I-T Bill 2025: सरकार ने संसद में हाल ही में नया Income Tax (I-T) Bill पेश किया है, जो 1961 के पुराने टैक्स कानून की जगह लेगा। यह बदलाव टैक्सपेयर्स के लिए राहत भरा हो सकता है, लेकिन कुछ बातों पर नजर रखना जरूरी होगा। नए बिल में टैक्स नियमों को ज्यादा सिंपल और क्लियर बनाया गया है, जिससे रिटर्न फाइल करना और समझना आसान हो जाएगा। आइए जानते हैं, इससे आपकी जेब और टैक्स रिटर्न पर क्या असर पड़ेगा!
सैलरीड टैक्सपेयर्स के लिए नया I-T Bill (या एक्ट बनने के बाद) समझना और फॉलो करना पहले से आसान होगा। Tax Connect Advisory Services LLP के पार्टनर Vivek Jalan के मुताबिक, सैलरी से जुड़े सभी प्रावधान अब क्लॉज 15 से 19 में कवर होंगे। इससे रिटर्न फाइल करने के लिए अलग-अलग चैप्टर्स में जाने की जरूरत नहीं होगी।
सैलरी से जुड़े डिडक्शंस, जैसे स्टैंडर्ड डिडक्शन और लीव एनकैशमेंट, को भी एक ही क्लॉज में शामिल कर दिया गया है।
नए बिल में भाषा को ज्यादा क्लियर और आसान बनाया गया है। Nangia Andersen LLP के पार्टनर Sandeep Jhunjhunwala के मुताबिक, पुराने और मुश्किल शब्दों को हटाकर उनकी जगह आसान टर्म्स इस्तेमाल किए गए हैं। इसके अलावा, अनावश्यक सेक्शंस, प्रोविज़ो और एक्सप्लानेशंस को भी रिमूव कर दिया गया है, जिससे इसे समझना और फॉलो करना ज्यादा आसान होगा।
नई टैक्स प्रणाली को आसान और समझने लायक बनाने के लिए टेबल और फॉर्मूला का इस्तेमाल किया जाएगा। मुंबई के चार्टर्ड अकाउंटेंट सुरेश सुराना के मुताबिक, “इससे टैक्स कैलकुलेशन आसान हो जाएगा।”
सरल कानून से टैक्सपेयर्स की कंप्लायंस बेहतर होने की उम्मीद है। जो लोग इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के तहत नई टैक्स व्यवस्था चुन चुके हैं, उन्हें इसे फिर से सेलेक्ट करने की जरूरत नहीं होगी। इस नए बिल से टैक्सपेयर्स की मौजूदा टैक्स लाइबिलिटी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। Jalan ने कहा, “पुराने कानून के तहत टैक्सपेयर्स को जो भी राइट्स और लाइबिलिटी मिली हैं, जैसे टैक्स रिफंड, उन्हें पूरी तरह से प्रोटेक्ट किया जाएगा।”
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आयकर रिफंड रिटर्न्स फिलहाल संबंधित असेसमेंट ईयर के 31 दिसंबर तक फाइल किए जा सकते हैं। लेकिन नए I-T Bill, 2025 के तहत, रिफंड रिटर्न्स फाइल करने की समयसीमा सेक्शन 263(1) (जो कि I-T Act, 1961 के सेक्शन 139(1) के समान है) में तय की गई डेडलाइन तक होगी।
टैक्स एक्सपर्ट Suresh Surana के मुताबिक, “इसका मतलब यह है कि अगर कोई टैक्सपेयर तय समयसीमा के अंदर अपना रिटर्न फाइल नहीं करता है, तो उसे रिफंड क्लेम करने का मौका नहीं मिलेगा।”
हालांकि, यह नियम डिसिप्लिन लाने के लिए लाया जा रहा है, लेकिन इसका दूसरा पक्ष भी है। Jalan का कहना है, “अगर किसी टैक्सपेयर का रिटर्न किसी जेन्युइन रीजन से लेट हो जाता है, तो यह चिंता का कारण बन सकता है।”
इसके अलावा, I-T Bill, 2025 को समझने में भी शुरू में टैक्सपेयर्स को परेशानी हो सकती है। सुराना के अनुसार, “नए बिल में सेक्शन्स के नंबरिंग में बदलाव, कुछ प्रोविज़न की लोकेशन बदलने और अलाउंसेस व डिडक्शंस को शेड्यूल्स में डालने की वजह से इसे समझना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।”
सुराना ने यह भी चेतावनी दी कि नए I-T Bill, 2025 को एडॉप्ट करने के लिए I-T पोर्टल में बड़े बदलाव करने होंगे।
इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स को समय पर अपना Income Tax Return (ITR) फाइल करना जरूरी है। टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि Income Tax Bill 2025 में देरी से फाइल किए गए ITR पर रिफंड नहीं मिलेगा।
टैक्स एक्सपर्ट झुनझुनवाला का कहना है कि टैक्सपेयर्स को इस नए बिल के प्रोविज़न और उनके इंपैक्ट को पहले से समझ लेना चाहिए। साथ ही, इनकम और एक्सपेंस का सही रिकॉर्ड मेंटेन करना जरूरी है, क्योंकि नए बिल में टैक्स अथॉरिटीज की डिजिटल स्क्रूटनी को बढ़ाने के प्रोविजन जोड़े गए हैं।
Surana ने सलाह दी कि टैक्सपेयर्स को Central Board of Direct Taxes (CBDT) द्वारा दी गई सेक्शन मैपिंग को फॉलो करना चाहिए। House Rent Allowance (HRA) और अनुलाभ मूल्यांकन (perquisite valuation) जैसे कुछ महत्वपूर्ण नियम अब अनुसूचियां और नियम में शिफ्ट कर दिए गए हैं, जिससे रिटर्न फाइलिंग के दौरान उन्हें ध्यान से चेक करना होगा।
नया Income Tax Bill पास होने के बाद Financial Year (FY) 2026-27 से लागू होगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि टैक्सपेयर्स को Finance Act 2026 में होने वाले संभावित बदलावों पर भी नजर रखनी चाहिए।
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धारा 80 में बदलाव (कटौतियां) – अध्याय VIA
TDS/TCS के नियम
TDS से जुड़े 43 सेक्शन अब एक ही सेक्शन में मर्ज कर दिए गए हैं। इसमें तीन टेबल बनाई गई हैं, जो Residents, Non-Residents और Any Person के हिसाब से रेट्स और थ्रेशहोल्ड को अलग-अलग दिखाती हैं।
इनकम क्लबिंग के नियम
अगर स्पाउस या नाबालिग बच्चे के नाम इनकम ट्रांसफर की जाती है, तो उसे कैसे क्लब किया जाएगा, इसके लिए क्लियर फॉर्मूला दिया गया है।
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