चीन में कोविड संबंधी बंदिशों में ढील और पिछले हफ्ते वॉल स्ट्रीट में बढ़त से आज दुनिया भर के बाजारों में शानदार तेजी दर्ज की गई। एशियाई बाजारों में बढ़त से संकेत लेते हुए बेंचमार्क सेंसेक्स भी 1,041 अंक या 1.9 फीसदी चढ़कर 55,926 पर बंद हुआ। निफ्टी 309 अंक या 1.9 फीसदी उछलकर सत्र के अंत में 16,661 पर बंद हुआ। दोनों सूचकांक पिछले तीन कारोबारी सत्रों के दौरान 4 फीसदी से अधिक चढ़ चुके हैं। हाल की बढ़त से बाजारों को मासिक गिरावट केवल 2 फीसदी पर लाने में मदद मिली है। इस महीने एक समय बाजार 8 फीसदी तक लुढ़क गए थे।
चीन में कोविड संक्रमण पर काबू होने के शीर्ष अधिकारियों के बयानों के बाद वहां आवागमन पर लगी बंंदिशों में रविवार को ढील दी गई। शांघाई के वाइस मेयर वू चिंग ने भी कहा कि सरकार ने कंपनियों को दोबारा परिचालन शुरू करने और आर्थिक सुधार तेज करने की योजना बनाने में मदद के लिए बंदिशों में ढील देने की योजना बनाई है।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट्ट ने कहा, ‘चीन दुनिया का आपूर्तिकर्ता है और भारत समेत ज्यादातर देशों का महत्त्वपूर्ण कारोबारी साझेदार है। इन बंदिशों में ढील से बाजारों में कुछ रौनक आई है।’
विदेशी निवेशकों ने आज 502 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे, जबकि देसी निवेशकों ने 1,524 करोड़ रुपये का निवेश किया। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक शुक्रवार तक 42,274 करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाल थे, जो इस साल उनकी सबसे अधिक मासिक बिकवाली है। विश्लेषकों ने कहा कि कारोबारी यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि एफपीआई भारी बकिवाली बंद करने जा रहे हैं या नहीं क्योंकि निवेशक पिटे हुए शेयरों की लिवाली कर रहे हैं। हालांकि ब्याज दर में बढ़ोतरी और यूक्रेन में युद्ध से बढ़ती खाद्य कीमतों के कारण निवेशक चिंतित हैं। विश्लेषकों ने कहा कि शायद संस्थागत निवेशकों के पोर्टफोलियो को दोबारा थोड़ा संतुलित करने से भी रुझान सुधरा है। एसऐंडपी 500 पिछले सप्ताह 6.5 फीसदी चढ़ गया, जो नवंबर 2020 के बाद उसकी सबसे बड़ी साप्ताहिक बढ़त है। अमेरिका में पिछले सप्ताह जारी मुद्रास्फीति समायोजित उपभोक्ता खर्च का आंकड़ा 0.7 फीसदी चढ़ा है, जो तीन महीनों में सबसे अधिक है। मुद्रास्फीति में नरमी से भी रुझान सुधरा है। इससे निवेेशकों में उम्मीद जगी है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व मौद्रिक सख्ती को लेकर कम आक्रामकता बरतेगा। भट्ट ने कहा, ‘यहां तक कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी भी शायद उतनी जरूरी नहीं होगी, जितनी शुरुआत में मानी जा रही थी। इसकी वजह यह है कि जब लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की गई थी, उसकी तुलना में अब शायद अर्थव्यवस्था बेहतर स्थिति में है।’
चीन में लॉकडाउन में ढील और रूस से कच्चे तेल के आयात पर रोक की यूरोपीय संघ की योजना से कच्चे तेल के दाम बढ़कर 120 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गए। केरल में मॉनसून समय से पहले पहुंचने से फसलें अच्छी रहने की उम्मीद जगी है। इसका भी बाजार में रुझान पर असर पड़ा है। भट्ट ने कहा कि बाजारों को बड़ी बेसब्री से सकारात्मक खबरों का इंतजार था। पिछले सप्ताह की खबरों ने कुछ सकारात्मक संकेत दिए, जिनसे बाजार में कुछ तेजी आई।