ऐक्सिस सिक्योरिटीज क्रेडिट कार्ड्स ऐंड डिजिटल पेमेंट्स बिजनेस मॉनिटर की रिपोर्ट के अनुसार, डेबिट कार्ड के मुकाबले क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल में काफी बदलाव आया है। अगस्त 2024 में क्रेडिट कार्ड से खर्च डेबिट कार्ड से खर्च के मुकाबले 3.9 गुना अधिक हुआ, जबकि अगस्त 2023 यह आंकड़ा 2.8 गुना रहा था।
कई लोगों के लिए क्रेडिट कार्ड पसंदीदा भुगतान विकल्प बन गया है मगर इसने अधिक ऋण बोझ की चिंता भी बढ़ा दी है, खासकर त्योहारी सीजन के दौरान। कई बैंक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के साथ साझेदारी कर रहे हैं और ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए क्रेडिट कार्ड से खरीदारी पर छूट और आसान मासिक किस्त (ईएमआई) जैसे विकल्पों की पेशकश कर रहे हैं। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म भी बेहतर सौदों की पेशकश कर रहे हैं। ऐसे में इससे ग्राहक जरूरत से ज्यादा खर्च करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं।
हालांकि यह सभी के लिए फायमंद लगता है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) में पंजीकृत निवेश सलाहकार और सहजमनी डॉट कॉम के संस्थापक अभिषेक कुमार ने कहा, ‘इससे खरीदारों को कम लागत पर सौदे मिलते हैं। दूसरी ओर ई-कॉमर्स कंपनियों को अपनी बिक्री बढ़ाने में मदद मिलती है। इससे क्रेडिट कार्ड कंपनियों को भी फायदा होता है क्योंकि ग्राहक अपनी उधारी को अधिक ब्याज दर के साथ ईएमआई में बदल लेते हैं।’
मगर विशेषज्ञ अत्यधिक ऋण के प्रति सचेत करते हैं। बैंकबाजार के मुख्य कार्याधिकारी आदिल शेट्टी ने कहा, ‘क्रेडिट कार्ड से उधारी पर अधिक ब्याज लागत के साथ-साथ नियमों में भी काफी सख्ती होती है। अगर आप समय पर अदायगी नहीं करते हैं तो आपकी लागत काफी बढ़ जाएगी।’ ऐसे में आप जल्द ही ऋण के जाल में फंस सकते हैं।
एटीएम के जरिये क्रेडिट कार्ड से नकदी निकालने पर काफी शुल्क लगता है। शेट्टी ने कहा, ‘क्रेडिट कार्ड से नकदी निकालने पर लेनदेन शुल्क तुरंत लागू होता है, जो निकाली गई रकम का एक तय फीसदी होता है।’
मनीफ्रंट के सह-संस्थापक और सीईओ मोहित गंग ने कहा, ‘ऐसा कभी न करें क्योंकि इसमें ब्याज दैनिक आधार पर लिया जाता है।’ इस प्रकार एटीएम के जरिये क्रेडिट कार्ड से रकम निकालने पर सालाना ब्याज दर 24 से 46 फीसदी तक हो सकती है।
क्रेडिट कार्ड बिल आम तौर पर दो भुगतान विकल्प प्रदान करते हैं: कुल देय रकम और न्यूनतम देय रकम। न्यूनतम देय रकम कुल बकाये का करीब 5 फीसदी होती है। न्यूनतम भुगतान करना सुविधाजनक लग सकता है, मगर इससे आपका कर्ज बोझ तेजी से बढ़ सकता है।
शेट्टी ने कहा, ‘बची हुई रकम पर 2 से 4 फीसदी मासिक ब्याज लगता है।’ देरी से भुगतान करने पर जुर्माना लगता है, जो गंग के अनुसार 30 फीसदी तक हो सकता है। ब्याज और जुर्माने दोनों पर 18 फीसदी जीएसटी जुड़ने से आपका बोझ काफी बढ़ जाता है।
अगर आप इन परेशानियों से बचना चाहते हैं तो ब्याजमुक्त अवधि के भीतर पूरी रकम का भुगतान कर दें। गंग ने कहा कि न्यूनतम रकम का भुगतान न करने पर भी डिफॉल्ट समझा जाएगा जो आपके क्रेडिट स्कोर को खराब कर सकता है।
त्योहारी मौसम में अक्सर लोग अधिक खरीदारी करने के लिए उत्साहित दिखते हैं। खास तौर पर दीवाली बोनस मिलने के बाद लोग तत्काल कुछ न कुछ खरीदना चाहते हैं। गंग ने कहा, ‘पूरी रकम खरीदारी पर खर्च करने के बजाय उसका एक हिस्सा बचत या निवेश में लगाएं।’
कुमार जरूरी खरीदारी की सूची बनाने और उस पर टिके रहने का सुझाव देते हैं, जबकि गंग सबसे बढ़िया सौदा पाने के लिए अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर कीमतों की तुलना करने की सलाह देते हैं।
क्रेडिट कार्ड कई तरह के फायदे और रिवॉर्ड देते हैं। शेट्टी ने कहा, ‘इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद बनाने वाली बड़ी कंपनियों का आम तौर पर कार्ड कंपनियों के साथ गठजोड़ होता है। खरीदारी से पहले यह देखना जरूरी है कि किस कार्ड पर सबसे अधिक छूट और कैशबैक मिल रहा है।’
कुमार का सुझाव है कि क्रेडिट कार्ड की ईएमआई आपकी कर पश्चात आय की 30 फीसदी से अधिक नहीं होनी चाहिए। उनका कहना है कि मौजूदा ऋण बोझ को कम करने के लिए अधिक ब्याज वाले क्रेडिट कार्ड की शेष रकम का तत्काल भुगतान करें।
अगर ऐसा संभव नहीं है तो आपको अपने विवेकाधीन खर्च में कटौती करनी चाहिए। इसके अलावा आप पर्सनल लोन या ओवरड्राफ्ट सुविधा के जरिये क्रेडिट कार्ड के बकाये का भुगतान करने पर विचार कर सकते हैं। इन दोनों विकल्पों में आम तौर पर ब्याज दर क्रेडिट कार्ड की उधारी के मुकाबले कम होती है।