भारत में एंजेल इन्वेस्टिंग (Angel Investing) यानी स्टार्टअप कंपनियों में शुरुआती निवेश करने की परंपरा अभी ठीक से शुरू ही हुई थी कि उस पर संकट मंडराने लगा है। भारत में एंजेल फंड्स में अब तक 1.2 अरब डॉलर (करीब ₹10,000 करोड़) की पूंजी लग चुकी है, लेकिन अब ये पूरा सिस्टम खतरे में है। कारण है – ज़्यादा रेगुलेटरी दखल और नियमों की पेचीदगियां।
जब कोई अमीर व्यक्ति शुरुआती दौर की कंपनियों (Startups) में जोखिम उठाकर निवेश करता है, तो उसे Angel Investing कहा जाता है। इस निवेश से न केवल इनोवेशन को बढ़ावा मिलता है, बल्कि नए एंटरप्रेन्योर भी तैयार होते हैं। पहले सरकार ने Angel Tax नाम से एक टैक्स लगाया था जिसमें स्टार्टअप द्वारा जुटाए गए फंड को उनकी आमदनी मान लिया जाता था और उस पर टैक्स लगता था। अब भले ही ये टैक्स हटा दिया गया है, लेकिन नया नियम और भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। अब SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) चाहती है कि जो भी व्यक्ति एंजेल फंड्स में निवेश करना चाहता है, वह पहले “Accredited Investor” यानी मान्यता प्राप्त निवेशक बने।
Accredited बनने के लिए व्यक्ति को यह साबित करना होगा कि उसकी सालाना आय ₹2 करोड़ से ज़्यादा है या उसकी नेटवर्थ ₹7 करोड़ से ज़्यादा है। लेकिन अभी तक सिर्फ 650 लोग ही भारत में ऐसा दर्जा हासिल कर पाए हैं। जबकि वास्तविकता में हजारों लोग इन शर्तों को पूरा करते हैं, लेकिन वे इसका प्रमाण देने से हिचकते हैं।
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भारत में टैक्स डिपार्टमेंट छोटे दुकानदारों तक को UPI ट्रांजैक्शन के आधार पर नोटिस भेज देता है। ऐसे में कोई भी व्यक्ति अपनी पूरी वित्तीय जानकारी किसी तीसरे व्यक्ति को देना नहीं चाहता, क्योंकि उसे डर है कि कहीं उसे टैक्स का झटका न लग जाए। इसके अलावा “एंजेल टैक्स” जैसी पुरानी नीतियों का डर अभी लोगों के मन में ताज़ा है।
SEBI का कहना है कि वो एंजेल इन्वेस्टिंग को कंपनी कानून (Companies Act) से आज़ाद करना चाहती है, क्योंकि कानून के मुताबिक कोई भी कंपनी सिर्फ 200 लोगों को ही प्राइवेट शेयर्स दे सकती है। इससे ज़्यादा लोगों को जोड़ना है तो IPO लाना पड़ेगा। SEBI का प्लान है कि एंजेल फंड्स में निवेश करने वालों को “Qualified Institutional Buyer” (QIB) माना जाए ताकि वे इस लिमिट से बाहर हो जाएं।
SEBI कहती है कि अगर कोई आम इंसान QIB का दर्जा चाहता है, तो उसे पहले Accredited बनना होगा। लेकिन Accreditation की प्रक्रिया काफी मुश्किल और निजी जानकारी मांगती है, जिसे देने में ज़्यादातर लोग हिचकिचाते हैं।
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SEBI चाहती है कि सरकार टैक्स डाटा बेस से ही “Yes/No” के आधार पर चेक कर ले कि कोई व्यक्ति इन शर्तों को पूरा करता है या नहीं। अगर ऐसा सिस्टम बन जाए, तो बिना निजी डाक्यूमेंट्स दिए लोग Accredited बन सकते हैं।
भारत के स्टार्टअप्स को शुरुआती दौर में बहुत फंडिंग की ज़रूरत होती है। अगर Angel Investors ही पीछे हट जाएंगे, तो बहुत-से होनहार इनोवेटर्स को कभी वेंचर कैपिटल या बड़े इन्वेस्टर्स से मिलने का मौका नहीं मिलेगा। ऐसे में देश का इनोवेशन और एंटरप्रेन्योरशिप धीमा हो जाएगा।
(ब्लूमबर्ग के इनपुट के साथ)