8th Pay Commission: देश के 1.2 करोड़ से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए एक बड़ी सौगात जल्द ही दस्तक दे सकती है। सालों से जिस 8वें वेतन आयोग की चर्चा चल रही थी, अब वो हकीकत का रूप लेता नजर आ रहा है। ब्रोकरेज फर्म एंबिट कैपिटल की ताजा रिपोर्ट ने उम्मीदों को और बल दे दिया है, जिसमें कहा गया है कि कर्मचारियों और पेंशनर्स की सैलरी में 30 से 34 फीसदी तक की बढ़ोतरी संभव है। यह खबर सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत लेकर आई है।
पिछले यानी 7वें वेतन आयोग की तुलना में इस बार की संभावित बढ़ोतरी काफी ज्यादा मानी जा रही है। खास बात ये है कि सैलरी की गणना का मुख्य आधार माना जाने वाला फिटमेंट फैक्टर भी इस बार बड़ा बदलाव ला सकता है। हालांकि, आयोग के गठन और इसकी शर्तों को अंतिम रूप देने में देरी के कारण लागू होने की तारीख पर अभी भी सस्पेंस बरकरार है।
अगर सब कुछ तय समय पर हुआ, तो यह वेतन सुधार सिर्फ तनख्वाह में इजाफा नहीं, बल्कि देशभर के बाजारों में एक नई रफ्तार का आगाज बन सकता है।
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8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 1.83 से 2.46 के बीच रहने की संभावना है। इसका मतलब है कि कर्मचारियों की मौजूदा बेसिक सैलरी को इस गुणक से बढ़ाकर नई सैलरी तय की जाएगी। उदाहरण के लिए, 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 था, जिसके चलते न्यूनतम बेसिक सैलरी 7,000 रुपये से बढ़कर 18,000 रुपये हो गई थी। हालांकि, महंगाई भत्ते (DA) को रीसेट करने के बाद वास्तविक बढ़ोतरी सिर्फ 14.3 फीसदी रही। इस बार भी फिटमेंट फैक्टर के आधार पर सैलरी में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
हालांकि, आयोग की शर्तों और इसके अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति में देरी के चलते जनवरी 2026 से इसे लागू करना मुश्किल लग रहा है। एंबिट कैपिटल की रिपोर्ट के मुताबिक, 7वां वेतन आयोग लागू होने में 18 से 24 महीने का वक्त लगा था। अगर इस बार भी प्रक्रिया में देरी हुई, तो 8वां वेतन आयोग वित्त वर्ष 2026-27 (FY27) में लागू हो सकता है।
पेंशनर्स के लिए भी इस आयोग से अच्छी खबर है। रिपोर्ट के अनुसार, पेंशनर्स को बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी का लाभ मिलेगा। हालांकि, उन्हें हाउस रेंट अलाउंस (HRA) या अन्य भत्तों का फायदा नहीं मिलेगा, जिसके चलते उनकी बढ़ोतरी कर्मचारियों की तुलना में थोड़ी कम होगी। इसके अलावा, यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) के तहत पेंशनर्स को उनकी आखिरी सैलरी का 50 फीसदी हिस्सा आधार वेतन के रूप में गारंटी दी गई है। यह स्कीम अप्रैल 2025 से लागू हो चुकी है और यह नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) का विकल्प बनी है।
इस बढ़ोतरी का असर सरकारी खजाने पर भी पड़ेगा। एंबिट कैपिटल का अनुमान है कि सैलरी और पेंशन में 30-34 फीसदी की बढ़ोतरी से सरकार पर 1.3 से 1.8 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इसका जीडीपी पर 30-50 बेसिस पॉइंट का असर हो सकता है। लेकिन, इस बढ़ोतरी से उपभोक्ता खर्च में तेजी आएगी, जिसका फायदा FMCG, बैंकिंग, रिटेल और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों को मिलेगा।
वेतन आयोग का गठन हर 10 साल में किया जाता है ताकि सरकारी कर्मचारियों की सैलरी को निजी क्षेत्र के बराबर रखा जा सके और सरकारी नौकरियों में प्रतिभाशाली लोगों को आकर्षित किया जा सके। एंबिट कैपिटल की रिपोर्ट के मुताबिक, यह आयोग न सिर्फ सैलरी को अपग्रेड करेगा, बल्कि देश की आर्थिक गतिविधियों को भी रफ्तार देगा।
अब सभी की नजरें केंद्र सरकार के अगले आधिकारिक ऐलान और आयोग की रूपरेखा पर टिकी हैं। अगर प्रक्रिया में तेजी आई, तो 1.2 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी और पेंशनर्स को जल्द ही नई सैलरी और पेंशन का तोहफा मिल सकता है।