आस्था के आधार पर निवेश का अच्छा फल मिला है निवेशकों को। पिछले दिनों जब बाजार में निवेशकों की अरबों की संपत्ति साफ हो गई ऐसे में इस्लामी सिध्दांतों और उसूलों के आधार पर चलने वाला शरिया इंडेक्स बाकी इंडेक्सों की तुलना में कम गिरा है।
शरिया इंडेक्स में उन कंपनियों के स्टॉक्स नहीं शामिल किए जाते जिनके कारोबार इस्लाम में अनुचित माने जाते हैं।इस साल फरवरी से एस ऐंड पी सीएनएक्स निफ्टी बेंचमार्क इंडेक्स सात फीसदी से ज्यादा गिरा जबकि एस ऐंड पी सीएनएक्स निफ्टी शरिया इस दौरान केवल चार फीसदी गिरा।
इसी तरह इस दौरान सीएनएक्स 500 इंडेक्स 10.15 फीसदी गिरा है जबकि सीएनएक्स 500 शरिया इंडेक्स केवल 7 फीसदी गिरा है। इस दौरान पारसोली इस्लामिक इक्विटी इंडेक्स ने सबसे बेहतर प्रदर्शन किया जो इस मंदी में भी केवल 2 फीसदी ही गिरा।
पारसोली कार्पोरेशन के एमडी जाफर सरेशवाला के मुताबिक हमारा एक्सपोजर यानी निवेश बैंकों और फाइनेंशियल इंस्टिटयूशंस में नहीं है, जिन पर मंदी की सबसे ज्यादा मार पड़ी है, लिहाजा हमें उतना नुकसान नहीं हुआ है। यहां तक कि ब्रोकिंग फर्मों में भी हमारा एक्सपोजर नहीं है। इन फर्मों की कमाई मार्जिन ट्रेडिंग और एफ ऐंड ओ में कारोबार से होती है और ये कारोबार शरिया कानून या कहा जाए सिध्दांतों के अनुकूल नहीं है।
पारसोली इक्विटी इंडेक्स उन कंपनियों को भी अपने इंडेक्स से बाहर कर देता है जिनका डेट और मार्केट कैप का अनुपात 33 फीसदी या उससे ज्यादा है। ऐसे ही जिन कंपनियों का एकाउंट रिसेवेबल कुल असेट से भाग देने पर 45 फीसदी या उससे ज्यादा बैठता है उन्हें भी इंडेक्स में शामिल नहीं किया जाता।
सरेशवाला के मुताबिक फिलहाल हमारे पास 13,000 क्लायंट हैं और हर महीने ये काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे मंदी के माहौल में भी हमें ज्यादा दिक्कत नहीं हो रही है, दरअसल निवेशकों में इस्लामी सिध्दांतों के आधार पर निवेश करने में बहुत दिलचस्पी है।
केवल इस्लामी निवेशक ही नहीं, आस्था के आधार पर निवेश दूसरे निवेशकों में भी लोकप्रिय हो रहा है। उनके मुताबिक उनके 25 फीसदी क्लायंट गैर इस्लामी हैं। कई संस्थाएं भी अब इस सच्चाई को समझ रही हैं और उन्होने आस्था के आधार पर निवेश के लिए काफी गुंजाइश बनाई है।