बैंकों की सावधि जमाओं के मुकाबले डेट म्युचुअल फंडों को मिलने वाले कर लाभ को समाप्त करने के सरकारी कदम ने 40 लाख करोड़ रुपये वाले परिसंपत्ति प्रबंधन उद्योग को चौंकाया है। कराधान में बदलाव का असर एएमसी के शेयरों पर दिका और डेट फंड की मार्केट लीडर एचडीएफसी एएमसी का शेयर 4 फीसदी से ज्यादा टूट गया। यूटीआई एएमसी व आदित्य बिड़ला सन लाइफ एएमसी के शेयर भी 4 फीसदी से ज्यादा टूटे।
एसबीआई एमएफ के डिप्टी एमडी डी पी सिंह ने कहा, यह कदम हमारे लिए अवरोधक है। डेट योजनाओं के मामले में इंडेक्सेशन का फायदा योजनाएं बेचने के लिहाज से काफी अहम था। यह बदलाव बॉन्ड बाजार को बेहतर बनाने की कोशिशों के लिहाज से भी हानिकारक होगा।
क्वांटम एएमसी के सीआईओ चिराग मेहता ने कहा, आगे बैंक एफडी व डेट एमएफ के बीच कोई कर आर्बिट्रेज नहीं होगा, जो आकर्षण के अहम कारकों में से एक रहा है। यह डेट एमएफ में निवेश पर काफी असर डाल सकता है। इसके अतिरिक्त गोल्ड ईटीएफ व कराधान के लिहाज से डेट फंडों की श्रेणी में आने वाले फंड ऑफ फंड्स में भी निवेश घट सकता है।
कराधान में बदलाव ने डेट फंडों को लेकर चिंता पैदा की है, जहां गैर-संस्थागत निवेशकों की सीमित संख्या है और यहां के निवेशक अब बैंक एफडी का रुख करेंगे। निवेश का यह नुकसान परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों के राजस्व पर असर डालेगा।
सिर्फ डेट फंडों का प्रबंधन करने वाले एकमात्र फंड हाउस ट्रस्ट एमएफ को लगता है कि कराधान में बदलाव से लंबी अवधि में डेट फंडों में होने वाले निवेश प्रभावित होंगे। ट्रस्ट एमएफ के सीईओ संदीप बागला ने कहा, अल्पावधि में कोई असर शायद नहीं दिखेगा लेकिन यह लंबी अवधि में डेट फंडों में निवेश हासिल करने की म्युचुअल फंडों की क्षमता पर असर डाल सकता है।
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि एमएफ के राजस्व पर काफी कम असर पड़ेगा क्योंकि डेट-इक्विटी का अनुकूल मिश्रण होता है।
सीएलएसए ने एक रिपोर्ट में कहा, हमारा मानना है कि इसका काफी कम असर होगा क्योंकि एएमसी को ज्यादातर राजस्व इक्विटी एयूएम से हासिल होता है और गैर-लिक्विड डेट एयूएम न तो उच्च बढ़त वाले होते हैं और न ही उच्च लाभ वाले क्षेत्र हैं। ब्रोकरेज ने कुल राजस्व में गैर-नकदी डेट योजनाओं का योगदान एयूएम के कुल राजस्व में 11 से 14 फीसदी रहने का अनुमान जताया है।
लिक्विड व ओवरनाइट फंड नकद योजनाएं मानी जाती हैं क्योंकि इसमें काफी लिक्विडिटी होती है और सुरक्षा भी। इस बदलाव का अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन, लो ड्यूरेशन व मनी मार्केट पर न्यूनतम असर पड़ सकता है क्योंकि निवेशकों को वास्तव में तरजीही कराधान का शायद ही लाभ होता है। इन योजनाओं में निवेश सामान्य तौर पर अल्पावधि वाले होते हैं, जहां कर लाभ निवेश की तीन साल की अवधि पूरी होने पर मिलता है।
उद्योग की कुल 13.4 लाख करोड़ रुपये की डेट प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों में 8.6 लाख करोड़ रुपये यानी कुल डेट एयूएम का 62 फीसदी फरवरी नकदी व अल्पावधि वाली डेट योजनाओं में था।
विशेषज्ञों का मानना है कि डेट फंड मैनेजर निवेश पर पड़ने वाले असर को कम कर सकते हैं, जिसके लिए उन्हें एक्टिव योजनाओं का प्रदर्शन सुधारना होगा और पैसिव फंडों की लागत घटानी होगी।