यूबीएस ने भारत समेत उभरते बाजारों (ईएम) पर तेजी का नजरिया अपनाया है। उसे लगता है कि बेहतर आर्थिक रुझान, आय संशोधनों में सकारात्मक रफ्तार तथा ईएम की मजबूत मुद्राएं इन अर्थव्यवस्थाओं को उच्च मूल्यांकन बनाए रखने तथा निवेश आकर्षित करने में मदद कर रही हैं। विभिन्न क्षेत्रों के लिहाज से उसने मुख्यभूमि चीन को आकर्षक और चाइना टेक को सबसे आकर्षक की श्रेणी में अपग्रेड किया है जबकि फिलिपींस को डाउनग्रेड करते हुए तटस्थ श्रेणी में रखा है।
यूबीएस के विश्लेषकों ने हाल में एक नोट में लिखा, हम ईएम इक्विटीज़ (एमएससीआई ईएम) को आकर्षक स्तर पर अपग्रेड करते हैं। इसकी वजह रचनात्मक आर्थिक पृष्ठभूमि को दर्शाता है और फेड की आसान नीति और कमजोर अमेरिकी डॉलर के कारण वित्तीय स्थितियों में सुधार है। हमारे पसंदीदा बाजार मुख्यभूमि चीन, भारत, ब्राजील और इंडोनेशिया हैं।
यूबीएस ने कहा कि हाल में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को सरल बनाने, आयकर में कटौती और केंद्रीय बैंक की दर कटौती से भारत में उपभोग को बढ़ावा मिलेगा। यूबीएस के अनुसार इस कारण सुधार की उम्मीदों के बीच भारतीय इक्विटी पर उसका आकर्षक दृष्टिकोण है।
यूबीएस ने कहा कि इसके अलावा चीन के तकनीकी दिग्गजों की से धन कमाने की क्षमता में बढ़ता भरोसा और नवाचार में तेजी व तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में चीन की प्रतिबद्धता के साथ -साथ हो रही प्रगति, परिसंपत्ति वर्ग के लिए अहम मददगार बने हुए हैं।
यूबीएस ने कहा, वैश्विक और घरेलू स्तर पर तरलता में सुधार, वैश्विक निवेशकों की लगातार कमजोर स्थिति और भौगोलिक विविधता की नई तलाश इस संभावना को और मजबूत कर रही हैं। हमारे आधार परिदृश्य में हालिया उथल-पुथल के बावजूद अब भी लगता है कि अमेरिका-चीन के बीच बड़े पैमाने पर व्यापार टकराव की संभावना कम ही है। यूबीएस का मानना है कि ईएम इक्विटी में निवेश का मामला इस परिसंपत्ति वर्ग के पेश होने के बाद से काफी विकसित हुआ है क्योंकि कमोडिटीज और वित्तीय क्षेत्र की तुलना में बड़ी संख्या में ईएम शेयरों पर दांव लगाया जा सकता है।
यूबीएस ने कहा कि एमएससीआई ईएम इंडेक्स के करीब आधे हिस्से में अब तकनीक, तकनीक-केंद्रित उपभोक्ता और दूरसंचार-संबंधित ऐसी कंपनियां हैं जो आर्टिफिशल इंटेलिजेंस नवाचार में अग्रणी हैं और वैश्विक तकनीक व एआई आपूर्ति श्रृंखलाओं में अहम भूमिका निभाती हैं। यूबीएस ने कहा, कुल मिलाकर अमेरिका के साथ-साथ उभरते बाजार वैश्विक स्तर पर उन कुछ क्षेत्रों में शामिल हैं जो संरचनात्मक तकनीकी वृद्धि में प्रत्यक्ष निवेश का अवसर प्रदान करते हैं।
यूबीएस की दलील है कि उभरते बाजारों से पोर्टफोलियो में विविधता भी आती है क्योंकि इनमें भारत जैसी घरेलू अर्थव्यवस्थाएं, ब्राजील जैसी चक्रीय अर्थव्यवस्थाए या मुख्यभूमि चीन जैसे कई कारकों के मिलेजुले रुप वाली आर्थव्यवस्थाएं शामिल होती हैं। यूबीएस ने कहा, वैश्विक तनाव के दौर में अस्थिरता बढ़ सकती है लेकिन स्थिर समय में स्थानीय कारक अक्सर प्रमुख बन जाते हैं जिससे पोर्टफोलियो संतुलित करने में मदद मिलती है।
इन सकारात्मक गतिशीलता को दर्शाते हुए यूबीएस ने दिसंबर 2025 के लिए अपने एमएससीआई ईएम लक्ष्यों को 1,420 (वर्तमान 1,389 से 2.2 फीसदी अधिक) और जून 2026 के लिए 1,470 के स्तर तक बढ़ा दिया है। इसकी वजह एआई अपनाने और मुद्रीकरण के बल पर होने वाली तेजी है। उसे 2026 में 14 फीसदी की बेहतर आय बढ़ोतरी की उम्मीद है जो 2025 से 10 फीसदी से अधिक है।
यूबीएस ने कहा कि उभरते बाजारों के शेयरों ने सालाना आधार पर मजबूती से अगुआई की है और अमेरिकी डॉलर के लिहाज से इसमें करीब 28 फीसदी की वृद्धि हुई है। साथ ही और ज्यादातर उभरते बाजारों ने वैश्विक बाजारों से बेहतर प्रदर्शन किया है।