facebookmetapixel
सुप्रीम कोर्ट ने कहा: बिहार में मतदाता सूची SIR में आधार को 12वें दस्तावेज के रूप में करें शामिलउत्तर प्रदेश में पहली बार ट्रांसमिशन चार्ज प्रति मेगावॉट/माह तय, ओपन एक्सेस उपभोक्ता को 26 पैसे/यूनिट देंगेबिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ इंटरव्यू में बोले CM विष्णु देव साय: नई औद्योगिक नीति बदल रही छत्तीसगढ़ की तस्वीर22 सितंबर से नई GST दर लागू होने के बाद कम प्रीमियम में जीवन और स्वास्थ्य बीमा खरीदना होगा आसानNepal Protests: सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ नेपाल में भारी बवाल, 14 की मौत; गृह मंत्री ने छोड़ा पदBond Yield: बैंकों ने RBI से सरकारी बॉन्ड नीलामी मार्च तक बढ़ाने की मांग कीGST दरों में कटौती लागू करने पर मंथन, इंटर-मिनिस्ट्रियल मीटिंग में ITC और इनवर्टेड ड्यूटी पर चर्चाGST दरों में बदलाव से ऐमजॉन को ग्रेट इंडियन फेस्टिवल सेल में बंपर बिक्री की उम्मीदNDA सांसदों से PM मोदी का आह्वान: सांसद स्वदेशी मेले आयोजित करें, ‘मेड इन इंडिया’ को जन आंदोलन बनाएंBRICS शिखर सम्मेलन में बोले जयशंकर: व्यापार बाधाएं हटें, आर्थिक प्रणाली हो निष्पक्ष; पारदर्शी नीति जरूरी

निवेश के सही सबूत समय से दें, ज्यादा टीडीएस से बचें

Last Updated- February 06, 2023 | 12:04 AM IST
Submit correct investment proofs on time, avoid high TDS
Creative Commons license

अगर आप वेतनभोगी कर्मचारी हैं तो आपको अपने दफ्तर के अकाउंट विभाग से एक ईमेल मिल चुका होगा। इस ईमेल में आपसे चालू वित्त वर्ष के दौरान कर बचाने के लिए किए गए निवेश के सबूत मांगे गए होंगे। अप्रैल, 2022 में आपने अपने नियोक्ता को बताया होगा कि अगले 12 महीने में कर बचाने के इरादे से आप कहां-कहां और कितना निवेश करने की योजना बना रहे हैं ताकि आपके वेतन में से उसी के हिसाब से कर काटा जाए। अब उसी के सबूत पेश करने का वक्त आ गया है।

वित्त वर्ष 2020-21 से कर्मचारियों को आयकर की दो व्यवस्थाएं दी गई हैं। उन्हें पुरानी कर व्यवस्था और नई कर व्यवस्था में से कोई एक चुननी होती है। पीएसएल एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स में वकील अनु सूरा कहती हैं, ‘जिन कर्मचारियों ने नई कर व्यवस्था चुन ली है, उन्हें नियोक्ता के पास सबूत जमा करने की कोई जरूरत नहीं है।’

इन आम गलतियों से बचें

निवेश के सबूत देते समय आम तौर पर कर्मचारी कई गलतियां कर जाते हैं। केएस लीगल ऐंड एसोसिएट्स में मैनेजिंग पार्टनर सोनम चंदवानी बताती हैं, ‘कई लोग मकान के किराये भत्ते (एचआरए) के लिए फर्जी रसीदें या कागज पकड़ा देते हैं।’

कुछ ऐसे भी होते हैं, जो फॉर्म अधूरा भरते हैं या अधूरे सबूत देते हैं। डीएसके लीगल में पार्टनर श्रीनिवास बीआर नसीहत देते हैं, ‘निवेश का सबूत देने वाले एकदम उपयुक्त दस्तावेज दें। उन्हें खुद ही सत्यापित भी करें। अगर आप अधूरी जानकारी देते हैं या आपने दस्तावेज ठीक तरह से स्कैन नहीं किए हैं तो उन्हें खारिज भी किया जा सकता है।’ याद रहे कि कर लाभ तभी मिलते हैं, जब निवेश का सत्यापन हो जाए। कई कर्मचारी यह काम आखिरी समय के लिए टाल देते हैं।

