भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 2023 के शुरुआती 3 महीनों में 80 से 84 रुपये के बीच रहने की संभावना है। रुपये को विदेश से आने वाले धन से मदद मिलेगी। हालांकि चालू खाते का घाटा (सीएडी) बढ़ने और अमेरिका व भारत के बीच ब्याज दर का अंतर घटने से चुनौती बढ़ जाएगी।
बिज़नेस स्टैंडर्ड पोल में शामिल 10 हिस्सेदारों में ज्यादातर का कहना है कि जनवरी में डॉलर प्रवाह के कारण रुपया मजबूत हो सकता है। साथ ही उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) भी 1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश होने के पहले मुद्रा को गिरने नहीं देगा। 2022 में रुपये में 10.15 प्रतिशत की गिरावट आई है। 2013 के बाद रुपये का अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन 2022 में रहा है। यूरोप में युद्ध औऱ अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में बढ़ोतरी किए जाने से निवेशकों को उभरते बाजारों से भागने को प्रोत्साहन मिला। 2022 में एक डॉलर के मुकाबले रुपया 82.74 पर बंद हुआ।
आईएफए ग्लोबल के संस्थापक और सीईओ अभिषेक गोयनका ने कहा, ‘स्थिति थोड़ी बेहतरी की ओर जा सकती है। पिछले 2 महीने में रुपये में ठीक ठाक गिरावट हो चुकी है।’ गोयनका ने कहा, ‘नए साल में संभावना है, हम कुछ डॉलर प्रवाह देख सकते हैं। मुझे नहीं लगता कि बहुत सक्रियता से बाजार 83 रुपये प्रति डॉलर के आंकड़े पर पहुंचेगा। अगर इस स्तर पर जाता भी है तो टिकेगा नहीं। बजट भी आने वाला है। बजट के पहले मुझे नहीं लगता कि वे (आरबीआई और सरकार) चाहेंगे कि रुपया बहुत गिर जाए।’सीआर फॉरेक्स के प्रबंध निदेशक अमित पाबरी ने कहा, ‘2022 में महंगाई दर अधिक थी, ब्याज दरें ज्यादा थीं। वृद्धि दर कम थी और पूंजी अमेरिका जा रही थी। इसकी वजह से उभरते बाजारों में डॉलर मजबूत होता रहा और इसका रुपये पर भी असर रहा।’
पाबरी ने कहा, ‘बहरहाल 2023 में प्रवेश करने पर विदेश और भारत में महंगाई कम होने के संकेत मिल रहे हैं। केंद्रीय बैंक, खासकर फेड 2023 में दरों में 2 और बढ़ोतरी के बाद ठहर सकता है।’भारतीय रुपये को जनवरी-मार्च में विदेश से आने वाले मौसमी उभार की वजह से समर्थन मिलेगा। यह समर्थन केंद्रीय बैंक की ओर से भी आ सकता है, जो 2022 में किसी तेज उतार चढ़ाव के खिलाफ सक्रिय था। आईडीएफसी फर्स्ट बैंक में अर्थशास्त्री गौरा सेनगुप्ता ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि डॉलर और रुपया एक सीमा के भीतर बने रहेंगे और इनका कारोबार 81 से 83.5 के बीच होगा। मौसमी वजहें और फेड से नरमी की बाजार की अपेक्षाएं ऊपरी छोर को 83.50 तक सीमित करेंगी। रिजर्व बैंक डॉलर कमजोर होने पर विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा सकता है, जिससे रुपया 81 के नीचे आने के स्तर से बचेगा।’
केंद्रीय बैंक अपने विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल रुपये को समर्थन देने के लिए करता है। 2022 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 70 अरब डॉलर रह घटा।
भारतीय मुद्रा के सामने एक बड़ी चुनौती बिगड़ता चालू खाते का घाटा (सीएडी) है। सितंबर 2022 को समाप्त तिमाही में सीएडी बढ़कर अब तक के सर्वोच्च स्तर 36.4 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। यह देश के सकल घरेलू उत्पाद का 4.4 प्रतिशत है। इसकी वजह यह है कि वाणिज्यिक व्यापार का घाटा बढ़ रहा है।
अमेरिका और भारत में दरों में अंतर घटने का दबाव भी रुपये पर पड़ रहा है। इसकी वजह से कुछ हिस्सेदार मार्च तक रुपये में गिरावट की उम्मीद कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि रुपया प्रति डॉलर 83.5 से 84 तक पहुंच सकता है।
बार्कलेज में भारत के मुख्य अर्थशास्त्री और प्रबंध निदेशक राहुल बाजोरिया ने कहा, ‘हमें लगता है कि मार्च के अंत तक डॉलर के मुकाबले रुपया 84 पर पहुंच जाएगा क्योंकि अभी अमेरिकी मौद्रिक नीति में सख्ती चल रही है। ऐसे में दरों में अंतर भारत के खिलाफ जा रहा है।’
बाजोरिया ने कहा, ‘वहीं भुगतान संतुलन की स्थिति सुधर रही है, लेकिन इसमें तेज सुधार नहीं है। हम यह भी उम्मीद कर रहे हैं कि रिजर्व बैंक कुछ डॉलर खरीदेगा, जिससे उसका भंडार फिर बन सके। इस तरह से कम प्रदर्शन की उम्मीद की जा सकती है।’
2023 में उतना उतार चढ़ाव रहने की उम्मीद नहीं है, जितना 2022 में देखा गया, लेकिन कमजोरी का कुछ चक्र आ सकता है।