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Loan: कर्ज उसी ऐप से लें जिससे जुड़े नाम का रसूख रहे

अनधिकृत ऋणदाता या वसूली एजेंट से आने वाले सभी संदेश संभालक रखें और परेशान करने के सबूत भी रखें

Last Updated- March 03, 2024 | 9:27 PM IST
Early signs of pressure on unsecured business loans असुरक्षित कारोबारी ऋण पर दबाव के शुरुआती संकेत

वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (एफएसडीसी) ने पिछले दिनों कहा कि अनधिकृत ऐप को कर्ज देने से रोकने के लिए और भी सख्त उपाय अपनाने की जरूरत है। नियमाक कर्ज लेने वालों के लिए व्यवस्था को आसान बनाने की दिशा में लगातार काम कर रहा है मगर उधार लेने से पहले लोगों को भी सावधानी बरतनी चाहिए।

2019-20 में एक वक्त था, जब गूगल प्ले स्टोर पर कर्ज देने वाली ऐसी अनधिकृत ऐप की भरमार थी मगर अब उनकी तादाद काफी कम हो गई है। फिनटेक एसोसिएशन फॉर कंज्यूमर एम्पावरमेंट (फेस) की मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) सुगंधा सक्सेना कहती हैं, ‘अब गूगल प्ले स्टोर पर हमें हर हफ्ते ऐसी तीन से पांच ऐप ही मिलती हैं। हमारी ही तरह गूगल और दूसरी एजेंसियां भी प्ले स्टोर पर नजर रखती हैं।’ वह कहती हैं कि एसोसिएशन की सदस्य कंपनियों या संस्थाओं के पास से आने वाली शिकायतें भी उन्हें ऐसी गलत ऐप्स का तुरंत पता लगाने और गूगल को बताने में मदद करती हैं।

ऐप्स ने बदला तरीका

एजेंसियां और ग्राहक जितनी सतर्कता बरत रहे हैं, धोखाधड़ी करने वाले भी ऐप्स की शक्ल उतनी ही बदल रहे हैं। सुगंधा बताती हैं, ‘कुछ खुद को कैलकुलेटर बताती हैं और कुछ लोन गाइड का नाम देती हैं ताकि शुरुआती जांच से बच सकें। एक बार मंजूरी मिल जाए तो वे उधार देने का काम भी शुरू कर देती हैं।’

ऐसे ऐप्स चलाने वाले इंस्टाग्राम और फेसबुक का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं। सुगंधा उनका काम करने का तरीका समझाते हुए कहती हैं, ‘वे दिलचस्प सामग्री देकर यूजर्स को लुभाती हैं और फिर उन्हें प्ले स्टोर की नकल करने वाले पेज पर भेज देती हैं। वहां उन्हें एपीके (ऐंड्रॉयड ऐप्लिकेशन पैकेज) फाइल डाउनलोड करने के लिए फुसलाया जाता है।’

फंसेंगे बुरी तरह

ऐसी फर्जी लोन ऐप से कर्ज लेने वाले शख्स को कई तरह के खतरों से गुजरना पड़ सकता है। सबसे पहले तो उन पर भारी भरकम ब्याज लिया जाता है और कई तरह के छिपे शुल्क होते हैं, जो बाद में सामने आते हैं। एमपॉकेट के संस्थापक और सीईओ गौरव जालान का कहना है, ‘कई बार 100-200 फीसदी तक ब्याज लिया जाता है, छिपे हुए शुल्क होते हैं और जुर्माने भी होते हैं, जिनकी वजह से उधार लेने वाले को पता चलता है कि वह कर्ज के जाल में फंस चुका है।’ कुछ ऐप्स प्रोसेसिंग शुल्क ले लेती हैं और उसके बाद कर्ज दिए बगैर ही गायब हो जाती हैं।

