वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतें रिकार्ड ऊंचाई पर पहुंचने का असर देश की सभी सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों पर पड़ा है।
कल भारी गिरावट के बाद उनके शेयरों में आज मामूली बढ़ोतरी हुई। कल उनके भाव 52 सप्ताह के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए थे। मंगलवार के कारोबार में इन सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों में ओएनजीसी को छोड़ सभी की स्थिति में थोड़ा ही परिवर्तन हुआ।
ओएनजीसी का शेयर जो सोमवार को 7.02 फीसदी गिरा था। आज भी 41.75 रुपये की भारी गिरावट के साथ 831.25 पर बंद हुआ। एचपीसीएल का शेयर 3 रुपये चढ़कर 196 रुपये पर बंद हुआ, वहीं बीपीसीएल के शेयर में 6.24 रुपये की बढ़ोतरी हुई और यह 284.64 रुपये पर पहुंच गया। इसी तरह आईओसी के शेयरों में 3.55 रुपये का इजाफा हुआ और यह 363 से 366.55 रुपये पर पहुंच गए।
कल बंबई शेयर बाजार (बीएसई) में सोमवार को हिंदुस्तान पेट्रोलियम (एचपीसीएल), भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन (बीपीसीएल) और इंडियन ऑयल कार्पोरेशन के शेयर 52 हफ्तों में सबसे निचले स्तर पर थे। एसबीआई म्युच्युअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी संजय सिन्हा ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र की तेल मार्केटिंग कंपनियों में गिरावट का यह दौर आगे भी जारी रहेगा।
शुक्रवार को तेल के दाम 10 डॉलर बढ़े और इसके दाम 139 डॉलर प्रति बैरल के अपने रिकार्ड स्तर पर पहुंच गए। इसके बाद तो निवेशकों के लिए इन सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों के शेयरों पर विचार करना भी मुश्किल हो गया जो तेल की कीमतों के 100 डॉलर तक पहुंचने बाद पिछले दो माह से इनसे खासी दूरी बना रहे हैं सिन्हा ने बताया कि पेट्रोल की कीमतों में हुई वृध्दि हमेशा स्थिर नहीं रहने वाली और इसका सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों के घाटे से कोई संबंध नहीं है।
सरकार को सचमुच अगर इसकी चिंता है तो उसे तुरंत कठोर, असरदार और पारदर्शी कदम उठाने चाहिए। पेट्रोल और डीजल पर शुल्क 7.5 फीसदी से घटाकर 2.5 फीसदी कर दिया गया है। दूसरे पेट्रोलियम पदार्थों पर यह शुल्क 10 से घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया है।