निवेशकों का उत्साह ठंडा रहने से बीच देसी बाजारों में गिरावट का सिलसिला जारी रहा। अमेरिका में सरकारी प्रतिभूतियों (बॉन्ड) पर प्रतिफल लगातार बढ़ने से निवेशक परेशान नजर आ रहे हैं।
बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का संवेदी सूचकांक सेंसेक्स बुधवार को कारोबार के दौरान 64,879 अंक तक फिसल गया और बाद में 286 अंक (0.44 प्रतिशत) फिसल कर 65,226 पर बंद हुआ। 31 अगस्त के बाद से सेंसेक्स का यह सबसे निचला स्तर है। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी भी 93 अंक (0.47 प्रतिशत) फिसलकर 19,436 पर बंद हुआ। 1 सितंबर के बाद से निफ्टी का यह सबसे निचला स्तर है।
अमेरिका में 10 वर्ष की परिपक्वता अवधि वाले सरकारी बॉन्ड पर प्रतिफल 4.88 प्रतिशत तक पहुंच गया, जो 2007 के बाद का उच्चतम स्तर था। बाद में यह 4.80 प्रतिशत से नीचे आ गया। जर्मनी के 10 वर्ष के बॉन्ड पर भी प्रतिफल 2011 के बाद से पहली बार 3 प्रतिशत के पार चला गया।
निवेशकों को इस बात का डर सता रहा है कि प्रतिफल बढ़ने से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) बिकवाली शुरू कर सकते हैं। पिछले महीने एफपीआई ने घरेलू बाजारों में 2 अरब डॉलर मूल्य के शेयरों की बिकवाली की थी। शेयरों में निवेश करने से जुड़ा जोखिम-लाभ अनुपात आकर्षक नहीं रह गया है।
15 सितंबर को दर्ज 67,839 और 20,192 के स्तर से क्रमशः सेंसेक्स और निफ्टी लगभग 4 प्रतिशत फिसल गए है। बॉन्ड पर प्रतिफल बढ़ने से इस साल अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने के आसार फिर बढ़ गए हैं। इससे निवेशकों के बीच जोखिम लेने का माद्दा कम हो गया है।
शुक्रवार को भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) मौद्रिक नीति की घोषणा करने वाला है और इससे पहले भी निवेशक थोड़े सतर्क दिख रहे हैं। इस सप्ताह अमेरिका में रोजगार के आंकड़े उम्मीद से बेहतर रहने के बाद बॉन्ड पर प्रतिफल बढ़े हैं। फेडरल रिज़र्व के प्रतिनिधियों की तरफ से सतर्क बयान आने से भी बॉन्ड पर प्रतिफल में तेजी दिख रही है।
बाजार में मौजूदा हालात पर मोतीलाल ओसवाल के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा, ‘हमें लगता है कि आने वाले सप्ताहों में बाजार में कमजोरी चुनौतियां दूर होने तक जारी रह सकती है। अगले सप्ताह से दूसरी तिमाही के नतीजे आने शुरू हो जाएंगे और मोटे तौर पर यही माना जा रहा है कि दूसरी तिमाही के अनुरूप ही आंकड़े रह सकते हैं। आने वाले समय में बाजार की दिशा स्थानीय एवं वैश्विक आर्थिक हालात और कंपनियों की आय के आंकड़ों पर निर्भर करेंगे।‘
एमके इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज में कारोबार विकास प्रमुख जयकृष्ण गांधी ने कहा कि दूसरी तिमाही के नतीजों पर सबकी नजरें होंगी क्योंकि इनसे मांग एवं कंपनियों की मुनाफा अर्जित करने की क्षमता का पता चलेगा। गांधी ने कहा कि तेल की कीमतें बढ़ने से कच्चे माल के दाम भी बढ़ते हैं इसलिए दूसरी तिमाही में कंपनियों के अनुमान पर सबकी निगाहें होंगी।
उन्होंने कहा, ‘भारतीय बाजार की संरचना को लेकर किसी तरह की घबराहट नहीं होनी चाहिए मगर निकट अवधि में थोड़ा सावधान तो रहना ही होगा। अमेरिका में बॉन्ड पर प्रतिफल 5 प्रतिशत के निकट पहुंच गया हैै।’