वैश्विक सबप्राइम संकट और मोहक डेरिवेटिव में निवेश से भारतीय बैंकों के लाभोत्पादकता संबंधी चिंताओं की वजह से सोमवार को शेयर बाजार में बैंकिंग के स्टॉक में भारी गिरावट देखी गई। बंबई स्टॉक एक्सचेंज
विश्लेषक कहते हैं कि बैंकों के लुभावने डेरिवेटिव में निवेश के प्रतिकूल रुप से प्रभावित होने को लेकर निवेशक सावधान हो गए हैं। निजी क्षेत्र के नई पीढ़ी के कई बैंक और विदेशी बैंकों को
, जिन्होंने ऐसी लुभावनी डेरिवेटिव संरचना बेची थी, अब कानूनी विवादों का भय सता रहा है। बैंकों को कॉर्पोरेट, खास तौर से छोटे और मझोले उद्योगों, द्वारा भुगतान न किए जाने से नुकसान उठाना पड़ सकता है। एक बैंकिंग विश्लेषक का कहना है, ‘ऋण–संकट से उबरने के लिए बैंक कदम उठा रहा है।बैंकों के पास जो बाँड हैं उनकी अवधि चार से पांच वर्षों की है। समय के साथ स्प्रेड में मजबूती आएगी और इन उपकरणों से बैंकों को दीर्घावधि में लाभ होगा। वैश्विक तौर पर निवेशक वित्तीय कंपनियों से दूर हो रहे हैं और भारत में भी कोई भिन्न् स्थिति नहीं है।
‘ प्रमुख बैंकों, जैसे भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और ऐक्सिस बैंक के शेयरों को सर्वाधिक नुकसान हुआ। आईसीआईसीआई बैंक के शेयर में सोमवार को 13.76 प्रतिशत की गिरावट आई थी और बंबई स्टॉक एक्सचेंज में यह 757.40 रुपए पर बंद हुआ था।देश के सबसे बढ़े ऋणदाता को विदेशी शाखाओं और अनुषंगी इकाईयों के मार्क
–टू–मार्केट घाटे को पूरा करने के लिए इस तिमाही में 700 लाख रुपये डॉलर की अतिरिक्त व्यवस्था करनी है। विदित हो कि आईसीआईसीआई बैंक की विदेशी शाखा और अनुषंगी इकाईयों ने ऋण डेरिवेटिव में निवेश किया था।सबप्राइम संकट के निरंतर प्रभाव से स्प्रेड में भी इजाफा हुआ है।मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज के संयुक्त प्रबंध निदेशक रामदेव अग्रवाल का कहना है, ‘वित्तीय क्षेत्र वैश्विक तौर पर संकट से गुजर रहा है। यह भारतीय बाजार में भी परिलक्षित हो रहा है। बैंकों के संदर्भ में मीडिया णकी ऐसी रिपोर्ट कि इससे डेरिवेटिव लेन–देन प्रभावित होंगे, ने निवेशकों को भी प्रभावित किया है।‘