ITR Filing: फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइलिंग की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। ऐसे में कई सैलरी पाने वाले लोग यह सोच रहे हैं कि अगर उनकी आय ₹12 लाख से कम है, तो क्या उन्हें ITR फाइल करना जरूरी है?
क्या है न्यू टैक्स स्लैब?
वित्त वर्ष 2025-26 (आकलन वर्ष 2026-27) के लिए इनकम टैक्स की नई दरें इस प्रकार हैं:
वार्षिक आय (Annual Income) | टैक्स दर (Tax rate) |
₹4,00,000 तक | कोई टैक्स नहीं |
₹4,00,001 – ₹8,00,000 | 5% |
₹8,00,001 – ₹12,00,000 | 10% |
₹12,00,001 – ₹16,00,000 | 15% |
₹16,00,001 – ₹20,00,000 | 20% |
₹20,00,001 – ₹24,00,000 | 25% |
₹24,00,000 से ऊपर | 30% |
न्यू टैक्स रिजीम के तहत अब ₹12 लाख तक की सालाना आमदनी वालों की टैक्स देनदारी शून्य होगी। इसका कारण है ₹60,000 की बढ़ी हुई टैक्स छूट (rebate)।
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इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइलिंग का मौसम शुरू हो चुका है और लाखों टैक्सपेयर्स के मन में यह सवाल घूम रहा है कि अगर उनकी आय टैक्स योग्य नहीं है या टैक्स बनता ही नहीं, तो क्या ITR फाइल करना जरूरी है? इसका जवाब है—कई मामलों में हां।
टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन बताते हैं कि “टैक्स देनदारी न होना और ITR न भरना—यह दोनों बातें एक जैसी नहीं हैं।” यानी अगर आपकी टैक्स देनदारी शून्य है, तब भी आपको कई परिस्थितियों में ITR फाइल करना जरूरी हो सकता है।
कुल ग्रॉस इनकम यानी डिडक्शन और छूटों से पहले की आय अगर सरकार द्वारा तय बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट से ज्यादा है, तो आपको ITR फाइल करना अनिवार्य है—भले ही आपकी टैक्स देनदारी बाद में शून्य हो जाए।
न्यू टैक्स रिजीम (सभी उम्र): ₹3 लाख
ओल्ड टैक्स रिजीम:
< 60 वर्ष: ₹2.5 लाख
60-80 वर्ष: ₹3 लाख
80 वर्ष से अधिक: ₹5 लाख
उदाहरण:
अगर आपकी आय ₹4 लाख है और आपने ₹1.5 लाख की छूट ली है, तो टैक्स तो शून्य हो गया, लेकिन आपकी ग्रॉस इनकम ₹2.5 लाख से अधिक थी (पुरानी व्यवस्था में), इसलिए ITR भरना अनिवार्य हो गया।
टैक्स एक्सपर्ट सुशील जैन बताते हैं कि कुछ विशेष स्थितियों में आपकी आय टैक्स लिमिट से कम हो, तब भी ITR फाइल करना कानूनन जरूरी हो जाता है:
अगर आपने किसी एक या एक से अधिक करेंट अकाउंट्स में कुल ₹1 करोड़ या उससे अधिक जमा किया है, तो आपको ITR फाइल करना जरूरी है।
अगर आपने खुद के लिए या किसी और के लिए ₹2 लाख से ज्यादा की इंटरनेशनल ट्रैवल बुकिंग करवाई है, तो भी ITR फाइल करना जरूरी हो जाता है।
अगर आपका वार्षिक बिजली खर्च ₹1 लाख से ऊपर है, तो भी भले आपकी आय टैक्स छूट सीमा से कम हो, ITR फाइल करना जरूरी है।
अगर आपके पास विदेश में कोई संपत्ति है या वहां से कोई इनकम आती है, तो भी ITR फाइलिंग अनिवार्य है, चाहे आपकी अन्य आय कुछ भी हो।
