प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को कम करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। यह आह्वान ऐसे समय में किया गया है जब भारत में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में आबादी के अनुपात में अधिक लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। 1990 के बाद से सड़क हादसे में होने वाली मौत का आंकड़ा सबसे अधिक है। पिछले तीन दशक के सरकार के आंकड़ों के विश्लेषण से इसका पता चलता है।
परिवहन मंत्रालय की अगस्त में जारी ‘भारत में सड़क दुर्घटनाएं 2023’ की रिपोर्ट के अनुसार 2023 में प्रति 1 लाख की आबादी पर 12.5 मौतें हुईं। 7 नवंबर को ओडिशा के भुवनेश्वर में भारतीय सड़क सम्मेलन में गडकरी ने दुर्घटनाओं को रोकने के लिए बेहतर सड़क इंजीनियरिंग और सुरक्षा उपायों की आवश्यकता पर जोर दिया। आंकड़ों की बात करें तो देश भर में हर दिन 400 लोगों को सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवानी पड़ रही है। विशेषज्ञ इस वृद्धि के कई कारण बताते हैं।
भारतीय प्रबंध संस्थान, लखनऊ के प्रोफेसर संजय के सिंह ने कहा, ‘भारत में यातायात मिलाजुला होता है यानी मोटर से चलने वाले वाहन और बिना मोटर के वाहन आम तौर पर एक ही सड़क पर फर्राटा भरते हैं जिससे दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है, खास तौर पर पैदल चलने वालों और साइकिल चालकों के लिए। इसके अलावा गति सीमा, शराब पीकर गाड़ी चलाने और ओवरलोडिंग से संबंधित यातायात नियमों का सही तरीके से पालन नहीं करने, आपातकालीन चिकित्सा प्रणाली की पर्याप्ता सुविधा नहीं होने से दुर्घटना के बाद बचने की संभावना कम हो जाती है।’
सिंह ने कहा कि सड़क अवसंरचना और डिजाइन में सुरक्षा को पर्याप्त प्राथमिकता नहीं दी जाती है जिससे भी दुर्घटना के मामले बढ़ते हैं।
महामारी से पहले के वर्षों में जनसंख्या के सापेक्ष मौतों की संख्या स्थिर थी या कभी-कभी कम भी हुई थी। उदाहरण के लिए 2017 में यह 2011 की तुलना में कम थी। कोविड-19 को नियंत्रित करने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों के दौरान सड़क दुर्घटना में मरने वालों की संख्या कम हो गई थी लेकिन इस अस्थायी राहत के बाद 2022 में एक नया उच्च स्तर आया और 2023 में और बढ़ गया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या आधिकारिक आंकड़ों से अधिक हो सकती है। अंतरराष्ट्रीय सड़क महासंघ (आईआरएफ) के आंकड़ों के आधार पर नेपाल, चीन और ब्राजील कम आंकड़े दिखाते हैं, जो भारत के मामले में परिवहन मंत्रालय के आंकड़ों पर निर्भर करते हैं। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि उसके अनुमान राष्ट्रीय स्वास्थ्य डेटा जैसे अन्य स्रोतों पर भी आधारित हैं। भारत के लिए डब्ल्यूएचओ का अनुमान प्रति 1 लाख की आबादी पर 15.4 मौतें होती हैं जो आधिकारिक मंत्रालय के आंकड़े से अधिक है।
भारत में सड़क सुरक्षा: स्थिति रिपोर्ट 2023 में उल्लेख किया गया है कि 43 फीसदी देशों के लिए डब्ल्यूएचओ का अनुमान 1.5 गुना अधिक है और 26 फीसदी के लिए उन देशों द्वारा बताई गई आधिकारिक दर से 3 गुना से अधिक है। इस रिपोर्ट के लेखक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली में परिवहन अनुसंधान और चोट निवारण केंद्र के गीतम तिवारी, राहुल गोयल और कवि भल्ला हैं।