वाहन कंपनियों द्वारा की जा रही आकर्षक पेशकश और प्रचार-प्रसार के कारण कार डीलरशिप पर आने वाले ग्राहकों की तादाद के साथ-साथ पूछताछ और बुकिंग में भी वृद्धि हो रही है। वाहनों की बिक्री पर विशेष पेशकश की शुरुआत आम तौर पर अक्टूबर में शुरू होकर नए साल तक चलती है।
ऋण वितरण नेटवर्क एंड्रोमेडा सेल्स ऐंड डिस्ट्रीब्यूशन के सह मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) राउल कपूर ने कहा, ‘कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को दीवाली बोनस देती हैं। इससे उनकी खरीदारी की क्षमता और हौसला दोनों बढ़ाते हैं।’
कार पर अच्छे सौदे के लिए मोलभाव करने के अलावा खरीदारों को फाइनैंस विकल्पों पर भी गौर करना चाहिए। अनुकूल फाइनैंस विकल्प होने से सौदे में अधिकतम फायदा होगा।
त्योहारी पेशकश
कई बैंक सबसे कम ब्याज दरों के साथ-साथ प्रोसेसिंग शुल्क से रियायत की भी पेशकश कर रहे हैं। कुछ ने तो फोरक्लोजर चार्ज यानी समय से पहले ऋण चुकाने पर लगने वाले फीस को भी माफ करने की पेशकश की है। मगर ग्राहकों के लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन पेशकश से कार खरीदने का उनका निर्णय कितना प्रभावित होता है।
हालांकि त्योहारी पेशकश से सौदा काफी आकर्षक लगता है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि खरीदारी से पहले फाइनैंस की शर्तों पर बारीकी से गौर करना समझदारी होगी। कपूर ने कहा, ‘पेशकश के अलावा ब्याज दर एवं ऋण की अवधि पर गौर करने के साथ-साथ अन्य शुल्कों की भी जांच कर लें।’
ब्याज दर
कार खरीदने से पहले विभिन्न ऋणदाताओं की ब्याज दरों की तुलना कर लें। बैंकबाजार डॉट कॉम के मुख्य कार्याधिकारी आदिल शेट्टी ने कहा, ‘खास तौर पर तैयार की गई योजनाएं सुविधाजनक मासिक किस्तों के साथ-साथ अदायगी में भी सहूलियत प्रदान कर सकती हैं। मगर वे उच्च ब्याज दर की भरपाई नहीं कर सकती हैं। ऋण की अवधि दो-तीन साल भी हो तो अधिक ब्याज दर आपके फायदे को खत्म कर सकती है।’
ऋण के लिए तय दर (फिक्स्ड रेट) अथवा फ्लोटिंग रेट यानी बदलती हुई दर के विकल्प पर बारीकी से गौर करें। ऋणदाता आपको बिना किसी अदायगी शुल्क के साथ तय ब्याज दर पर ऋण की पेशकश कर सकते हैं।
शेट्टी ने कहा, ‘मगर तय दर पर ऋण तभी सस्ता होगा जब ऋण की अवधि के दौरान ब्याज दर स्थिर रहे अथवा उसमें तेजी आए। अगर ऋण अवधि के दौरान ब्याज दर में गिरावट आती है तो तय दर वाला ऋण अधिक महंगा हो सकता है।’ निकट भविष्य में दरें कम होने के आसार हैं।
ऋण की अवधि
ऋणदाता आम तौर पर सात साल तक ऋण अवधि की पेशकश करते हैं। पैसाबाजार के मुख्य कारोबार अधिकारी (रेहन वाले ऋण) साहिल अरोड़ा ने कहा, ‘ऋण की अवधि लंबी होने से मासिक किस्त की रकम कम होती है मगर कुल ब्याज लागत बढ़ जाती है। इसी प्रकार ऋण की अवधि कम होने से मासिक किस्त बढ़ जाती है लेकिन कुल ब्याज लागत घट जाती है।’
काफी अधिक मासिक किस्त से बचना चाहिए। कपूर ने कहा, ‘अपने बजट पर अधिक बोझ नहीं डालना चाहिए।’ शेट्टी ने कहा कि ऋण अवधि और मासिक किस्त (और इस प्रकार कुल ब्याज लागत) में संतुलन बनाना समझदारी होगी।
लोन टू वैल्यू रेश्यो
वैल्यू डेब्ट रेश्यो (एलटीवी रेश्यो) वाहन की कीमत का वह प्रतिशत हिस्सा होता है जितना बैंक कर्र्स देता है। बाकी रकम डाउन पेमेंट के तौर पर एकमुश्त चुकानी पड़ती है। युवा ग्राहक आम तौर पर अधिक एलटीवी को तरजीह देते हैं ताकि कम से कम डाउन पेमेंट करना पड़े।
अरोड़ा ने कहा, ‘ऋणदाता एलटीवी अनुपात को मुख्य तौर पर अपनी ऋण जोखिम नीतियों और ग्राहक की साख के आधार पर निर्धारित करते हैं।’
कपूर सौ फीसदी फाइनैंसिंग से बचने की सलाह देते हैं क्योंकि डाउन पेमेंट करने से ब्याज लागत में कमी आती है। शेट्टी ने कहा, ‘कार ऐसी परिसंपत्ति है जिसकी लागत लगातार कम होती रहती है। ऐसे में खरीद लागत को कम रखना बेहतर होगा। केवल जरूरी रकम ही उधारी लें। अगर आपका कोई ऐसा निवेश है जो कार ऋण के मुकाबले अधिक रिटर्न देता हो और आप उसे भुनाना नहीं चाहते हैं, तभी अधिक लागत वाला ऋण लें।’
जरूरी सुझाव
भले ही त्योहारी पेशकश से लागत में कमी दिखती हो लेकिन ऋण लेने से पहले आपको ऋणदाता की पारदर्शिता और सेवाओं की गुणवत्ता पर भी ध्यान देना चाहिए।
ग्राहकों को अपनी अदायगी क्षमता का भी ध्यान रखना जरूरी है। अरोड़ा ने कहा, ‘अधिकतर ऋणदाता उन आवेदकों को प्राथमिकता देते हैं जिनका मासिक किस्त मद का कुल खर्च उनकी मासिक आय के 50 से 60 फीसदी के दायरे में हो।’
कपूर ने ऋण की सख्त शर्तों और अनावश्यक ऐड-ऑन के प्रति आगाह करते हुए कहा कि इससे ऋण की रकम बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि समय से पहले अदायगी पर शुल्क को नजरअंदाज करने और ऋण समझौते को बारीकी से न पढ़ने जैसी गलतियों से बचना चाहिए।