ग्लोबल कीमतों में तेजी के बीच घरेलू बाजार में आज यानी 29 नवंबर का दिन गोल्ड (gold) के लिए बेहद शानदार रहा। क्या स्पॉट क्या फ्यूचर हर जगह सोने की कीमतों ने लगातार दूसरे दिन रिकॉर्ड बनाया। यूएस फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) के अधिकारियों के कल आए बयानों के बाद यूएस डॉलर इंडेक्स (US Dollar Index) और यूएस बेंचमार्क बॉन्ड यील्ड (US Benchmark Bond Yield) में आई गिरावट की वजह से ग्लोबल मार्केट में शानदार तेजी आई। इन बयानों से इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक अगले साल मई से ब्याज दरों में कटौती की शुरुआत कर सकता है।
घरेलू फ्यूचर मार्केट
घरेलू फ्यूचर मार्केट में आज बुधवार को एमसीएक्स (MCX) पर सोने का बेंचमार्क दिसंबर फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट बढ़कर 62,606 रुपये प्रति 10 ग्राम के न्यू ऑल टाइम हाई (new all-time high) पर पहुंच गया। पिछले कारोबारी सत्र में इसने 62,423 रुपये का हाई बनाया था। फरवरी कॉन्ट्रैक्ट तो इससे भी आगे जाकर आज 62,934 रुपये प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड हाई तक पहुंच गया।
इससे पहले MCX पर सोने का बेंचमार्क फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट 5 अक्टूबर को 56,075 रुपये प्रति 10 ग्राम तक नीचे चला गया था। इस तरह से देखें तो उसके बाद से कीमतों में तकरीबन 12 फीसदी की तेजी आई है।
घरेलू स्पॉट मार्केट
हाजिर (स्पॉट) बाजार में भी आज सोने की कीमत अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। Indian Bullion and Jewellers Association (IBJA) के अनुसार सोना 24 कैरेट (999) आज 862 रुपये की मजबूती के साथ 62,775 रुपये प्रति 10 ग्राम की नई ऊंचाई पर देखा गया। पिछले महीने के अंत (31 अक्टूबर) में सोना 24 कैरेट (999) 61,370 रुपये प्रति 10 ग्राम दर्ज किया गया था। जबकि अक्टूबर की शुरुआत में यह 56,500 के स्तर पर था।
ग्लोबल मार्केट
अंतरराष्ट्रीय मार्केट (global market) में भी सोने की कीमत फिलहाल 6 महीने से ज्यादा की ऊंचाई यानी 5 मई के बाद के अपने उच्चतम स्तर पर है। स्पॉट गोल्ड (spot gold) बुधवार यानी आज के कारोबार में बढ़कर 2,049.80 डॉलर प्रति औंस की ऊंचाई तक चला गया। स्पॉट गोल्ड इसी साल 5 मई को 2,072.19 डॉलर प्रति औंस की ऊंचाई तक पहुंच गया था। इससे पहले 2020 में इसने 2,072.49 का ऑल टाइम हाई बनाया था।
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इसी तरह यूएस दिसंबर गोल्ड फ्यूचर्स भी आज 2,052.1 की ऊंचाई तक जा पहुंचा। फरवरी कॉन्ट्रैक्ट तो 2,072.7 डॉलर प्रति औंस के हाई तक चला गया। यूएस गोल्ड फ्यूचर्स इसी साल 5 मई को 2,085.40 की ऊंचाई तक जा पहुंचा था। जबकि अगस्त 2020 में इसने 2,089.2 का रिकॉर्ड हाई बनाया था।
इजरायल पर हमास के हमले से ठीक एक दिन पहले यानी 6 अक्टूबर को इंटरनेशनल मार्केट में स्पॉट गोल्ड 1,809.50 डॉलर प्रति औंस के अपने 7 महीने के निचले स्तर तक चला गया था।
कीमतों में तेजी की वजह
जानकारों के मुताबिक यूएस फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) के अधिकारियों के कल आए बयानों के बाद यूएस डॉलर इंडेक्स (US Dollar Index) और यूएस बेंचमार्क बॉन्ड यील्ड (US Benchmark Bond Yield) में तेज गिरावट आई है। परिणामस्वरूप सोने की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में शानदार तेजी आई और घरेलू लेवल पर कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। इन बयानों से इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी का दौर पीछे छूट चुका है और अमेरिकी केंद्रीय बैंक अगले साल मई से ब्याज दरों में कटौती की शुरुआत कर सकता है।
गोल्ड पर कोई इंटरेस्ट/यील्ड नहीं मिलता इसलिए अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में गिरावट से सोना निवेश के दृष्टिकोण से ज्यादा आकर्षक हो जाता है और येलो मेटल (yellow metal) की कीमतों में तेजी आती है। वहीं डॉलर में कमजोरी अन्य करेंसी में गोल्ड की कीमत को बढ़ा देती है।
10 वर्षीय अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड पर यील्ड फिलहाल 2 महीने से ज्यादा के निचले स्तर पर है। यूएस डॉलर इंडेक्स के लिए भी नवंबर का महीना पिछले एक साल में प्रदर्शन के लिहाज से सबसे खराब रहा है जिस वजह से सोना सहित अन्य dollar denominated कमोडिटी की कीमतों को सपोर्ट मिला है। पिछले एक महीने में यूएस डॉलर इंडेक्स 3.67 फीसदी कमजोर हुआ है।
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ग्लोबल लेवल पर महंगाई दर के ऊंची बने रहने और वैश्विक अर्थव्यवस्था (global economy) में सुस्ती की वजह से भी सोने को सपोर्ट मिल रहा है। वहीं भू-राजनीतिक तनाव (geo-political tensions) खासकर इजरायल और हमास के बीच जारी सैन्य संघर्ष के मद्देनजर निवेश के सुरक्षित विकल्प (safe-haven) के तौर पर येलो मेटल (yellow metal) की मांग बढ़ गई है। इसके अलावा केंद्रीय बैंकों (Central Banks) की तरफ से सोने की लगातार हो रही खरीदारी ने भी कीमतों को एक हद तक सपोर्ट किया है।
Central Banks की तरफ से सोने की शानदार खरीदारी
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा कैलेंडर ईयर की तीसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के दौरान केंद्रीय बैंकों की तरफ से नेट 337.1 टन सोने की खरीद की गई। तीसरी तिमाही के दौरान सोने की खरीदारी का यह दूसरा सबसे बड़ा रिकॉर्ड है। इससे पहले तीसरी तिमाही के दौरान सबसे ज्यादा खरीदारी केंद्रीय बैंकों की तरफ से पिछले कैलेंडर ईयर (2022) के दौरान की गई थी। पिछले कैलेंडर ईयर की समान तिमाही के दौरान रिकॉर्ड 459 टन नेट सोने की खरीद की गई थी। यदि साल के कुल 9 महीनों की बात करें तो इस दौरान केंद्रीय बैंकों की खरीद बढ़कर 800 टन तक जा पहुंची है।
डॉलर के मुकाबले रुपये का प्रदर्शन
यदि भारतीय रुपया डॉलर की तुलना में आगे कमजोर होता है तो घरेलू बाजार में सोने की कीमतों में तेजी अंतरराष्ट्रीय कीमतों के मुकाबले ज्यादा रह सकती है क्योंकि भारतीय रुपये में कमजोरी से सोना आयात करना और महंगा हो जाता है।