निवेशकों को विविध इक्विटी पोर्टफोलियो से लंबी अवधि में फायदा होता है। ऐसा लगता है कि भारतीय म्युचुअल फंड निवेशकों ने इसी दृष्टिकोण को अपनाया है। म्युचुअल फंडों के संगठन एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, मल्टीकैप फंडों को जून 2024 में 4,708 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश प्राप्त हुआ जो डायवर्सिफाइड इक्विटी योजनाओं में सबसे अधिक है।
इस बीच, फ्रैंकलिन टेम्पलटन ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) फ्रैंकलिन इंडिया मल्टीकैप फंड नाम से एक नई फंड पेशकश (एनएफओ) लेकर आई है।
महिंद्रा मनुलाइफ म्युचुअल फंड के इक्विटी फंड मैनेजर मनीष लोढ़ा ने कहा, ‘मल्टीकैप फंड निवेशकों के लिए एक अच्छा विकल्प है क्योंकि इसके तहत निवेश में बड़ी, मझोली और छोटी कंपनियों को उचित आवंटन मिलता है। मल्टीकैप फंड पोर्टफोलियो में मूल्य और वृद्धि अच्छी तरह से संतुलित हैं।’
मल्टीकैप फंड अपने पोर्टफोलियो का न्यूनतम 25-25 फीसदी हिस्सा लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में निवेश करते हैं। बाकी निवेश फंड मैनेजर के विवेक पर आधारित होता है।
मोतीलाल ओसवाल एएमसी के फंड मैनेजर अजय खंडेलवाल ने कहा, ‘मल्टीकैप फंड विभिन्न बाजार पूंजीकरण वाले शेयरों के लिए निवेश निर्धारित करता है। इसलिए वह बाजार के सभी श्रेणियों में भागीदारी सुनिश्चित करता है। विभिन्न बाजार पूंजीकरण वाले शेयरों के साथ निवेश में विविधता लाने से बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान जोखिम कम होता है।’
पोर्टफोलियो में शामिल लार्जकैप शेयर स्थिरता प्रदान करते हैं जबकि मिडकैप और स्मॉलकैप शेयर वृद्धि को रफ्तार देते हैं।
मिरे ऐसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) के वरिष्ठ फंड मैनेजर अंकित जैन ने कहा, ‘लार्जकैप शेयरों में पर्याप्त निवेश से समग्र पोर्टफोलियो को स्थिरता मिलती है जबकि मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में आवंटन से पर्याप्त आय की गुंजाइश होती है। इसलिए जोखिम समायोजित रिर्टन के लिहाज से मध्यावधि निवेश के लिए यह एक अच्छा विकल्प है।’
मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में पर्याप्त निवेश किए जाने से बाजार में उतार-चढ़ाव का जोखिम बरकरार रहता है।
लोढ़ा ने कहा, ‘अगर स्मॉलकैप शेयरों में अपेक्षाकृत अधिक निवेश किया गया तो मल्टीकैप फंड में जोखिम का स्तर बढ़ जाता है। पहले भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां व्यापक बाजार में स्मॉलकैप शेयरों का प्रदर्शन कमजोर दिखा है।’
उन्होंने कहा कि इन फंडों में करीब 50 फीसदी निधि को बड़ी कंपनियों में निवेश करने की क्षमता जोखिम से बचाने में मदद करती है।
फ्लेक्सीकैप योजनाओं में फंड मैनेजर अपने विवेक के आधार पर विभिन्न बाजार पूंजीकरण वाले शेयरों में निवेश करते हैं। इस लचीलेपन के बावजूद कई फ्लेक्सीकैप योजनाएं लार्जकैप शेयरों में भारी निवेश करती हैं। फ्लेक्सीकैप योजनाओं ने 30 जून, 2024 तक अपने फंड का 70 फीसदी निवेश लार्जकैप शेयरों में निवेश किया था।
बाजार में व्यापक तेजी के दौरान लार्जकैप शेयरों के मुकाबले मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में अधिक बढ़त दिखती है। ऐसे में मल्टीकैप योजनाओं का प्रदर्शन बेहतर होता है। खंडेलवाल ने कहा, ‘विभिन्न बाजार पूंजीकरण वाले शेयरों में निवेश के साथ मल्टीकैप फंड विभिन्न क्षेत्रों और बाजार श्रेणियों में मौजूद वृद्धि के अवसरों का फायदा उठा सकते हैं। इसमें जबरदस्त वृद्धि की क्षमता वाली उभरती कंपनियां भी शामिल हैं।’
कुछ लार्जकैप शेयरों के वर्चस्व वाले बाजार में फ्लेक्सीकैप योजनाएं एक बेहतर विकल्प हो सकती हैं क्योंकि उनका अधिकतर निवेश लार्जकैप शेयरों में होता है। जैन ने कहा, ‘मल्टीकैप का नुकसान यह है कि इसमें विभिन्न बाजार पूंजीकरण वाली श्रेणियों में जाने के लिए अपेक्षाकृत कम गुंजाइश होती है।’
अगर निवेशक मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में दिलचस्पी रखते हैं लेकिन बाजार में उतार-चढ़ाव के प्रति अधिक सतर्क भी हैं, तो उन्हें केवल मिडकैप या स्मॉलकैप योजना के बजाय मल्टीकैप इक्विटी योजना में निवेश पर विचार करना चाहिए। जैन ने कहा, ‘मल्टीकैप फंड ऐसी बुनियादी योजना होनी चाहिए क्योंकि वह हर समय अधिकतम निवेश का अवसर प्रदान करती है।’
आप इन योजनाओं में सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) और सिस्टमेटिक ट्रांसफर प्लान (एसटीपी) के जरिये निवेश कर सकते हैं। लोढ़ा ने कहा, ‘शेयर एक ग्रोथ ऐसेट क्लास है, इसलिए निवेश को कम से कम पांच साल तक बनाए रखना उचित है। ऐसे में यह स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों को बढ़त दर्ज करने के लिए पर्याप्त समय मिलता है।’