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छोटी कारों को छूट पर नहीं बनी सहमति, SIAM ने BEE को कैफे-3 और कैफे-4 मसौदे पर अंतिम टिप्पणियां सौंपी

सूत्रों ने बताया कि चर्चा के दौरान 3 से 4 कार विनिर्माताओं ने छोटी कारों के लिए वजन आधारित छूट का समर्थन किया, एक तटस्थ रहा जबकि शेष 14-15 ने इसका विरोध किया

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दीपक पटेल   
Last Updated- November 10, 2025 | 10:47 PM IST

वाहन विनिर्माताओं के संगठन सायम ने पिछले सप्ताह ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) को कैफे-3 और कैफे-4 के मसौदे पर अपनी अंतिम टिप्पणियां सौंप दी हैं। सायम ने स्वीकार किया कि सदस्यों में छोटी कारों के लिए उत्सर्जन में प्रस्तावित वजन आधारित छूट पर आम सहमति नहीं बन पाई। बिज़नेस स्टैंडर्ड को इस बारे में जानकारी मिली है।

ऊर्जा दक्षता ब्यूरो ने 25 सितंबर को संशोधित मसौदा जारी किया था जिसके बाद सायम ने अपने सदस्यों के साथ करीब 45 दिनों तक गहन विचार-विमर्श किया। घटनाक्रम के जानकार सूत्रों ने बताया कि चर्चा के दौरान 3 से 4 कार विनिर्माताओं ने छोटी कारों के लिए वजन आधारित छूट का समर्थन किया, एक तटस्थ रहा जबकि शेष 14-15 ने इसका विरोध किया।

इस छूट को लेकर वाहन उद्योग में साल की शुरुआत से ही तीखी बहस चल रही है और इसका कोई हल नजर नहीं आ रहा है। एक सूत्र ने बताया, ‘बीईई को दी अपनी प्रस्तुति में सायम ने कहा है कि छोटी कारों के लिए छूट पर मिलीजुली राय है और उसने अंतिम फैसला बीईई पर छोड़ दिया है।’

कैफे फ्रेमवर्क औसत कार्बन-डाइऑक्साइड उत्सर्जन लक्ष्य निर्धारित करता है जिसे प्रत्येक वाहन विनिर्माता के बेड़े को पूरा करना होता है। इसके तहत बेचे गए प्रत्येक वाहन के लिए प्रति किलोमीटर उत्सर्जित कार्बन-डाइऑक्साइड को ग्राम में मापा जाता है। अगर कोई कंपनी इन लक्ष्यों को पूरा नहीं करती है तो बीईई जुर्माना लगा सकता है।

बीईई ने कैफे-3 और कैफे-4 मानदंडों का पहला मसौदा जून 2024 में प्रकाशित किया था जो अप्रैल 2027 से मार्च 2037 तक लागू होंगे। सायम ने दिसंबर 2024 में अपनी प्रारंभिक टिप्पणियां प्रस्तुत कीं, जिनमें कई बदलाव की मांग की गई थी। कुछ महीने बाद मारुति सुजूकी ने स्वतंत्र रूप से बीईई से संपर्क कर छोटी कारों के लिए वजन आधारित छूट के माध्यम से राहत का अनुरोध किया, जिससे उद्योग के भीतर विभाजन के पहले संकेत दिखाई दिए।

इस साल 25 सितंबर को बीईई ने पहली बार वजन आधारित छूट को शामिल करते हुए संशोधित मसौदा जारी किया। इसके अनुसार 909 किलोग्राम तक वजन वाले, 1,200 सीसी से कम इंजन क्षमता और 4,000 मिलीमीटर से कम लंबाई वाले पेट्रोल वाहनों को उनके घोषित कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 3 ग्राम/किलोमीटर की अतिरिक्त छूट मिलेगी।

ताजा घटनाक्रम की जानकारी के लिए सायम से संपर्क किया गया मगर उसने कोई टिप्पणी नहीं की। दिलचस्प है कि पिछले सप्ताहांत बीईई को दी अपनी प्रस्तुति में सायम ने कहा था कि उसे 25 सितंबर के मसौदे में फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों और फ्लेक्स-फ्यूल से चलने में सक्षम स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कारों के लिए दी गई राहतों पर कोई आपत्ति नहीं है। सायम ने इस पर एकमत रुख अपनाया है, जबकि प्रमुख इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माताओं ने चिंता जताई कि वीडीएफ से फ्लेक्स-फ्यूल से चलने वाले स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड वाहन अनुपालन गणनाओं में ईवी के काफी करीब दिखाई देते हैं जबकि उनका वास्तविक उत्सर्जन अधिक होता है।

वीडीएफ एक गुणक है जिसका उपयोग किसी विनिर्माता के बेड़े के औसत कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन की गणना करने के लिए किया जाता है, जिससे कुछ कम उत्सर्जन वाले वाहनों, जैसे कि स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड या ईवी, को एक से अधिक वाहनों के रूप में गिना जा सकता है। यह कागज पर बेड़े के औसत उत्सर्जन को प्रभावी रूप से कम करता है जिससे अनुपालन आसान हो जाता है।

सीएनएफ ईंधन के प्रकार के आधार पर घोषित उत्सर्जन पर कुछ प्रतिशत छूट देती है। इससे फ्लेक्स-फ्यूल या फ्लेक्स-फ्यूल अनुकूल स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड वाहनों को 22.3 फीसदी तक की छूट मिल जाती है। इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माताओं का तर्क था कि जब सीएनएफ छूट को वीडीएफ के साथ जोड़ दिया जाता है, तो इन कारों से होने वाला कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कागजों पर पर और कम हो जाता है।

First Published : November 10, 2025 | 10:26 PM IST