अमेरिकी ट्रेडिंग फर्म जेन स्ट्रीट ने बुधवार को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के खिलाफ एक मुकदमा दायर किया है। जेन स्ट्रीट का कहना है कि बाजार में हेरफेर (market manipulation) के आरोपों का बचाव करने के लिए उसे जरूरी दस्तावेजों तक पहुंच नहीं दी गई है।
रॉयटर्स द्वारा देखी गई फाइलिंग्स के मुताबिक, सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) में दायर मुकदमे में कंपनी ने ट्रिब्यूनल से मांग की है कि सेबी को इन दस्तावेजों को साझा करने का निर्देश दिया जाए, जिन्हें नियामक खुद ही आरोपों को खारिज करने के लिए जरूरी बता रहा है।
जेन स्ट्रीट ने अपनी अपील में कहा, “ये दस्तावेज निस्संदेह प्रासंगिक हैं।”
सेबी ने 3 जुलाई को जारी अंतरिम आदेश में जेन स्ट्रीट पर निफ्टी बैंक इंडेक्स (Nifty Bank index) में हेरफेर करने का आरोप लगाया था और उसे भारत में ट्रेडिंग करने से रोक दिया था।
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सेबी के अनुसार, कंपनी ने दो चरणों वाली रणनीति अपनाई थी—
जेन स्ट्रीट ने सेबी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि उसकी गतिविधियां सामान्य ‘इंडेक्स आर्बिट्राज’ का हिस्सा थीं। यह एक ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी है, जिसका मकसद अलग-अलग बाजारों में कीमतों के अंतर का फायदा उठाकर लिक्विडिटी और एफिशिएंसी बढ़ाना होता है।
आदेश आने के कुछ दिनों बाद कर्मचारियों को भेजे गए एक आंतरिक नोट में कंपनी ने सेबी की जांच को “मूल रूप से गलत” बताया।
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जेन स्ट्रीट पर से बैन 18 जुलाई को हटा लिया गया, जब जेन स्ट्रीट ने एक एस्क्रो खाते में ₹4,843 करोड़ जमा करा दिए। यही वह राशि थी, जिसे सेबी ने विवादित सौदों से कंपनी का मुनाफा बताया था।
हालांकि बैन हट चुका है, लेकिन कंपनी ने अब तक इंडेक्स ऑप्शंस में ट्रेडिंग दोबारा शुरू नहीं की है और वह अभी भी एडजुडीकेशन प्रोसीडिंग्स का सामना कर रही है, जो छह से आठ महीने तक खिंच सकती हैं।
शुरुआत में जेन स्ट्रीट को आदेश पर जवाब देने के लिए 21 दिन का समय दिया गया था, लेकिन वह 26 जुलाई की डेडलाइन चूक गई। दो दिन बाद कंपनी ने अपने बचाव की तैयारी के लिए अतिरिक्त छह सप्ताह का समय मांगा।