बाजार में बेहतर रिटर्न के लिए प्रोफेशनल पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवा (पीएमएस) मुहैया कराने वालों पर अब समृद्ध ग्राहकों का भरोसा लगातार बढ़ता जा रहा है। पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवा देने वाले मैनेजर फीस लेकर अपने ग्राहकों के पोर्टफोलियो का प्रबंधन करते हैं या सलाह देते हैं। सभी पीएमएस योजनाओं में न्यूनतम निवेश 50 लाख रुपये होना चाहिए जबकि म्युचुअल फंडों के लिए यह महज 500 रुपये है।
निवेश के अधिकार सौंपने वाली पीएमएस योजनाएं सबसे लोकप्रिय हैं। ऐसी किसी पीएमएस योजना में फंड मैनेजर पोर्टफोलियो में खरीद और बिक्री के सभी निर्णय लेता है। इन पीएमएस योजनाओं के तहत ग्राहकों की संख्या सितंबर 2025 में 2,00,000 को पार कर गई। दिसंबर 2010 से अब तक के आंकड़ों में यह सबसे अधिक ग्राहक संख्या है। तब यह तादाद 67,417 थी।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बीती 24 अक्टूबर को एक परिपत्र जारी किया था। इसमें एक प्रबंधक से दूसरे प्रबंधक को कारोबार हस्तांतरित करने के लिए पीएमएस उद्योग में एकीकरण की व्यवस्था बताई गई थी। इस ढांचे में पूरे कारोबार या उसके हिस्सों के हस्तांतरण की अनुमति है। परिपत्र में कहा गया है, कारोबारी सुगमता तथा सरलीकरण के मकसद से पीएमएस कारोबार के हस्तांतरण की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है।
परिपत्र में एक ही समूह के भीतर तथा उन पोर्टफोलियो प्रबंधकों के बीच एकीकरण के मानदंड तय किए गए हैं, जो भले ही एक दूसरे से नहीं जुड़े हों। एकीकरण के मानदंड उद्योग में प्रबंधन के तहत रिकॉर्ड परिसंपत्तियों के बीच जारी हुए हैं, जो उन निवेशकों की तलाश से आए हैं जो म्युचुअल फंड जैसी ज्यादा व्यापक योजनाओं की तुलना में नए और निजी तरीके चाहते हैं।
वित्तीय योजनाकार जयंत विद्वांस के अनुसार, कई एचएनआई ग्राहक अपने निवेश में विविधता चाहते हैं। पिछले एक साल में बाजार काफी हद तक सीमित दायरे में रहा है। लिहाजा, निवेशक ऐसे साधनों-योजनाओं की तलाश में हैं जो सीमित लाभ की अवधि में औसत से ज्यादा रिटर्न दे सकें। विद्वांस के अनुसार, कई पीएमएस योजनाओं का प्रदर्शन कमजोर रहा है। बावजूद इनकी रफ्तार कम होने की संभावना नहीं है।
ऐसे पीएमएस प्रदाताओं द्वारा प्रबंधित धनराशि सितंबर 2025 में 40.3 लाख करोड़ रुपये के उच्च स्तर को छू गई। यह दिसंबर 2010 के आंकड़ों के बाद सबसे अधिक है। तब यह रकम 3.6 लाख करोड़ रुपये थी। हालांकि इन मुख्य आंकड़ों में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) और इसी तरह के संगठनों के निवेश भी शामिल हैं।
इन आंकड़ों को छोड़ दें तो सितंबर 2025 तक मुख्य संपत्तियां 11.9 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गईं, जो महामारी के दौर में शेयर बाजार में आई तेजी से पहले सितंबर 2019 में दर्ज 4.5 लाख करोड़ रुपये की राशि से दोगुनी से भी ज्यादा है।
ऐसेट मैनेजर रोहा वेंचर के मुख्य निवेश अधिकारी धीरज सचदेव ने कहा, अमेरिका तक में भी कई तरह के मनी मैनेजरों की मौजूदगी है। लोग अपने धन प्रबंधन के लिए और अधिक समाधान चाहते हैं।
सचदेव ने कहा कि म्युचुअल फंडों के विपरीत निवेश के आधार पर इनके शुल्क पर सौदेबाजी की जा सकती है और ऐसे ग्राहकों की आम तौर पर फंड मैनेजर से सीधे बात होती है। इससे पोर्टफोलियो को ग्राहक अनुकूल बनाने में मदद मिलती है। पीएमएस रणनीतियों का आमतौर पर मिड-कैप और स्मॉल-कैप कंपनियों की ओर झुकाव होता है, जिसके लिए लार्ज-कैप कंपनियों में निवेश वाली योजनाओं की तुलना में अलग दृष्टिकोण की जरूरत होती है।