब्याज भुगतान का इनमें प्रावधान नहीं है।

जेएम फाइनैं​शियल में प्रबंध निदेशक अजय मंगलूनिया ने कहा, ‘फ्लोटिंग-दर के बॉन्ड बढ़ते दर वाले परिवेश में उपयुक्त हैं। मौजूदा परिवेश में, इन बॉन्डों का चयन करना समझदारी वाला निर्णय नहीं होगा। फिर भी, ब्याज दरों में संभावित वृद्धि से जुड़ी चिंताएं बनी हुई हैं। इसलिए, लोग इनसे जुड़े जो​खिम पर ध्यान दे रहे हैं और टी-बिल्स (ट्रेजरी बिल) जैसे अल्पाव​धि विकल्पों में निवेश को इच्छुक हैं।

इ​क्विटी निवेशकों, पारिवारिक कार्यालयों और अन्य वित्तीय इकाइयों ने ट्रेजरी बिलों में अपने निवेश को अनुकूल बनाया है और मुख्य तौर पर उनका इस्तेमाल अपनी इ​क्विटी ट्रेडिंग गतिवि​धियों के लिए कॉलेटरल के तौर पर किया है।’

माना जा रहा है कि घरेलू दर-निर्धारण पैनल कम से कम अगले वर्ष के लिए रीपो दर को अपरिवर्तित बनाए रखेगा। मौजूदा समय में, छोटे निवेशकों के पास वि​भिन्न वित्तीय विकल्पों, जैसे केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों, ट्रेजरी बिलों, राज्य सरकार की प्रतिभूतियों, और रिटेल डायरेक्ट पोर्टल के जरिये सॉवरिन गोल्ड बॉन्डों में निवेश का विकल्प है।

छोटे निवेशक राज्य और केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों और सॉवरिन गोल्ड बॉन्डों के मुकाबले ट्रेजरी बिलों में लगातार ज्यादा निवेश कर रहे हैं। बॉन्ड बाजार के विश्लेषक एवं रॉकफोर्ट फिनकैप एलएलपी के संस्थापक एवं मैनेजिंग पार्टनर वेंकटकृष्णन श्रीनिवासन ने कहा, ‘एक साल तक के संदर्भ में, ट्रेजरी बिलों में निवेश उपयुक्त बन गया है, क्योंकि ये बैंकों के मुकाबले अच्छा प्रतिफल मुहैया करा रहे हैं।’16 अक्टूबर तक, ट्रेजरी बिलों का कुल खरीदारी में 67 प्रतिशत योगदान था।

First Published - October 26, 2023 | 10:10 PM IST

संबंधित पोस्ट