छोटे और मझोले उद्यमों (एसएमई) के आईपीओ की गुणवत्ता को लेकर चिंता और उल्लंघन के बढ़ते मामलों के बीच स्टॉक एक्सचेंजों ने निवेश बैंकों से कहा है कि वे आईपीओ दस्तावेज जमा कराने से पहले जांच बढ़ाएं और वास्तविकता परीक्षण करें। यह घटनाक्रम बाजार नियामक सेबी की तरफ से बीएसई को हाल में एक एसएमई आईपीओ को सूचीबद्ध कराने से रोकने के बाद देखने को मिला है। इस आईपीओ की उद्योग के भागीदारों ने सेबी से शिकायत की थी।
ताजा रिपोर्ट के मुताबिक छह मर्चेंट बैंकर शुल्क संग्रह के विवादास्पद तरीके को लेकर सेबी की जांच के घेरे में हैं। मंगलवार को आयोजित बैठक में बीएसई के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी सुंदररामन राममूर्ति ने देश भर के 80 से ज्यादा मर्चेंट बैंकरों को आईपीओ लाने वाली कंपनियों की बेहतर जांच को लेकर आगाह किया।
घटनाक्रम से परिचित एक शख्स ने कहा कि एक्सचेंज अब मर्चेंट बैंकरों से कह रहे हैं कि वे स्टॉक एक्सचेंजों की चेकलिस्ट के हिसाब से बारीकी से जांच (ड्यू डिलिजेंस) करें जिसे सेबी के दिशानिर्देशों के तहत बताया गया है। उन्हें बेहतर रूप से वित्तीय कुशाग्र माना जाता है। उनसे कहा गया है कि वे कंपनियों के स्थल पर ज्यादा जाएं और धरातल पर जांच करें।
सूत्रों ने कहा कि स्टॉक एक्सचेंज के स्तर पर कई खामियां मिलने के बाद यह सख्ती की गई है और इन खामियों को आईपीओ दस्तावेज जमा कराए जाने से पहले निवेश बैंकर आसानी से पकड़ सकते थे। ऐसे भी मामले हैं जब कंपनियों ने कार्यशील पूंजी की जरूरत बताई लेकिन अपने निर्गम से ठीक पहले उनकी इन्वेंट्री में अचानक उछाल देखने को मिली या उन्होंने वित्तीय आंकड़ों को बढ़ाया-चढ़ाया।
एक्सचेंजों ने बैंकरों से कहा है कि कंपनी की तरफ से दी गई जानकारी के सत्यापन और पहुंच आदि के लेकर उनके पास बेहतर कुशाग्रता होती है। उन्होंने जोर दिया कि बैंकरों को आईपीओ लाने वाली कंपनियों के दावों के सत्यापन के लिए जमीनी स्तर पर जांच करने की जरूरत है। सटोरिया गतिविधियों पर लगाम और खराब गुणवत्ता वाली एसएमई कंपनियों को सूचीबद्धता से बाहर रखने के लिए एक्सचेंजों की जांच कवायद के बाद मर्चेंट बैंकरों के साथ यह चर्चा हुई है।
एक्सचेंजों ने लाभ और सकारात्मक नकदी प्रवाह पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। पिछले महीने नैशनल स्टॉक एक्सचेंज ने पात्रता की शर्तों में बदलाव किया है और आवेदन से पहले के तीन में से दो वित्त वर्ष में सकारात्मक मुक्त नकदी प्रवाह अनिवार्य कर दिया है। इसके अतिरिक्त एक्सचेंजों ने एसएमई सेगमेंट में सूचीबद्धता के दिन बढ़त भी 90 फीसदी तक सीमित कर दी है।
एसएमई सेगमेंट पर संभावित निगरानी में इजाफे या निवेशकों को आगाह करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में एनएसई को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला। बाजार नियामक एसएमई आईपीओ को लेकर निवेशकों को बार-बार आगाह करता रहा है। उसने अंकेक्षकों से बेहतर तरीके से काम करने को कहा है।
प्रवर्तकों ने धोखाधड़ी वाले तौर-तरीकों और प्रतिभूति नियमों के घोर उल्लंघन के बढ़ते मामलों के कारण सेबी इस साल एसएमई लिस्टिंग को लेकर नियमों को सख्त बना सकता है और इसके लिए परामर्श पत्र जारी कर सकता है। इनमें खुलासे की जरूरतों को लेकर सख्त नियम, पात्रता शर्तें और क्यूआईबी और एंकर निवेशकों के लिए आरक्षित शेयर और अंकेक्षण से जुड़ी जांच शामिल है।
इस साल 165 से अधिक एसएमई आईपीओ आने और निवेशकों की दिलचस्पी काफी ज्यादा बढ़ने के कारण बीएसई एसएमई आईपीओ इंडेक्स इस कैलेंडर वर्ष में करीब 127 फीसदी चढ़ा है। हालांकि पिछले महीने यह करीब 4 फीसदी नीचे आया जिसकी वजह बाजार नियामक के आगाह करने वाले बयान दिया और आदेश थे। इस साल अगस्त तक एसएमई ने आईपीओ के जरिये करीब 5,400 करोड़ रुपये जुटाए हैं और ऐसी फर्मों का बाजार पूंजीकरण करीब 2 लाख करोड़ रुपये है।
सितंबर में बीएसई के पास करीब 31 कंपनियों ने मसौदा दस्तावेज जमा कराए हैं। न सिर्फ आईपीओ आवेदन बल्कि समय के साथ इश्यू का आकार भी बढ़ा है। एसएमई के आईपीओ दस्तावेज की जांच सेबी नहीं करता बल्कि इन्हें एक्सचेंज मंजूरी देते हैं। इसलिए ये आईपीओ जल्द आ जाते हैं।