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कम बचत से बिगड़ सकता है महिलाओं का रिटायरमेंट, करें बेहतर योजनाओं वाली इक्विटी में निवेश

शेयरों में निवेश से महंगाई को मात दी जा सकती है, इसलिए उनमें निवेश करने में किसी तरह की कोताही नहीं बरतनी चाहिए

Last Updated- April 14, 2023 | 10:33 PM IST
How inadequate savings could jeopardise women's retirement planning

करीब 54 साल की सीमा छेत्री (बदला हुआ नाम) ने इंजीनियरिंग विज्ञान में पीएचडी की है। मुंबई में रहने वाली छेत्री जिस संस्थान में पढ़ाती हैं, वह देश के शीर्ष प्रौद्योगिकी संस्थानों में शुमार है। साथ ही वह इंजीनियरिंग पर कई किताबें भी लिख चुकी हैं। फिर भी लाखों शिक्षित भारतीय महिलाओं की तरह छेत्री ने भी अपने पैसे को संभालने का जिम्मा किसी और को दे दिया है।

छेत्री कहती हैं, ‘जब मेरी उम्र कम थी तब मेरे वेतन और बचत को संभालने का जिम्मा मेरे ससुर के पास था, जो एक दफ्तर में क्लर्क थे। बाद में यह जिम्मेदारी मेरे पति ने अपने हाथ में ले ली। वह अर्द्धसैनिक बल से जुड़े थे। फिलहाल मेरा 30 साल का फैशन डिजाइनर बेटा मेरे रुपया-पैसा संभालता है। ऐसा नहीं है कि मैं आलसी थी या किसी भी तरह से अक्षम थी। फिर भी मैंने अपने पैसे खुद कभी नहीं संभाले।’

छेत्री उन लाखों भारतीय महिलाओं में से एक हैं, जो सांस्कृतिक और सामाजिक माहौल समेत विभिन्न कारणों से अपनी पूंजी की देखरेख खुद करने से कन्नी काटती रहती हैं। कई घरों में वित्तीय फैसले लेने का काम पुरुषों का ही रहता है और इसमें उन्हीं की अहम भूमिका रहती है।

फिनसेफ इंडिया की संस्थापक निदेशक मृण अग्रवाल कहती हैं, ‘समय की कमी और जानकारी के अभाव में महिलाएं पैसे के प्रबंधन को अपनी प्राथमिकता सूची में सबसे नीचे रखती हैं। सूचनाओं का अंबार होने और बचपन से ही वित्तीय मसलों पर चर्चा का हिस्सा नहीं बनने के कारण वे आम तौर पर यही मानकर चलती हैं कि रुपये-पैसे संभालने की काबिलियत उनके भीतर नहीं है।’ वित्तीय योजनाकार यह भी कहते हैं कि जो गिनी-चुनी महिलाएं अपनी रकम खुद देखती हैं, उनसे अक्सर बहुत बड़ी गलतियां हो जाती हैं।

रिटायरमेंट की दिक्कतें

आम तौर पर महिलाएं पैसे बचाने में उस्ताद होती हैं मगर रिटायरमेंट के बाद की योजना बनाने में वे अक्सर पीछे रह जाती हैं। महिलाओं के लिए वित्तीय प्लेटफॉर्म लक्ष्मी की प्रबंध निदेशक और संस्थापक प्रीति राठी गुप्ता कहती हैं, ‘हमारे एक सर्वेक्षण के अनुसार केवल 2 फीसदी महिलाएं ही रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी के लिए बचत करती हैं।

आंकड़ों से पता चलता है कि महिलाओं और पुरुषों में शैक्षिक योग्यता, नौकरी और पद आदि एक बराबर हो तब भी रिटायरमेंट पर उनके पास पुरुषों के मुकाबले केवल 10 फीसदी संपत्ति होती है।’ अहम बात यह भी है कि भारत में महिलाएं पुरुषों के मुकाबले औसतन ज्यादा जीती हैं।

