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अप्रैल में 1.5 लाख रुपये जमा करें और PPF से अधिकतम रिटर्न लें

पीपीएफ खाते में एकमुश्त रकम डालना फायदेमंद तो होता है मगर उससे पहले देख लें कि आपको निकट भविष्य में नकदी की जरूरत तो नहीं पड़ने वाली है।

Last Updated- April 29, 2024 | 9:50 AM IST
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अमेरिका में निवेश के माहिर कहलाने वाले जिम रोजर्स कहते हैं, ‘कंपाउंडिंग यानी चक्रवृद्धि निवेश का जादू है।’ उनकी यह बात लोक भविष्य निधि (PPF) पर एकदम सही साबित होती है। अगर आप हर साल 1 अप्रैल से 5 अप्रैल के बीच अपने पीपीएफ खाते में 1.5 लाख रुपये डाल दें तो आपको अपने निवेश पर अधिकतम रिटर्न मिल सकता है।

बैंकबाजार डॉट कॉम के मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) आदिल शेट्टी कहते हैं, ‘अगर आप 5 अप्रैल तक एकमुश्त बड़ी रकम जमा कर देते हैं तो आपको उस पर ज्यादा ब्याज मिल सकता है। चक्रवृद्धि के जादू से ब्याज की यह रकम बहुत अधिक हो जाती है। अगर आप अप्रैल में एकमुश्त रकम डालने के बजाय हर महीने की 5 तारीख के बाद थोड़ी-थोड़ी रकम डालते हैं तो उससे मिलने वाले ब्याज के मुकाबले यह रकम बहुत ज्यादा होगी।’

पीपीएफ खाते में रकम हर महीने डाली जा सकती है, हर तिमाही डाली जा सकती है या एक बार में ही एकमुश्त रकम भी जमा की जा सकती है। एसोसिएशन ऑफ रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स के सदस्य जय ठक्कर समझाते हैं, ‘कोई निवेशक 5 अप्रैल से पहले एक साथ 1.5 लाख रुपये डाल देता है तो 5 अप्रैल के बाद एक मुश्त या हर महीने निवेश करने वाले के मुकाबले उसे 2.5 लाख रुपये ज्यादा मिलेंगे।’

आपके पीपीएफ खाते में पूरा ब्याज वित्त वर्ष के आखिर में ही जमा किया जाता है मगर उसकी गणना हर महीने की जाती है। खाते में महीने की 5 तारीख और आखिरी तारीख के बीच जिस दिन सबसे कम रकम रहती है, उसी दिन की रकम पर ब्याज दे दिया जाता है।

पैसाबाजार के मुख्य कारोबार अधिकारी (असुरक्षित ऋण) साहिल अरोड़ा समझाते हैं, ‘अगर रकम 5 तारीख के बाद जमा की जाती है तो उस महीने जमा की गई रकम पर ब्याज की एक पाई भी नहीं दी जाती। इसलिए अगर आप 5 अप्रैल तक 1.5 लाख रुपये जमा कर देते हैं तो आपको उस पूरी रकम पर पूरे साल ब्याज मिलता रहता है।’

ऐसा भी हो सकता है कि आप 5 अप्रैल तक एकमुश्त रकम जमा नहीं कर पाए या जमा करना भूल गए तब क्या किया जाए? तब अगले महीने की 5 तारीख यानी 5 मई तक रकम हर हाल में जमा कर दें। इससे आप केवल अप्रैल का ब्याज गंवाएंगे। उसके बाद आपको बाकी 11 महीने के लिए समूची रकम पर ब्याज मिलता रहेगा। आप जिस महीने की 5 तारीख को एकमुश्त रकम लगाएंगे उसी महीने से ब्याज जोड़ा जाएगा, पूरे 12 महीने के लिए नहीं।

