SME IPO: सैम वॉल्टन ने अपना पहला स्टोर खोलने के लिए अपने ससुर से 25 हजार डॉलर का कर्ज लिया। उनका यह उद्यम खुदरा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी वॉलमार्ट बन गई और उन्हें अमेरिका का सबसे अमीर व्यक्ति बना दिया।
भारत में भी छोटे कारोबार पारंपरिक रूप से इसी तरह के अनौपचारिक धन स्रोतों पर निर्भर रहते हैं ताकि इन्हें शुरू किया जा सके और फिर बरकरार रखा जा सके। इस साल शायद इसमें बदलाव आया है। सैकड़ों ऐसे कारोबार ने शेयर बाजार से रिकॉर्ड धन जुटाया। हालांकि, बड़ी कंपनियां भी धन जुटाने के लिए शेयर बाजार रुख करती हैं मगर इसके विपरीत छोटे कारोबारी अपनी जुटाई हुई अधिकांश पूंजी को कारोबार में लगाते हैं।
प्राइम डेटाबेस के आंकड़े बताते हैं कि भारतीय शेयर बाजार के छोटे एवं मध्यम उद्यम (एसएमई) खंड में सूचीबद्ध 161 कंपनियों ने कंपनी की जरूरतों को पूरा करने के लिए जुटाई गई रकम का करीब 94 फीसदी आवंटन किया है।
साल 2023 में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के माध्यम से आमलोगों को शेयर बेचने वाली 46 बड़ी कंपनियों के लिए यह आंकड़ा 42 फीसदी का था। जुटाई गई शेष धनराशि उन शेयरधारकों को मिली जो कंपनी से आंशिक या पूरी तरह से बाहर हो गए। साल 2012 के बाद से औसतन एसएमई द्वारा जुटाई गई 90 फीसदी से अधिक धनराशि कंपनी की जरूरतों को पूरा करने पर खर्च की गई।
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अध्ययन से पता चलता है कि भारत के छोटे कारोबार में पूंजी की कमी है। इंटरनैशनल फाइनैंस कॉरपोरेशन के 2018 के एक अध्ययन के मुताबिक, साल 2017 उनकी इक्विटी मांग का महज 2.4 फीसदी ही पूरा हो पाया था। शेयर बाजारों में एसएमई खंड ने इस साल नवंबर तक 4,090.5 करोड़ रुपये जुटाई, जो साल 2012 के बाद से सर्वाधिक है। इनमें से करीब 3,829 करोड़ रुपये नई पूंजी थी जो बाहर निकलने वाले शेयरधारकों की बजाय कंपनी के पास गई। यह भी एक रिकॉर्ड है।
शेयर बाजार के माध्यम से जुटाई गई राशि में वृद्धि अभी भी छोटे व्यवसायों को अन्य जगहों से मिलने वाली रकम का महज एक हिस्सा है।
छोटे व्यवसायों के लिए रकम जुटाने का असर देश के विनिर्माण प्रोत्साहन पर पड़ता है। साल 2021-22 में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) ने देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 29.2 फीसदी और विनिर्माण में 40.8 फीसदी का योगदान दिया था। आईएफसी रिपोर्ट के अनुसार, सेवा कंपनियों के पास मशीन और विनिर्माताओं की अन्य आवश्यकताओं पर किसी तरह का आवर्ती खर्च नहीं है। विनिर्माण कंपनियां सर्वाधिक आवर्ती खर्च करती हैं।
एसएमई आईपीओ की तेजी को अभी बरकरार रहना होगा, अगर यह सुनिश्चित करना है कि भारत के भावी अरबपति रकम जुटाने के लिए शेयर बाजार का रुख उसी आसानी से कर सकें, जिस तरह अभी वे अपने रिश्तेदारों का रुख करते हैं।