बाजार में भारी गिरावट की वजह से भारत के बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) में 14 लाख करोड़ रुपये (160 अरब डॉलर से अधिक) की गिरावट आई। बाजार पूंजीकरण घटकर 389.3 लाख करोड़ रुपये (4.54 लाख करोड़ डॉलर) रह गया। यह आठ महीनों में बाजार पूंजीकरण में एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट रही। 4 मार्च के बाद से इसका बंद स्तर अपने सबसे निचले पायदान पर पहुंच गया।
बाजार पूंजीकरण को इस डर की वजह से नुकसान पहुंच रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड के जवाबी शुल्कों से वैश्विक व्यापार प्रभावित होगा, वैश्विक वृद्धि धीमी हो जाएगी और अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी में चली जाएगी। सोमवार को बाजार में कोविड के बाद से एक दिन में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई। लेकिन वैश्विक बाजारों की भीषण गिरावट को देखते हुए यह अभी भी मामूली है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले तीन कारोबारी सत्रों में दुनियाभर के बाजारों के मार्केट कैप में 9 लाख करोड़ डॉलर की गिरावट आईहै जिसमें अमेरिका का बड़ा हिस्सा है।
इलारा कैपिटल के शोध प्रमुख बीनो पथीपरम्पिल ने कहा, ‘वैश्विक बाजार अभी भी नए वैश्विक टैरिफ युद्ध को गले उतारने के लिए जूझ रहे हैं। यह अभी भी साफ नहीं है कि अगले कुछ महीनों में वैश्विक कारोबारी माहौल कैसा रहेगा और किसे नुकसान और किसे लाभ होगा। यह अनिश्चितता बाजार में जोखिम बढ़ा रही है। अगले कुछ सप्ताहों में स्थिति कुछ हद तक स्पष्ट होने पर ही हम बाजारों के स्थिर होने की उम्मीद कर सकेंगे। उसके बाद ही पता लग सकेगा कि किसे फायदा होगा और किसे नुकसान।’
24 मार्च के 418 लाख करोड़ रुपये के हाल के ऊंचे स्तर से भारत के बाजार पूंजीकरण में अब तक 29 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आ चुकी है। 27 सितंबर को 478 लाख करोड़ रुपये के अपने सर्वाधिक ऊंचे स्तर की तुलना में बाजार पूंजीकरण में लगभग 89 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आई है। अमेरिकी डॉलर में भारत के बाजार पूंजीकरण में ऊंचे स्तर से 1 लाख करोड़ डॉलर से अधिक की गिरावट देखी गई है।
सोमवार को देश के शीर्ष आठ कारोबारी घरानों के संयुक्त बाजार पूंजीकरण में 4.1 लाख करोड़ रुपये की कमी दर्ज की गई जिसमें टाटा समूह को सबसे अधिक लगभग 1 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह की बाजार वैल्यू करीब 60,000 करोड़ रुपये घटकर 17.4 लाख करोड़ रुपये रह गई जबकि अदाणी समूह की कंपनियोंका मार्केट कैप करीब आधा ट्रिलियन घटकर 12 लाख करोड़ रुपये रह गया। सितंबर से शीर्ष आठ व्यापारिक समूहों के कुल मार्केट कैप में ऊंचे स्तर से करीब 22 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आई है।