विश्लेषकों का मानना है कि दो प्रमुख बैंक बंद होने की वजह से अगले कुछ महीनों के दौरान अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दर वृद्धि चक्र की रफ्तार धीमी रहने का अनुमान है। विश्लेषकों को दर वृद्धि में नरमी आने से वैश्विक इक्विटी बाजारों को राहत मिलने की संभावना है।
कई विश्लेषक अब यह उम्मीद कर रहे हैं कि सिलिकन वैली बैंक (SVB) और सिग्नेचर बैंक बंद होने से पैदा हुए संकट के बीच अमेरिकी केंद्रीय बैंक 21-22 मार्च को होने वाली अपनी दो-दिवसीय बैठक के बाद 25 आधार अंक तक की दर वृद्धि करेगा। इससे पहले विश्लेषक ब्याज दर में 50 आधार अंक का इजाफा होने का अनुमान जता रहे थे।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक एवं निदेशक यू आर भट का कहना है, ‘हालात काफी हद तक अमेरिका में बैंकिंग संकट पर निर्भर करेंगे। यदि इस संकट से जुड़ी अन्य समस्याएं सामने आती हैं, तो बाजारों में ब्याज दर में नरमी से जुड़ी राहत लंबी नहीं टिक पाएगी। इसके अलावा, रूस-यूक्रेन युद्ध और जिंस (Commodity) कीमतों पर उसके प्रभाव, अल नीनो की संभावना और अगले कुछ महीनों में भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर ऐसे कुछअन्य कारक हैं जिन पर बाजार की नजर लगी रहेगी।’
आंकड़ों से पता चलता है कि घरेलू तौर पर, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने वित्त वर्ष 2024 में भारतीय इक्विटी बाजारों से अब तक 33,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है। लेकिन समान अवधि के दौरान घरेलू निवेशकों ने भारतीय बाजारों में 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया।
सेंसेक्स और निफ्टी में मौजूदा वित्त वर्ष में करीब 1 और 2.4 प्रतिशत की कमजोरी आई है। स्मॉलकैप सेगमेंट ज्यादा प्रभावित हुआ और बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक में वित्त वर्ष 2023-24 में अब तक करीब 4 प्रतिशत की गिरावट आई। हालांकि मिडकैप का प्रदर्शन बेहतर रहा है, क्योंकि इस अवधि के दौरान उसमें सिर्फ करीब 0.4 प्रतिशत की गिरावट आई।
वेलेंटिस एडवायजर्स के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक ज्योतिवर्द्धन जयपुरिया का कहना है, ‘अमेरिकी फेड द्वारा कुछ हद तक नरम रुख अपनाए जाने की संभावना है और वह ताजा घटनाक्रम को देखते हुए पहले के 50 प्रतिशत के अनुमान की बजाय अब 25 आधार अंक तक की वृद्धि कर सकता है। मेरा मानना है कि इसका वैश्विक इक्विटी बाजारों पर सकारात्मक असर दिखेगा। पिछले कुछ महीनों से सीमित दायरे में घूम रहे भारतीय बाजार ऐसा होने पर कुछ राहत महसूस कर सकते हैं और साथ ही एफआईआई प्रवाह के संदर्भ में उन्हें मदद मिल सकती है।’
नोमुरा के विश्लेषकों ने एक ताजा रिपोर्ट में लिखा है कि एशियाई इक्विटी बाजार अमेरिका में पैदा हुए बैंकिंग संकट के प्रभाव से काफी हद तक अलग हैं, लेकिन किसी विपरीत घटनाक्रम की स्थिति में सतर्कता बनी रहेगी। विश्लेषकों का मानना है कि एमएससीआई ऑल कंट्रीज एशिया एक्स-जापान इंडेक्स वर्ष 2023 के अंत तक 700 पर पहुंच जाएगा, जो मौजूदा स्तरों से 12 प्रतिशत अधिक है। हालांकि हमें अमेरिकी बैंकिंग संकट का एशियाई शेयरों पर बहुत ज्यादा असर पड़ने की आशंका नहीं दिख रही है, लेकिन ऐसे घटनाक्रम का डर हमेशा बना रहता है।