नोएडा के एक व्यापारी ने ऑनलाइन इनवेस्ट में 1.15 करोड़ रुपये गंवा दिए। यह घोटाला एक महिला ने किया, जिसने खुद को सर्टिफाइड फाइनेंशियल एनालिस्ट बताया और नकली शेयर मार्केट वेबसाइट्स के जरिए मोटा मुनाफा देने का वादा किया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह घटना 27 जनवरी 2025 को शुरू हुई, जब व्यापारी को व्हाट्सएप पर एक कॉल आया। कॉल करने वाली ने अपना नाम रिषिता बताया और कहा कि वह एक सर्टिफाइड फाइनेंशियल एनालिस्ट है। उसने दो इन्वेस्टमेंट वेबसाइट्स के लिंक दिए और व्यापारी को रजिस्टर करने के लिए कहा। पहले तो उसे शक हुआ, लेकिन 31 जनवरी को उसने 1 लाख रुपये का छोटा इन्वेस्टमेंट किया। अगले दिन उसे बताया गया कि उसे 15,040 रुपये का मुनाफा हुआ, जिसे उसने निकाल भी लिया। इस शुरुआती सफलता ने उसका भरोसा बढ़ाया और उसने आगे इन्वेस्टमेंट करने का फैसला किया।
अगले कुछ हफ्तों में, उसने 65 लाख रुपये इस स्कीम में डाले। उसे बताया गया कि उसका इन्वेस्टमेंट 1.9 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, लेकिन यह सब धोखा था। फरवरी के अंत में जब उसने अपने पैसे निकालने की कोशिश की, तो उससे अलग-अलग बहानों से और पैसे मांगे गए।
पैसे निकालने के लिए पहले उसे 31.6 लाख रुपये ‘टैक्स’ के रूप में देने को कहा गया, जो उसने मार्च की शुरुआत में जमा कर दिए। इसके बाद ठगों ने 18.6 लाख रुपये और मांगे, इसे ‘कन्वर्जन चार्ज’ बताया और कहा कि 24 घंटे में उसके पैसे मिल जाएंगे। कई बार पैसे देने के बावजूद, व्यापारी को न तो उसका इन्वेस्टमेंट वापस मिला और न ही वादा किया गया मुनाफा। इसके बाद ठगों ने 40 लाख रुपये और मांगे, तब जाकर उसे समझ आया कि वह ठगी का शिकार हो गया।
अकॉर्ड जुरिस (Accord Juris) के मैनेजिंग पार्टनर अलाय रजवी कहते हैं, “नोएडा के व्यापारी का 1.15 करोड़ रुपये शेयर मार्केट घोटाले में गंवाना वित्तीय ठगी की बढ़ती चालाकी को दिखाता है। यह तो बस एक छोटा उदाहरण है जो सामने आया। ऐसे कई मामले हो सकते हैं जो रिपोर्ट न हुए हों और लोगों को चूना लगा हो। इन्वेस्टर्स को सावधानी बरतनी चाहिए और यह जांचना चाहिए कि सलाह देने वाला सेबी से रजिस्टर्ड ब्रोकर है या नहीं और प्लेटफॉर्म सेबी के तहत रजिस्टर्ड है या नहीं।”
गांधी लॉ एसोसिएट्स के पार्टनर राहील पटेल कहते हैं, “शेयर मार्केट घोटालों से बचने के लिए हमेशा सेबी से रजिस्टर्ड प्लेटफॉर्म्स के जरिए इन्वेस्टमेंट करें और उन लोगों से दूर रहें जो गारंटीड या उम्मीद से ज्यादा मुनाफे का वादा करें। भरोसेमंद ऐप्स का इस्तेमाल करें, टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन चालू करें और अपने खातों की नियमित जांच करें। ठग अक्सर खुद को विशेषज्ञ बताते हैं, नकली मुनाफा या शानदार जीवनशैली दिखाते हैं और जल्दी फैसले लेने का दबाव बनाते हैं। वे नकली वेबसाइट्स, सोशल मीडिया प्रोफाइल्स या बड़ी कंपनियों से संबंध होने का दावा करके भरोसा जीतते हैं। अनचाहे मैसेज या कॉल्स से सावधान रहें, पहचान की जांच करें और कुछ भी संदिग्ध लगे तो सेबी या साइबर क्राइम अधिकारियों को बताएं।”
SKV लॉ ऑफिसेज के काउंसल आशुतोष के श्रीवास्तव ने भी इन्वेस्टमेंट से जुड़े घोटालों से बचने के कई तरीके बताए। उन्होंने कहा, “सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (Sebi) ने इन्वेस्टर्स को धोखाधड़ी से बचाने के लिए कई दिशा निर्देश और नियम बनाए हैं। इन्वेस्टर्स को सेबी के नियमों को समझना चाहिए, खासकर ‘प्रोहिबिशन ऑफ फ्रॉडुलेंट एंड अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिसेस’, जो धोखाधड़ी रोकने और इन्वेस्टर्स के हितों की रक्षा के लिए हैं। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि सभी ब्रोकर, इन्वेस्टमेंट सलाहकार और अन्य बिचौलिए सेबी से रजिस्टर्ड हों, क्योंकि बिना रजिस्टर्ड लोगों से लेनदेन करने से ठगी का खतरा बढ़ता है।”
वह आगे कहते हैं, “ऐसे स्कीम्स से सावधान रहें जो कम जोखिम के साथ ज्यादा मुनाफे का वादा करें। सेबी सलाह देता है कि इन्वेस्टमेंट के लिए उधार न लें और गैर-रजिस्टर्ड ब्रोकर्स या बिचौलियों से न निपटें। नियमों की जानकारी रखना भी जरूरी है। सेबी समय-समय पर अपने नियमों को अपडेट करता है ताकि मार्केट की ईमानदारी और इन्वेस्टर्स की सुरक्षा बढ़े। हाल ही में स्टॉक ब्रोकर्स के बीच धोखाधड़ी रोकने के लिए नियमों में बदलाव किए गए हैं।”
आशुतोष कहते हैं, “अगर आपको कोई संदिग्ध इन्वेस्टमेंट स्कीम या गतिविधि दिखे, तो तुरंत सेबी को रिपोर्ट करें। समय पर शिकायत करने से संभावित ठगी रुक सकती है और दूसरे की रक्षा हो सकती है। इन दिशानिर्देशों का पालन करके और सतर्क रहकर इन्वेस्टर्स शेयर मार्केट घोटालों का शिकार होने के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकते हैं। इन्वेस्टमेंट के मौकों को सावधानी से देखना और अपनी वित्तीय जानकारी की सुरक्षा को प्राथमिकता देना बहुत जरूरी है।”