सेवानिवृत्ति के लिए बचत के मामले में पुरुषों और महिलाओं के बीच असमानता के कई कारण हो सकते हैं जैसे महिलाओं और पुरुषों के वेतन में अंतर, उनके करियर की दिशा और राह में फर्क, सेवानिवृत्ति के बाद के लिए बचत की अहमियत समझने में अंतर आदि। गुप्ता सुझाव देती हैं, ‘यदि आपका जीवनसाथी आपसे अधिक पैसा कमाता है तो ज्यादातर खर्च उसे ही करने दें ताकि आप अपनी कमाई का एक हिस्सा बचा सकें और निवेश कर सकें।’

महंगाई से मात

बड़ी संख्या में महिलाएं ऐसी वित्तीय योजनाओं में निवेश करने में संकोच करती हैं जो महंगाई को बेअसर कर सकती हैं। गुप्ता कहती हैं, ‘हमारे एक सर्वेक्षण में पता चला कि सिर्फ 16 फीसदी महिलाएं अपना पैसा वित्तीय योजनाओं में लगाती हैं। लगभग 65 फीसदी महिलाएं पैसा बचत खातों में रखती हैं और 37 फीसदी आपात स्थिति के लिए पैसा घरों पर ही रखती हैं।’ पिछले 42 साल में महंगाई औसतन 7.5 फीसदी रही है।

अग्रवाल कहती हैं, ‘अगर आपका निवेश महंगाई को मात नहीं देता है तो आपका पैसा बढ़ नहीं रहा है।’ उनकी सलाह है कि महिलाएं उन योजनाओं से निवेश निकाल लें, जो लंबे अरसे में सालाना 7 फीसदी से ज्यादा प्रतिफल नहीं दे रही हैं। उन्हें रकम निकालकर इक्विटी योजनाओं में निवेश करना चाहिए, जिनसे बेहतर रिटर्न मिल सकता है।

कर्ज लेकर दांव

महिलाओं को अक्सर पारिवारिक जिम्मेदारियों पूरी करने के लिए कुछ समय के लिए करियर बीच में छोड़ना पड़ता है। इससे वे आर्थिक रूप से पिछड़ जाती हैं। कुछ इसकी भरपाई की कोशिश करती हैं। पंजीकृत निवेश सलाहकारों के संगठन (एआरआईए) की बोर्ड सदस्य दिलशाद बिलिमोरिया कहती हैं, ‘शेयरों से जुड़े टिप्स देने वाले लोग दो अंकों में रिटर्न का वादा करते हैं और कई लोग उनके झांसे में आ भी जाते हैं। ऐसे ब्रोकर या एजेंट निवेशकों को बहकाते हैं कि निवेश करने की आखिरी तारीख जल्द ही खत्म होने जा रही है और इस बहाने उनसे जल्दबाजी में बड़ी रकम निवेश करा लेते हैं।’ कई महिलाएं रातोरात अमीर बनाने वाली इन योजनाओं में फंस जाती हैं और शेयरों में निवेश करने के लिए बाजार से 20 फीसदी तक ब्याज पर पर्सनल लोन ले लेती हैं।

बिलिमोरिया इसमें आने वाले खतरों के प्रति आगाह करती हैं। वह कहती हैं, ‘अगर ब्याज की रकम के बराबर भी रिटर्न नहीं मिल पाया तो क्या होगा? इससे भी बुरी स्थिति तब होगी, जब रिटर्न नकारात्मक होगा यानी आपके निवेश का मूल्य कम हो जाएगा। तब क्या करेंगी?’इन महिलाओं के सामने मूलधन गंवाने का जोखिम तो होता ही है, ऊंची ब्याज दर का बोझ भी उन्हें उठाना पड़ता है। इसीलिए बिलिमोरिया जोर देकर कहती हैं कि शेयर बाजार में निवेश करने के लिए उधार कभी नहीं लेना चाहिए।

अग्रवाल सुरक्षित विकल्प सुझाती हैं। वह कहती हैं, ‘पेशेवर तरीके से चलाए जा रहे इक्विटी म्युचुअल फंडों में रकम लगाने के बारे में सोचिए क्योंकि उनमें कर बचाने का मौका भी मिलता है। इस लिहाज से साधारण निफ्टी 50 इंडेक्स फंड भी कारगर होगा बशर्ते आप उसमें लंबी अवधि के लिए निवेश करें।’

First Published - April 14, 2023 | 10:33 PM IST

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