जिन लोगों को ऐसे ऐप्स से कर्ज मिल जाता है, उन्हें कुछ अरसे बाद ही रकम वापस मांगने वालों के धमकी भरे और परेशान करने वाले फोन आने लगते हैं। जालान बताते हैं, ‘किस्त नहीं चुका पाए तो उधार लेने वाले को लगातार परेशान किया जा सकता है और धमकियां भी मिल सकती हैं।’

ऐसी कई ऐप उधार मांगने वाले से उसके फोन की कॉन्टैक्ट लिस्ट, गैलरी आदि में मौजूद सामग्री के इस्तेमाल की इजाजत मांगती हैं। एक बार इजाजत दे दी तो लोगों की निजता खतरे में पड़ जाती है क्योंकि ये ऐप गोपनीय जानकारी का दुरुपयोग करने लगती हैं। प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के मुख्य वित्तीय योजनाकार विशाल धवन आगाह करते हैं, ‘अगर आप कर्ज चुका नहीं पाते हैं तो वे आपको शर्मिंदा करने के लिए आपकी कॉन्टैक्ट लिस्ट में मौजूद लोगों के पास मैसेज भी भेज सकते हैं।’

कब हो जाएं खबरदार

ऐसी ऐप से फौरन खबरदार हो जाएं, जो आपसे बहुत अधिक व्यक्तिगत जानकारी मांग रही हो। जालान कहते हैं, ‘कानूनी ढंग से काम करने वाली संस्था उधार देने से पहले बुनियादी केवाईसी ब्योरे से ज्यादा जानकारी नहीं मांगेगी।’

अगर ऐप का डिजाइन बहुत खराब है या पेशेवर नहीं लग रहा है तो समझ जाइए कि कुछ गड़बड़ हो सकती है। बिना मांगे ही आपको जल्द कर्ज दिलाने के संदेश आने लगें या लिंक मिलने लगें तो उन्हें पूरी तरह अनदेखा कर दीजिए। ऐसे ऐप से भी खबरदार रहिए, जो टेक्स्ट या ईमेल के साथ लिंक भी भेज देते हैं।

अगर मार्केटिंग बहुत तेजी से की जा रही है तो भी आपको खबरदार हो जाना चाहिए। जालान बताते हैं, ‘अवैध ऐप्स आपके पास एक के बाद एक मैसेज या कॉल कर सकते हैं ताकि आप दबाव में आ जाएं और उनसे कर्ज ले लें।’ अगर कोई ऐप आपसे पहले भुगतान करने को कह रही है या प्रोसेसिंग शुल्क मांगती है तो आपको सावधान हो जाना चाहिए।

जांच-पड़ताल जरूरी

कोई भी ऐप डाउनलोड करने से पहले उसकी पूरी जांच-पड़ताल करना जरूरी होता है। धवन बताते हैं, ‘भारतीय रिजर्व बैंक भी ऐप की एक सूची प्रकाशित करता है, जिसे व्हाइटलिस्ट कहा जाता है। उस पर अड़े रहिए।’

यह भी देखिए कि डिजिटल उधारी के लिए रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के मुताबिक उस ऐप ने नियमों के मुताबिक चलने वाली किसी संस्था के साथ साझेदारी की है या नहीं। सुगंधा बताती हैं, ‘इन दिशानिर्देशों के मुताबिक नियमित संस्था के साथ साझेदारी की बात और डिजिटल उधारी देने वाली ऐप का नाम उस संस्था की वेबसाइट पर स्पष्ट रूप से लिखी होनी चाहिए।’

ऐसी ऐप से दूर ही रहिए, जो किसी अनजान या संदिग्ध संस्था के साथ जुड़े होने की बात करती हैं। यह भी देखिए कि ऐप कितनी बार डाउनलोड की गई है। इससे पता चलेगा कि ऐप कितने समय से काम कर रही है और कितने अधिक लोग उसका इस्तेमाल कर चुके हैं। उसके बारे में रिव्यू भी जरूर पढ़ लेने चाहिए। ऐप कितनी परमिशन मांग रही है, यह भी अहम है।

First Published - March 3, 2024 | 9:27 PM IST

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