रेणुका मेहता और उनके पति मुंबई के उपांत में मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज (एमओएसएल) की फ्रेंचाइजी यश सिक्योरिटीज चलाते हैं। इससे पहले मेहता दंपति एफएमसीजी उत्पादों के वितरक थे।
यह चार साल पहले की बात है और तब से लेकर अब तक शेयर बाजार में आए बूम एवं कम निवेश का तकाजा है कि लोग अब ब्रोकिंग कारोबार की ओर रूख कर रहे हैं और लिहाजा इसके लिए ब्रोकिंग फ्रैंचाइजी के लिए होड़ मची है। इस बात का अंदाजा इसीसे लगाया जा सकता है कि मेहता दंपति को हर हफ्ते दूसरे ब्रोकरों से दूसरी फ्रैंचाइजी लेने के लिए फोन आते रहते हैं।
इतना ही नहीं बल्कि इसके बदले में दूसरे अन्य ब्रोकरों के मुकाबले मुफ्त कारोबारी खाते एवं ज्यादा लचीला शिफ्ट भी प्रस्तावित किया जा रहा है। इक्विटी ब्रोकिंग में गिरते वॉल्यूम एवं ज्यादा कठिन बिक्री के लक्ष्यों के कारण फ्रैंचाइजी देने का चलन चल पड़ा है क्योंकि अब उत्पादों (म्युचुअल फंड, बीमा पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाएं) का वितरण राजस्व के नए उत्पादक बन गए हैं।
जबकि ब्रोकिंग फ्रैंचाइजी पाने के लिए 500 वर्ग फीट की जगह एवं 20 लाख रुपये जमा करने की दरकार होती है। हाल ही में एमओएसएल ने एमओएसएल एक्सक्लूसिव के नाम से एक उत्पाद लांच किया है जिसे फ्रैंचाइजी के जरिए ही प्रस्तावित किया जाना है। मुंबई स्थित इस कंपनी के कुल 100 कंपनी केंद्र एवं 1,400 फ्रैंचाइजी केंद्र हैं जिसे अगले पांच सालों के दौरान 2,000 किया जाना है।
इस बाबत एमओएसएल के कारोबार रणनीति एवं उत्पाद विकास विभाग के निदेशक मनीश शाह का कहना है कि उनके पास विभिन्न प्रकार के लोगों मसलन एफएमसीजी वितरक, निर्यातक, प्रॉपर्टी ब्रोकर एवं किराना दुकानदारों के फ्रैंचाइजी को लेकर फोन आते रहते हैं। हालांकि ब्रोकिंग अभी भी पूरी तरह अपने रंग में नही आया है और लोग बाजार में मंदी के दौरान ही कारोबार को मजबूत करने की कोशिश करते हैं।
जाहिर तौर पर फ्रैंचाइजी के चलन में आने के बाद से महाराष्ट्र एवं गुजरात से इतर दूसरे राज्यों में एमओएसएल को अपनी पैठ बनाने में फायदा मिला है। मसलन, बिहार एवं झारखंड में कंपनी की 170 फ्रैंचाइजी है। शाह आगे कहते हैं कि इसको लेकर पूछताछ करने वाले 100 लोगों में से 70 वैसे लोग पूछताछ करते हैं जो वित्तीय सेवा उद्योग से जुड़े भी नही हुए हैं।
ओसवाल के अलावा कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग भी अपने पीएमएस उत्पादों को फ्रैंचाइजी के जरिए उतारने की योजना बना रहे हैं। हालांकि इसे देने के मामले में कंपनी के वैकल्पिक चैनल नेटवर्क के प्रमुख विकास अग्रवाल का कहते हैं इसको लेकर कंपनी काफी चूजी है और सही एवं जिम्मेवार लोगों को ही फ्रैंचाइजी देने का हमारा इरादा है।
अग्रवाल के मुताबिक इनके लिए आने वाले फोन में 80 फीसदी लोग वित्तीय क्षेत्र की पृष्ठभूमि वाले होते हैं। साथ ही फ्रैंचाइजी का कारोबार किस कदर अहम बनता चला जा रहा है इसका इसी बात से पता लगाया जा सकता है कि जनवरी में बाजार के गिरने के बाद से कार्वी इसका विस्तार करने की सोच रहा है।
यूटीआई सिक्योरिटीज ने एसटीसीआई कैपिटल मार्केट को फिर से ब्रांडेड करने के बाद फ्रैंचाइजी देने के लिए एक अलग विभाग स्थापित किया है और इसके लिए इसने एक समन्वयक को भी नियुक्त किया है। एसटीसीआई कैपिटल मार्केट के एमडी पीआर सोमसुंदरम के मुताबिक हम उम्मीद करते हैं कि फ्रैंचाइजी लेने वाले खुद से ही बेहतर काम को अंजाम देंगे।
लिहाजा हम कंपनी केंद्रों से होने वाले कारोबार में उनके कारोबार को नही जोड़ रहे हैं। हालांकि इन सबके बावजूद मॉर्केट वॉल्यूमों में गिरावट की चोट से फ्रैंचाइजी ब्रोकर भी अछूते नही हैं। इसकी झलक हमें तब देखने को मिली जब 21 जनवरी को बाजार गिरने के बाद ब्रोकरों एवं फ्रैंचाइजी ब्रोकरों के बीच घाटे की भरपाई को लेकर बहस हो गई थी। उस वक्त ब्रोकरों ने फ्रैंचाइजी देनी बंद कर दी थी। मसलन वित्तीय वर्ष 2009 के पहले तिमाही के दौरान कोटक सिक्योरिटीज ने अपने 70 फीसदी फ्रैंचाइजी बंद कर दी थीं।