स्मॉलकैप शेयरों के धराशायी होने के बीच बाजार में चढ़ने-गिरने वाले शेयरों का अनुपात घटकर फरवरी 2023 के बाद के निचले स्तर पर चला गया। यह अनुपात 0.83 रहा और बीएसई पर बढ़त वाले शेयरों के मुकाबले गंवाने वाले शेयर करीब 400 ज्यादा रहे। चढ़ने-गिरने वाले शेयरों का अनुपात बाजार के मनोबल की झलक देता है।
मार्च में निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 13 फीसदी तक नीचे आ गया था। इसकी वजह बाजार नियामक का इनके मूल्यांकन को लेकर चिंता जताना था। इस बीच, निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 6 फीसदी टूटा और निफ्टी 50 इंडेक्स में 3 फीसदी से कम की गिरावट आई। तीनों सूचकांक हालांकि अपने नुकसान से उबर गए हैं और निफ्टी ने माह की समाप्ति 1.6 फीसदी की बढ़त के साथ की जबकि निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 में क्रमश: 0.54 फीसदी व 4.4 फीसदी की गिरावट आई।
यह लगातार दूसरा महीना है जब गिरने वाले शेयरों की संख्या चढ़ने वाले शेयरों से ज्यादा रही। फरवरी में स्मॉल व मिडकैप सूचकांक मामूली नुकसान के साथ बंद हुए थे। पिछले महीने गिरने वाले शेयरों की संख्या चढ़ने वालों के मुकाबले सिर्फ 89 ज्यादा थी। अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 के बीच की अवधि में (लगातार 10 महीने) चढ़ने वाले शेयरों की संख्या गिरने वाले शेयरों की संख्या के मुकाबले औसतन 272 ज्यादा रही है।
विशेषज्ञों ने कहा कि पिछले दो महीने में चढ़ने-गिरने वाले शेयरों का कमजोर अनुपात संकेत देता है कि बाजार में उल्लास का माहौल थोड़ा ठंडा पड़ा है। तीव्र उतारचढ़ाव और स्मॉलकैप व माइक्रोकैप के कुछ चुनिंदा शेयरों में भारी नुकसान के कारण थोड़ी सतर्कता बढ़ी है।
13 मार्च को निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 5.3 फीसदी टूटा था जबकि निफ्टी मिडकैप 100 में 4.4 फीसदी की फिसलन हुई थी जो करीब दो साल में उनकी सबसे बड़ी एकदिवसीय गिरावट थी। सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच ने स्मॉलकैप के भावों में तेजी को लेकर चिंता दोहराई तो इनमें बड़ी गिरावट आई। उन्होंने कहा था कि बाजार में बुलबुले वाले कुछ क्षेत्र हैं और इस तरह के बुलबुले नहीं बनने देना चाहिए।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के खुदरा शोध प्रमुख दीपक जसानी ने कहा कि चढ़ने-गिरने वाले शेयरों का अनुपात स्मॉल व मिडकैप के प्रदर्शन की गतिविधि होती है। हमने मार्च की शुरुआत में स्मॉल और मिडकैप में कमजोर प्रदर्शन देखा है जो जारी है। बाद में हालांकि कुछ सुधार हुआ है लेकिन यह कहीं-कहीं देखा गया है। लंबे समय तक बढ़त का रुख करने वाले स्मॉल व मिडकैप में गिरावट संभावित थी।
परिदृश्य इस पर निर्भर करेगा कि नतीजों का सीजन कैसा रहता है। अगर स्मॉल और मिडकैप फर्में चौथी तिमाही में अच्छे नतीजे देती हैं तो हम इनमें खरीदारी फिर से देख सकते हैं, लेकिन इसमें अभी देर है यानी यह अप्रैल के आखिर या मई के शुरू में हो सकता है।
उन्होंने कहा, नियामक ने ऊंचे भावों को लेकर भी चेताया है और यह बात म्युचुअल फंड मैनेजरों व निवेशकों के जेहन में रहेगी और जब तक ऐसे सतर्क बयान खत्म नहीं होंगे लोग इनसे दूर ही रहेंगे।
सेबी की सतर्कता के बाद कई म्युचुअल फंडों ने स्मॉलकैप योजनाओं में निवेश प्रतिबंधित कर दिया। निवेशकों को डर है कि विगत में म्युचुअल फंडों से मिलने वाला खरीदारी का सहारा आगे सीमित रह सकता है और इससे भी स्मॉलकैप में निवेश को लेकर सेंटिमेंट पर असर पड़ा है।