शेयर बाजार में अक्टूबर में आई गिरावट की वजह से देश के इक्विटी डेरिवेटिव कारोबार में 90 फीसदी की कमी आई है।
जिसके चलते न केवल निवेशक बाजार से किनारा कर रहे हैं, बल्कि शेयर दलाल भी एशिया के इस सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज, बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) को अलविदा कहना ही मुनासिब समझ रहे हैं।
पिछले तीन महीनों में 23 शेयर दलालों ने अपनी मर्जी से डेरिवेटिव कारोबार को छोड़ दिया है। इसके चलते एक्सचेंज के रोजाना के कारोबार में कमी आई है। जनवरी में जब बाजार अपनी ऊंचाई पर था तब रोजाना का कारोबार 1,500 से 2,000 करोड़ रुपये के बीच था जबकि अब यह घटकर 85 लाख करोड़ रुपये तक आ गया है।
गौरतलब है कि जनवरी से अक्टूबर तक बीएसई के संवेदी सूचकांक में 7,697 की ऐतिहासिक गिरावट आई और यह अक्टूबर में 12,500 से 15,000 के बीच में झूलता रहा।
इसके बाद से बाजार में उतार-चढ़ाव का दौर जारी है। शेयर दलाल कारोबार छोड़ने के अपने फैसले को सही ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि जब कारोबार ही मंदा है तो फिर एक्सचेंज को एक्सचेंज मार्जिन देने का क्या मतलब बनता है।
एक शेयर दलाल का कहना है, ‘यह हमारी लागत में कटौती का हिस्सा है। वैसे नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में भी धंधा मंदा है। हम सिर्फ अच्छे वक्त की उम्मीद में एनएसई में मार्जिन का भुगतान कर रहे हैं। लेकिन बीएसई में डेरिवेटिव कारोबार में कमी के चलते वहां ऐसा करना मुनासिब नहीं होगा।’
दरअसल, हर ब्रोकर को दी गई कारोबार सीमा के आधार पर स्टॉक एक्सचेंज को डिपॉजिट मार्जिन मनी का भुगतान करना पड़ता है। बड़े ब्रोकरेज हाउस आमतौर पर ऊंची ब्याज दरों पर कर्ज लेकर इस पैसे का इंतजाम करते हैं। इस साल तकरीबन 30 ब्रोकर बीएसई से अपना डेरिवेटिव कारोबार समेट चुके हैं।
वैसे, यहां पर इस श्रेणी के 300 ब्रोकर हैं लेकिन इसमें से भी मुश्किल से 10 फीसदी ही कारोबार कर रहे हैं। जहां तक एनएसई की बात है तो वहां पर 1,000 डेरिवेटिव ब्रोकर हैं लेकिन वहां पर भी रोजाना के कारोबार में तेजी से कमी आ रही है।
इस साल की शुरुआत में जहां कारोबार 80,000 करोड़ रुपये से 90,000 करोड़ रुपये तक था जो अब सिमटकर महज 15,000 से 20,000 करोड़ रुपये तक ही रह गया है।
वैसे एनएसई निवेशकों को आकर्षित करने की कुव्वत रखता है क्योंकि संस्थागत निवेशक इसी एक्सचेंज को तरजीह देते हैं। वहीं दूसरी ओर बीएसई में नकद बल्क सौदे होते हैं।
वैसे बाजार के अगुआ खिलाड़ियों का मानना है कि नये खिलाड़ियों के उभरने से इस इक्विटी बाजार में एनएसई के दबदबे को खतरा हो सकता है।
इस तरह की खबरें हैं कि मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) की प्रवर्तक कंपनी फाइनैंशियल टैक्नोलॉजीज, करेंसी डेरिवेटिव एक्सचेंज की सफलता के बाद एक इक्विटी एक्सचेंज स्थापित करने के लिए जमीन तैयार करने में लगी है।
गिरावट की वजह से बाजार से किनारा…
डेरिवेटिव कारोबार में कमी की वजह से तीन महीनों में 23 शेयर दलालों ने अपनी मर्जी से डेरिवेटिव कारोबार को छोड़ दिया है। इसके चलते बंबई स्टॉक एक्सचेंज के रोजाना के कारोबार में भारी कमी आई है।