Stock Market: अमेरिका में मुद्रास्फीति बढ़ने और भू-राजनीतिक चिंताएं बढ़ने से निवेशकों में घबराहट देखी गई, जिससे शेयर बाजार और रुपये में गिरावट आई। इससे बॉन्ड यील्ड भी बढ़ गई और सुरक्षित निवेश के तौर पर सोने की मांग भी तेज हुई।
अमेरिका में मुद्रास्फीति के आंकड़े अनुमान से अधिक रहने के कारण लोगों की इस उम्मीद पर पानी फिरता दिख रहा है कि फेडरल रिजर्व जल्द ही दर घटाएगा। ईरान और इजरायल के बीच तनाव बढ़ने से भू-राजनीतिक माहौल और खराब होने की चिंता भी बढ़ गई है।
भारत-मॉरीशस कर संधि में संशोधन से विदेशी निवेश के प्रवाह पर असर पड़ने की आशंका भी है क्योंकि अब ऐसे निवेश की कड़ाई से जांच की जाएगी। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने आज 8,000 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जो 18 जनवरी के बाद एक दिन में सबसे बड़ी बिकवाली है। मगर देसी संस्थागत निवेशकों ने 6,341 करोड़ रुपये के शेयर खरीद कर बाजार को थोड़ा सहारा दिया।
सेंसेक्स 793 अंक या 1.1 फीसदी टूटकर 74,245 पर बंद हुआ। 13 मार्च के बाद बाजार में यह सबसे बड़ी गिरावट है। निफ्टी 234 अंक या 1.03 फीसदी के नुकसान के साथ 22,519 पर बंद हुआ। इससे पहले के कारोबारी सत्र में दोनों सूचकांक रिकॉर्ड ऊंचाई पर बंद हुए थे। निफ्टी स्मॉलकैप भी 0.45 फीसदी गिरावट पर बंद हुआ।
अमेरिका के ताजा वृहद आर्थिक आंकड़ों को देखते हुए निवेशकों को लग रहा है कि ब्याज दर कटौती में अब देर हो सकती है। 10 वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड की यील्ड 4.5 फीसदी पर थी। गुरुवार को यह 4.58 फीसदी पर बंद हुई थी, जो 13 नवंबर, 2023 के बाद का उच्चतम स्तर था।
अवेंडस कैपिटल पब्लिक मार्केट्स अल्टरनेट स्ट्रैटजीज के मुख्य कार्याधिकारी एंड्रयू हॉलैंड ने कहा, ‘बॉन्ड यील्ड में तेजी ऊंची मुद्रास्फीति की वजह से है और इससे पता लगता है कि ब्याज दरें लंबे अरसे तक ऊंची बनी रहेंगी। कुल मिलाकर एशियाई बाजार थोड़ा कमजोर दिख रहा है, जिसके कारण भारतीय बाजार भी उच्चतम स्तर से नीचे आया है।’
अमेरिका में मुद्रास्फीति के आंकड़ों का असर रुपये और भारतीय सरकारी बॉन्डों पर भी नजर आया। 10 साल के सरकारी बॉन्ड की यील्ड 7 आधार अंक बढ़कर 7.18 फीसदी पर पहुंच गई, जो दो महीनों में सबसे ऊंचा आंकड़ा है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज प्राइमरी डीलरशिप के उपाध्यक्ष नवीन सिंह ने कहा, ‘इन स्तरों को बरकरार रहना चाहिए और 7.20 फीसदी (बॉन्ड यील्ड) से आगे नहीं जाना चाहिए। बॉन्ड में बिकवाली के लिए कोई स्थानीय कारण नहीं है और बाहरी कारक भी एक सीमा तक ही बड़ी बिकवाली करा सकते हैं। अगर खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों में तेजी दिखती है तो चुनौती होगी। भारत में खुदरा मुद्रास्फीति सुरक्षित दायरे में है। अगर वह आगे भी उम्मीद के मुताबिक रही तो मुझे नहीं लगता है कि कोई बड़ी बिकवाली होगी। ऐसी कोई वजह नहीं है कि बाजार की चाल लगातार अमेरिकी घटनाओं से ही तय हो।’
जून में यूरोपियन सेंट्रल बैंक द्वारा दरों में कटौती की बढ़ती उम्मीदों के बीच डॉलर सूचकांक 105.82 तक मजबूत हुआ और रुपये में 23 आधार अंकों की गिरावट आई। अमेरिका में दरों में कटौती की संभावना कम हो गई। रुपया आज 83.42 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। कल यह 83.19 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
ब्रेंट क्रूड में तेजी जारी है और वह 91.87 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है। इजरायल ने ईरान के संभावित हमले से निपटने के लिए कमर कस ली है, जिससे ब्रेंट क्रूड को बल मिला। वैश्विक बाजारों में सोना 2,393 डॉलर प्रति औंस पर नया रिकॉर्ड बना गया। भारतीय बाजारों में इस महीने सोने की कीमतें 9 फीसदी बढ़कर 72,881 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गईं।
आगे कंपनियों के तिमाही नतीजों और पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक स्थिति से बाजार की दिशा निर्धारित होगी। बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर 2,448 शेयर नुकसान में और 1,405 शेयर लाभ में रहे। सेंसेक्स की गिरावट में एचडीएफसी बैंक का सबसे अधिक हाथ रहा और उसका शेयर 1.10 फीसदी गिरावट पर बंद हुआ।