अगर आपकी आमदनी टैक्सेबल नहीं है, लेकिन बैंक या किसी संस्था ने ब्याज या भुगतान पर TDS काट लिया है, तो उस रिफंड को क्लेम करने के लिए भी ITR फाइल करना जरूरी है।
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Moneyfront के CEO और MD मोहित गांग के अनुसार, “भले ही टैक्स न बनता हो, लेकिन निल रिटर्न फाइल करने से भविष्य में आर्थिक रूप से आपको बड़ा फायदा मिल सकता है।”
बैंकों में सेविंग्स अकाउंट, FD या डिविडेंड आदि पर कटे TDS (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) को रिफंड लेने के लिए आपको ITR फाइल करना ही होगा।
उदाहरण: अगर आपकी FD से ₹10,000 का ब्याज आया और बैंक ने उस पर ₹1,000 का TDS काट लिया, लेकिन आपकी कुल इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आती, तो आप यह पैसा ITR फाइल करके वापस पा सकते हैं।
ITR एक तरह से आपकी फाइनेंशियल प्रोफाइल होता है। बैंक, नॉन-बैंक लोन कंपनी, या विदेश यात्रा के लिए वीज़ा अप्लाई करते समय यह एक भरोसेमंद दस्तावेज माना जाता है—अगर वह ‘निल’ हो।
उदाहरण: अगर आप नौकरी शुरू कर रहे हैं और आपकी इनकम ₹2.4 लाख है, लेकिन आप पर्सनल लोन लेना चाहते हैं, तो ITR दिखाने से आपके आवेदन को मजबूती मिलती है।
अगर आपने किसी साल स्टॉक्स या म्यूचुअल फंड में नुकसान उठाया है (कैपिटल लॉस), तो उसे अगले 8 साल तक कैरी फॉरवर्ड कर सकते हैं—पर केवल तब जब आपने उस साल ITR फाइल किया हो।
उदाहरण: अगर आपने ₹50,000 का लॉस दिखाया और उसी साल ITR फाइल किया, तो अगले साल अगर आप मुनाफा कमाते हैं, तो यह लॉस उसमें समायोजित किया जा सकता है।
हर साल ITR फाइल करने से टैक्स डिपार्टमेंट में आपका रिकॉर्ड मजबूत होता है। भविष्य में अगर कोई स्क्रूटनी या नोटिस आता है, तो आपका ट्रैक रिकॉर्ड आपकी रक्षा कर सकता है।
उदाहरण: अगर आपने शेयरों में ट्रेडिंग की है या बैंक अकाउंट में मोटा लेनदेन हुआ है, तो सिस्टम आपको ट्रैक कर सकता है। अगर आपने निल ITR भरा है, तो आप पहले से कंप्लायंट माने जाते हैं।
अगर आप सैलरीड हैं तो स्टैंडर्ड डिडक्शन ₹75,000 के कारण ₹12.75 लाख तक की आय पर भी कोई टैक्स नहीं देना होगा। इससे मध्यम वर्ग को बड़ी राहत मिलेगी।
कुछ जरूरी बातें:
क्या होता है Nil Return?
अगर आपकी सालाना आय टैक्स छूट सीमा से कम है, तो आप इनकम टैक्स विभाग को यह दिखाने के लिए nil return फाइल कर सकते हैं कि आपकी टैक्स देनदारी शून्य रही। इसे भरना अनिवार्य नहीं है, लेकिन भविष्य में इसका फायदा हो सकता है, जैसे लोन या वीज़ा आवेदन के समय।
कम आमदनी वालों को भी ITR भरना क्यों है जरूरी? जानिए कब फाइल करें ‘निल रिटर्न’
अगर आपकी कुल आय टैक्सेबल लिमिट से कम है और आप सोचते हैं कि इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरने की जरूरत नहीं, तो दोबारा सोचिए। कई ऐसे मौके आते हैं, जब ‘निल रिटर्न’ यानी बिना टैक्स के ITR फाइल करना भी फायदेमंद साबित होता है।