एमवीएसी एडवोकेट्स ऐंड कंसल्टेंट्स में मैनेजिंग पार्टनर प्रत्यूष मिगलानी का कहना है, ‘ऐसे कर्मचारी कई बार निवेश के सबूत देने की आखिरी तारीख ही भूल जाते हैं। बदहवासी में जब सबूत देते हैं तो उनमें कोई न कोई गलती हो जाती है।’ कई बार कर्मचारी अपने परिवार के उस सदस्य का ब्योरा ही नहीं देते, जिसके नाम पर बीमा प्रीमियम भरा गया है, दान दिया गया है या ट्यूशन फीस भरी गई है।

मकान मालिक का पैन

जो कर्मचारी सालाना 1 लाख रुपये से ज्यादा किराया भर रहे हैं, उन्हें अपने मकान मालिक की स्थायी खाता संख्या (पैन) का विवरण देना होता है। टैक्समैन में उप महाप्रबंधक नवीन वाधवा बताते हैं, ‘यदि मकान मालिक के पास पैन नहीं है तो उससे इस बात का हलफनामा लेकर जमा करें, जिसमें उसका नाम और पता भी होना चाहिए।’ कर्मचारी अगर परिवार के किसी सदस्य को किराया दे रहे हैं तो भी वे एचआरए के एवज में कर छूट का दावा कर सकते हैं।

वाधवा कहते हैं, ‘मगर कर्मचारी को इस बात का सबूत देना होगा कि वह परिजन के मकान में ही रहता है। इसके लिए वह किराये की रसीद, बिजली-पानी का बिल या बैंक स्टेटमेंट में पते को बतौर सबूत पेश कर सकता है। यह भी सुनिश्चित करें कि परिजन किराये से आय की घोषणा करते हुए रिटर्न जरूर भरता हो।’

आवास ऋण

मकान खरीदने के लिए कर्ज लेने वाले कर्मचारी को वित्त वर्ष में चुकाए गए मूलधन और ब्याज का विवरण देने वाला सर्टिफिकेट अपने बैंक से लेकर जरूर जमा कर देना चाहिए। वेद जैन ऐंड एसोसिएट्स में पार्टनर शिल्पी जैन कहती हैं, ‘अगर कर्ज दो लोगों ने संयुक्त रूप से लिया है तो यह भी बताइए कि कौन मूलधन और ब्याज में से कितने हिस्से का दावा कर रहा है।’
बैंक प्रोविजनल सर्टिफिकेट देता है क्योंकि वित्त वर्ष खत्म होने से पहले ही उसे जमा करना होता है। वाधवा समझाते हैं, ‘साल भर में गए ब्याज और मूलधन का आंकड़ा अलग भी हो सकता है। इसीलिए रिटर्न भरते समय सही राशि का ही दावा करें।’

कर्मचारी निवेश के सबूत जनवरी और फरवरी में देते हैं मगर निवेश 31 मार्च तक तक करते रहते हैं। सूरा कहती हैं, ‘अगर आपने सबूत जमा करने की आखिरी तारीख निकलने के बाद निवेश किया है या उसके बाद कटौती का कोई दावा बनता है तो रिटर्न दाखिल करते समय रिफंड का दावा कीजिए।’ नियोक्ता को दिए गए निवेश के प्रमाणों की प्रतियां अपने पास जरूर रखें। मिगलानी समझाते हैं, ‘अगर भविष्य में कोई जरूरत पड़ गई या चुकाए गए कर का सत्यापन अथवा जांच की गई तो ये प्रतियां बहुत काम आती हैं।’

वक्त पर सबूत न दिए तो?

कर के सबूत नहीं देने पर नियोक्ता ज्यादा कर काट लेगा। श्रीनिवास कहते हैं कि आपने कितना भी निवेश किया है, अगर सबूत नहीं दिए तो आपकी कंपनी आपको कर छूट का फायदा नहीं देगी और ज्यादा टीडीएस काट लेगी। उस सूरत में कर्मचारी को रिटर्न दाखिल करते समय छूट और रिफंड का दावा करना पड़ता है। जैन कहती हैं, ‘रिटर्न में कर्मचारी जो दावा करेगा वह फॉर्म 16 में दिए गए नियोक्ता के ब्योरे से मेल नहीं खाएगा, जिसकी वजह से रिटर्न की ज्यादा बारीकी से जांच की जाएगी।’

First Published - February 6, 2023 | 12:04 AM IST

संबंधित पोस्ट