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Health insurance: सहूलियत और प्रीमियम की तुलना करें फिर सही हेल्थ इंश्योरेंस चुनें

पिछले 12 महीने में बीमा का रीन्यूअल यानी नवीकरण कराने वाले 52 फीसदी लोगों के प्रीमियम की रकम 25 फीसदी से भी ज्यादा बढ़ गई।

Published by
कार्तिक जेरोम   
बिंदिशा सारंग   
Last Updated- June 03, 2024 | 12:24 AM IST

Health insurance: स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम लगातार बढ़ रहे हैं। लोकलसर्कल्स ने स्वास्थ्य बीमा कराने वाले 11,000 लोगों से बात की, जिसमें पता लगा कि पिछले 12 महीने में बीमा का रीन्यूअल यानी नवीकरण कराने वाले 52 फीसदी लोगों के प्रीमियम की रकम 25 फीसदी से भी ज्यादा बढ़ गई।

बीमा वितरण प्लेटफॉर्म पॉलिसीएक्स ने देश की पांच सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के औसत प्रीमियम लेकर एक सूचकांक बनाया।

सूचकांक दिखाता है कि अप्रैल-जून 2024 तिमाही में नई पॉलिसियों के लिए प्रीमियम साल भर पहले की तुलना में 5.54 फीसदी बढ़ गई हैं।

महंगा होता इलाज

प्रीमियम बढ़ने की एक बड़ी वजह इलाज के खर्च में लगातार बढ़ोतरी भी है। पिछले कुछ सालों में इलाज औसतन 12 से 15 फीसदी महंगा हुआ है, जिस वजह से स्वास्थ्य बीमा के दावों में रकम भी बढ़ती जा रही है।

रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के मुख्य कार्य अधिकारी (CEO) राकेश जैन कहते हैं, ‘चिकित्सा तकनीक में प्रगति होने और स्वास्थ्य सुविधाएं भी पहले से बेहतर होने के कारण इलाज का खर्च बढ़ता जा रहा है।’

कभी-कभी कुछ ऐसे जीवनरक्षक ऑपरेशन भी करने पड़ते हैं जो महंगे होते हैं और जिनके कारण अस्पताल का कुल बिल बढ़ जाता है।

केयर हेल्थ इंश्योरेंस में क्लेम और अंडरराइटिंग प्रमुख मनीष डोडेजा के मुताबिक दवा, इंप्लांट और दूसरी सामग्री महंगी होने के कारण भी अस्पताल के बिल बढ़ते जा रहे हैं। बीमा के दावे बढ़ने का एक बड़ा कारण जीवनशैली से जुड़ी समस्याएं और दूसरी बीमारियां भी हैं, जिनमें से कुछ पर्यावरण बिगड़ने के कारण हो रही हैं। इंश्योरेंस समाधान की सह-संस्थापक शिल्पा अरोड़ा कहती हैं, ‘भारत में डायबिटीज के मामले इतने ज्यादा हैं कि इसे दुनिया की मधुमेह राजधानी कहा जा सकता है। उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, कैंसर आदि बीमारियां भी लगातार बढ़ रही हैं।’

वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान और उसके बाद अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की तादाद बहुत बढ़ी, जिससे बीमा कंपनियों के पास आने वाले दावों की संख्या में भी भारी इजाफा हुआ। इससे बीमा कंपनियों पर भी बोझ बढ़ गया।

पीएलएनआर के संस्थापक अजय पृथि बताते हैं कि बार-बार दावे आने और उनमें रकम बहुत अधिक होने के कारण बीमा कंपनियों का भी खर्च बहुत बढ़ गया। शिल्पा के हिसाब से बीमा का दायरा कम होने के कारण भी प्रीमियम अधिक हैं। उन्हें लगता है कि बीमा का दायरा बढ़ेगा तो कंपनियों का खर्च या लागत ज्यादा ग्राहकों के बीच बंट जाएगी। बीमा प्रीमियम पर लगने वाला 18 फीसदी वस्तु एवं सेवा कर (GST) भी इसे महंगा बनाता है।

असोसिएशन ऑफ रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स के बोर्ड सदस्य विशाल धवन बताते हैं कि समूह बीमा यानी ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम कम रखा जाता है। इसकी भरपाई व्यक्तिगत बीमा पॉलिसी का प्रीमियम बढ़ाकर की जाती है।

महंगी जीवनशैली

प्रीमियम बढ़ने के व्यक्तिगत कारण भी होते हैं। डोडेजा कहते हैं, ‘पॉलिसी के प्रीमियम की दरों में कोई इजाफा न हो तो भी व्यक्ति की उम्र बढ़ने पर प्रीमियम बढ़ जाता है।’

जीवनशैली महंगी होने का भी असर पड़ता है। जैसे-जैसे संपन्नता बढ़ रही है वैसे-वैसे लोग भी महानगरों में महंगे अस्पतालों में जाना और वातानुकूलित कमरों में रहकर इलाज कराना पसंद करते हैं। कुछ मरीज तो सुइट तक लेते हैं। इलाज के पूरे पैकेज की कीमत इस बात पर भी निर्भर करती है कि मरीज किस तरह के कमरे में रह रहा है।

तोल-मोल कर पोर्ट करें

स्वास्थ्य बीमा को खरीदकर भूल नहीं जाना चाहिए। जैन की राय है, ‘विभिन्न कंपनियों की स्वास्थ्य पॉलिसियों की तुलना करते रहिए ताकि आपको सबसे अच्छा प्रीमियम और कवरेज मिले।’

अगर आपको ऐसी पॉलिसी मिल जाती है तो कम प्रीमियम पर मौजूदा पॉलिसी जैसी या उससे बेहतर कवरेज मिल रही हो तो उसमें पोर्ट कर सकते हैं यानी पॉलिसी बदल सकते हैं।

मूल पॉलिसी के साथ सुपर टॉपअप खरीदना भी बेहतर विकल्प हो सकता है। धवन का सुझाव है कि सुपर टॉपअप में डिडक्टिबल मूल पॉलिसी की बीमा राशि के बराबर होना चाहिए। अगर किसी युवा के पास स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी है तो उसे शादी के बाद इसे फ्लोटर पॉलिसी में बदलना चाहिए और अपनी पत्नी तथा बाद में संतान को भी इसमें जोड़ लेना चाहिए। सभी सदस्यों के लिए अगल-अलग बीमा लेने के बजाय ऐसा करना सस्ता पड़ेगा।

जो लोग तंदुरुस्ती का बड़ा ख्याल रखते हैं, उन्हें शिल्पा ऐसी पॉलिसी लेने की सलाह देती हैं, जिसमें कसरत करने पर छूट मिलती हो। मिसाल के तौर पर दिन में इतने कदम चलें और छूट पाएं जैसे ऑफर वाली पॉलिसी।

डोडेजा के हिसाब से पॉलिसी कई साल के लिए खरीदनी चाहिए क्योंकि उससे प्रीमियम में बढ़ोतरी भी नहीं होती और उम्र का दायरा बढ़ने पर प्रीमियम में इजाफे से भी मुक्ति मिल जाती है। धवन बढ़िया समूह बीमा पॉलिसी लेने की सलाह देते हैं।

First Published : June 3, 2024 | 12:24 AM IST