रिलायंस कैपिटल के सबसे बड़े बोलीदाता टॉरंट समूह को नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के मुंबई पीठ से अंतरिम राहत मिली है। ट्रिब्यूनल ने लेनदारों से कहा है कि नीलामी के बाद की गई हिंदुजा समूह की पेशकश को अगली सुनवाई तक वह रोके रखे।
रिलायंस कैपिटल के लिए 8,640 करोड़ रुपये की पेशकश करने वाले टॉरंट समूह ने लेनदारों से कहा था कि नीलामी के बाद हिंदुजा की तरफ से की गई 9,000 करोड़ रुपये की पेशकश वह स्वीकार न करे क्योंकि देर से की गई पेशकश पूरी प्रक्रिया को चुनौतीपूर्ण बना देगी।
आज की सुनवाई में सीओसी के वकील ने पीठ को सूचित किया कि समिति ने अभी अंतिम फैसला नहीं लिया है क्योंकि सभी पेशकश पर कानूनी जांच परख हो रही है। सीओसी के वकील ने एनसीएलएटी जाने के लिए एक हफ्ते का वक्त मांगा। अदालत में हिंदुजा समूह का प्रतिनिधित्व किसी ने नहीं किया।
प्रशासक के वकील ने कहा कि बोली की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी रही है, जिसका मकसद लेनदारों के लिए अधिकतम रकम हासिल करने का रहा है। इसकी अगली सुनवाई 12 जनवरी को होगी।
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मौजूदा कानूनी संघर्ष के कारण आज की लेनदारों की समिति की बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला। नीलामी के दौरान हिंदुजा ने 8,110 करोड़ रुपये की पेशकश की थी, लेकिन बाद में उसने 9,000 करोड़ रुपये की पेशकश कर दी और 100 फीसदी अग्रिम नकदी की बात कही।
दूसरी ओर टॉरंट समूह ने सिर्फ 3,750 करोड़ रुपये अग्रिम नकदी की पेशकश की। लेनदार सामान्य तौर पर वोटिंग के दौरान अग्रिम नकदी को ज्यादा भारांक देते हैं ताकि उनकी पूंजी जल्द से जल्द मुक्त हो जाए। रिलायंस कैपिटल को नवंबर 2021 में एनसीएलटी भेजा गया था जब उसने 24,000 करोड़ रुपये के कर्ज भुगतान में चूक की थी।