पीपीएफ में निवेश इसलिए भी अच्छा माना जाता है क्योंकि आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत आपकी करयोग्य आय में 1.5 लाख रुपये तक की कटौती हो सकती है। साथ ही मियाद पूरी होने पर मिलने वाली रकम पर भी कोई कर नहीं काटा जाता।

मगर पीपीएफ के साथ दिक्कत यह है कि नकदी फंस जाती है क्योंकि आप निवेश शुरू करने के 7 साल बाद ही इसमें से कुछ रकम निकाल सकते हैं। अरोड़ा कहते हैं, ‘इसमें लॉक-इन 15 साल का है और पहले रकम निकालनी है तो भी 7 साल इंतजार करना पड़ता है। हालांकि 5 साल बाद ही पीपीएफ खाता बंद करने की इजाजत मिलती है मगर यह बच्चों की आगे की पढ़ाई या जानलेवा बीमारी के इलाज के लिए ही मिलती है।’

पीपीएफ में एकमुश्त रकम निवेश करने पर आप कुछ मौके चूक भी सकते हैं। ठक्कर का कहना है, ‘इसमें रकम लगाने पर आपके पास ऐसी योजनाओं में निवेश करने के लिए पैसा ही नहीं बचता, जहां ऊंचा रिटर्न मिल सकता है या लंबी अवधि के निवेश से ज्यादा रकम मिल सकती है।’ यह भी ध्यान रहे कि सरकार पीपीएफ पर मिलने वाले ब्याज की दर बदलती रहती है।

ऐसे में पीपीएफ उनके लिए ज्यादा माकूल होता है, जिनका लक्ष्य दूर है और जो कर भी बचाना चाहते हैं। माईमनीमंत्र डॉट कॉम के संस्थापक और प्रबंध निदेशक राज खोसला पीपीएफ को निवेश के लिए बेहतरीन साधन मानते हैं। उनके मुताबिक यह उन लोगों के लिए ज्यादा अच्छा है, जो बेवजह जोखिम मोल नहीं लेना चाहते।

मगर कुछ निवेशकों को इसमें निवेश करने से पहले सोचना चाहिए। ठक्कर की सलाह है, ‘जिन लोगों को कुछ अरसे बाद ही नकदी चाहिए, उन्हें पीपीएफ में एकमुश्त निवेश से पहले सोच लेना चाहिए। उन्हें पहले देख लेना चाहिए कि जरूरत भर की नकदी उनके पास आ जाएगी या नहीं, उसके बाद ही पीपीएफ में रकम लगानी चाहिए।’ जिन्हें ज्यादा रिटर्न की चाहत है, उन्हें भी दूसरे विकल्पों पर गौर करना चाहिए और जोखिम उठाने की कुव्वत, जीवन की स्थिति तथा दीर्घकालिक लक्ष्यों के हिसाब से ही निवेश करना चाहिए।

अगर आपको पीपीएफ का भरपूर फायदा उठाना है तो इसमें निवेश कम उम्र में ही शुरू कर देना चाहिए और नियमित रूप से रकम डालते रहना चाहिए। ठक्कर ब्याज दरों पर लगातार नजर बनाए रखने की भी सलाह देते हैं। पीपीएफ से कर का फायदा मिलता है मगर इसमें लंबे अरसे के लिए निवेश करना होता है। इसलिए ऊंचा रिटर्न पाना है तो दूसरे साधनों के जरिये अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाना अच्छा रहेगा।

अरोड़ा कहते हैं, ‘पीपीएफ पर मिलने वाली ब्याज दर अमूमन सावधि जमा और बचत खातों की तुलना में बेहतर है। मगर लंबी अवधि में यह इक्विटी लिंक्ड बचत योजनाओं (ईएलएसएस) जितना रिटर्न नहीं दे पाता। इसलिए अधिक जोखिम लेने सक्षम लोगों को ईएलएसएस पर विचार करना चाहिए। उसमें लॉक-इन भी केवल तीन साल का होता है।’

First Published - April 29, 2024 | 9:50 AM IST

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