ऐसे समय में जब शेयर और सोना जैसे परिसंपत्ति वर्गों ने निवेशकों को अधिक रिटर्न दिया हो और वे लगभग अपने शीर्ष स्तर पर कारोबार कर रहे हों, निवेशकों को अक्सर अपने निवेश के लिए सही विकल्प तलाशने में मुश्किल आती है। ऐसे में आपके पोर्टफोलियो आवंटन के लिए फंड ऑफ फंड्स (एफओएफ) एक प्रभावी विकल्प हो सकता है। हालिया बजट में किए गए कर बदलावों ने इन फंडों का आकर्षण और बढ़ा दिया है।
एफओएफ कई अन्य म्युचुअल फंड योजनाओं में निवेश करते हैं। एफओएफ फंड मैनेजर एफओएफ के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न योजनाएं चुनता है। क्वांटम ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) के मुख्य निवेश अधिकारी चिराग मेहता ने कहा, ‘एफओएफ एक तरह से उसी का विस्तार है जिसके कारण निवेशक म्युचुअल फंडों में आते हैं – पेशेवर प्रबंधन की तलाश। एफओएफ निवेशकों को एक जगह कई समाधान उपलब्ध कराता है जिससे उन्हें काफी सहूलियत होती है।’
एफओएफ में निवेश करने से निवेशकों को विविधीकरण का लाभ मिलता है। मोतीलाल ओसवाल एएमसी के मुख्य कारोबार अधिकारी और कार्यकारी निदेशक अखिल चतुर्वेदी ने कहा, ‘तमाम फंडों में निवेश करते हुए एफओएफ खराब प्रदर्शन करने वाले फंडों के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकते हैं। इस प्रकार इससे निवेश के समग्र जोखिम को कम करने में मदद मिलेगी।’
एफओएफ विभिन्न प्रकार के होते हैं। कुछ एफओएफ परिसंपत्ति आवंटन पर आधारित होते हैं, जो इक्विटी, डेट और सोना-चांदी जैसी कमोडिटी के मेल वाले साधनों में निवेश करते हैं। ऐसी योजनाओं में जोखिम भी अलग-अलग होता है। इसलिए इनमें विभिन्न जोखिम प्रोफाइल- आक्रामक, मध्यम अथवा कंजर्वेटिव- की योजनाएं शामिल हो सकती हैं।
इक्विटी एफओएफ जैसी कुछ योजनाएं परिसंपत्ति विशेष पर केंद्रित होती हैं। वे घरेलू इक्विटी फंड या विदेशी म्युचुअल फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में निवेश कर सकती हैं। कुछ एफओएफ इनहाउस फंड तक ही सीमित रहते हैं, जबकि कुछ अन्य दूसरे फंड हाउस की योजनाओं में भी निवेश करते हैं।
एफओएफ, ऐक्टिव अथवा पैसिव दोनों फंडों में निवेश कर सकते हैं। मेहता ने कहा, ‘पैसिव एफओएफ पोर्टफोलियो में किसी परिसंपत्ति वर्ग की कमी को दूर करते हैं। मल्टी-ऐसेट अथवा इक्विटी रणनीतियों के लिए ऐक्टिव एफओएफ बेहतर हैं, क्योंकि भारतीय बाजार में लंबी अवधि में ही बेहतर प्रदर्शन की गुंजाइश दिखती है।’
एफओएफ किसी लक्ष्य वाले म्युचुअल फंड योजनाओं के डायरेक्ट प्लान में निवेश करते हैं। मगर एफओएफ का अतिरिक्त खर्च भी होता है जिसे वे निवेशक से वसूलते हैं। वित्तीय योजनाकार पारुल माहेश्वरी ने कहा, ‘एफओएफ का एक नुकसान यह है कि इसमें अतिरिक्त खर्च होता है। इस अतिरिक्त खर्च का वहन निवेशक को करना पड़ता है।’
एफओएफ किसी निवेशक के पोर्टफोलियो में जरूरत से ज्यादा विविधता ला सकता है। चतुर्वेदी ने कहा, ‘इससे पोर्टफोलियो के भीतर एकल रूप से शानदार प्रदर्शन करने वाली परिसंपत्तियों से अधिक लाभ हासिल करने की संभावना सीमित हो सकती है अथवा बेहतर प्रदर्शन करने वाले फंडों का प्रभाव घट हो सकता है।’
केंद्रीय बजट 2024 में कराधान संबंधी नियमों में बदलाव ने एफओएफ में निवेशकों की रुचि बढ़ा दी है। इन योजनाओं पर पहले डेट योजनाओं के तौर पर कर लगाया जाता था, जहां स्लैब दर के हिसाब से लाभ पर कर लगाया जाता था।
बजट के बाद नियम बदल गए हैं। अब इक्विटी ईटीएफ में 90 फीसदी से अधिक रकम निवेश करने वाले एफओएफ पर 12.5 फीसदी कर लगाया जाता है, बशर्ते लाभ 12 महीने की होल्डिंग अवधि के बाद बुक किया गया हो। अल्पकालिक पूंजीगत लाभ (12 महीने से कम समय की होल्डिंग अवधि पर) पर 20 फीसदी कर लगाया जाता है।
चतुर्वेदी ने कहा, ‘कर कुशलता बेहतर होने के कारण इक्विटी एफओएफ को अब अलग इक्विटी फंड जैसा ही माना जाता है।’
पहली बार निवेश करने वाले या एक जगह कई समाधान तलाशने वाले निवेशकों के लिए एफओएफ आदर्श विकल्प है। माहेश्वरी ने कहा, ‘एफओएफ उन निवेशकों के लिए अच्छा विकल्प है जिन्हें अधिक जानकारी नहीं होती अथवा जो अपने पोर्टफोलियो में खुद कोई बदलाव नहीं करना चाहते हैं।’ निवेशक को इक्विटी केंद्रित एफओएफ में कम से कम 5 साल के लिए निवेश करना चाहिए।