प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
अगर आपने 16 सितंबर 2025 तक अपना इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल नहीं किया, तो अब आपको फाइन देना पड़ेगा। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने वित्त वर्ष 2024-25 (AY 2025-26) के लिए ITR फाइलिंग की डेडलाइन को 15 सितंबर से बढ़ाकर 16 सितंबर कर दिया था। लेकिन इसके बाद कोई और छूट नहीं दी गई है। अब अगर आप बिलेटेड रिटर्न फाइल करते हैं, तो सेक्शन 234F के तहत 5,000 रुपये तक का लेट फीस चुकाना पड़ सकता है। ये फीस आपकी कुल आय पर निर्भर करती है।
यह खबर उन लाखों टैक्सपेयर्स के लिए है, जो आखिरी मिनट की भागदौड़ के बाद भी ITR फाइल नहीं कर पाएं। CBDT के आंकड़ों के मुताबिक, 16 सितंबर तक करीब 7.5 करोड़ ITR फाइल हो चुके थे, जो पिछले साल के 7.28 करोड़ से ज्यादा है। फिर भी, लाखों लोग ऐसे हैं जो ITR फाइल करने से चूक गए। आइए, इस पूरे मामले को आसान शब्दों में समझते हैं।
जुलाई 2025 में ITR फॉर्म्स में बड़े बदलाव किए गए थे – जैसे फॉरेन इनकम और एसेट्स की डिटेलिंग। इससे सॉफ्टवेयर अपडेट में देरी हुई, और डेडलाइन जुलाई 31 से सितंबर 15 कर दी गई। फिर 15 सितंबर को पोर्टल की दिक्कतों के चलते एक दिन और बढ़ा दिया गया। लेकिन 16 सितंबर रात 11:59 बजे के बाद ITR फाइल करने का समय बीत चुका है। अब बिलेटेड रिटर्न का रास्ता है, जो 31 दिसंबर 2025 तक फाइल कर सकते हैं। देर फाइलिंग का सीधा असर सेक्शन 234A के तहत इंटरेस्ट पर पड़ता है।
अगर आपका टैक्स पेमेंट डेडलाइन से देर से हुआ, तो बकाया टैक्स पर महीने के हिसाब से 1 फीसदी ब्याज लगेगा। उदाहरण के लिए, अगर 10,000 रुपये का टैक्स बाकी था और आप एक महीना लेट हुए, तो 100 रुपये अतिरिक्त चुकाने पड़ेंगे। ये इंटरेस्ट हर महीने या उसके हिस्से पर लगता है, यानी 16 सितंबर के बाद का एक दिन भी पूरा महीना माना जाएगा।
टैक्सपेयर्स की परेशानी ये है कि ओल्ड टैक्स रिजीम चुनने का मौका अब बंद हो चुका। नया रिजीम डिफॉल्ट है, और बिना बिजनेस इनकम वालों को पुराना चुनने के लिए डेडलाइन से पहले फाइल करना पड़ता। लेट फाइलिंग में ये ऑप्शन नहीं। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि Form 16, 26AS और AIS को मैच न करने से नोटिस आ सकते हैं, जो रिफंड रोक देगा।
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चिंता मत कीजिए, अभी भी वक्त है। इनकम टैक्स ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॉगिन करें, ‘ई-फाइल’ सेक्शन में जाकर ‘इनकम टैक्स रिटर्न’ चुनें। AY 2025-26 सिलेक्ट करें और अपनी फॉर्म (ITR-1 से 4 तक) चुन लें। डिटेल्स भरें, डिडक्शन क्लेम करें और सबमिट। लेकिन याद रखें, लेट फीस ऑटोमैटिक ऐड हो जाएगी। अगर आय 5 लाख से कम है, तो 1,000 रुपये कटेंगे। 5 लाख सलाना से अधिक आय वालों के लिए यह आंकड़ा 5,000 रुपये है । फॉर्म चुनते वक्त सावधानी बरतें। सैलरीड लोग ITR-1 यूज कर सकते हैं, लेकिन फॉरेन इनकम या कैपिटल गेन हो तो ITR-2 या 3। पोर्टल पर प्री-फिल्ड डेटा होता है, जो Form 16 से आता है, इसे चेक करना न भूलें।
अगर गलती हुई, तो रेक्टिफिकेशन फाइल कर सकते हैं, लेकिन बिलेटेड में लिमिट कम हैं। दिसंबर 31 के बाद सिर्फ अपडेटेड रिटर्न (ITR-U) का ऑप्शन, जो और महंगा है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर टैक्स जीरो है, तब भी फाइल करें, वरना सब्सिडी या लोन में दिक्कत हो सकती है। पिछले साल लाखों लोगों ने लेट फाइलिंग की, लेकिन इस बार सख्ती बढ़ी है।
अब सवाल ये कि आगे कैसे बचें? सबसे पहले, सैलरी स्लिप, इन्वेस्टमेंट प्रूफ, मेडिकल बिल आदि डॉक्यूमेंट्स इकट्ठा करें। टैक्स सॉफ्टवेयर यूज करें, जो कैलकुलेशन आसान बनाते हैं। अगर कन्फ्यूजन हो, तो CA या फिर टैक्स एक्सपर्ट से बात करें।
एक जरूरी बात का ध्यान रखें कि लेट फाइलिंग से कैरी फॉरवर्ड लॉस क्लेम नहीं कर पाएंगे। मतलब, शेयर मार्केट लॉस या बिजनेस घाटा अगले साल सेट-ऑफ नहीं होगा। ऊपर से, अगर रिफंड बाकी है, तो प्रोसेसिंग में महीनों लग सकते हैं। CBDT ने 7.5 करोड़ फाइलिंग्स का आंकड़ा शेयर किया, लेकिन बाकी लोगों के लिए ये फाइन चेतावनी है।