छोटे निवेशकों की भागीदारी स्मॉलकैप कंपनियों में पिछले कुछ वर्षों के मुकाबले तेजी से बढ़ी है और इसमें इस क्षेत्र पर केंद्रित म्युचुअल फंड (MF) योजनाओं में बढ़ती लोकप्रियता का अहम योगदान रहा है।
कैपिटालाइन के आंकड़े से पता चलता है कि NSE के निफ्टी स्मॉलकैप 250 सूचकांक में फंडों का औसत निवेश पिछले दो वित्त वर्षों में 7.67 प्रतिशत से बढ़कर 8.67 प्रतिशत पर पहुंच गया है। वहीं 20 प्रतिशत से ज्यादा एमएफ निवेश भागीदारी वाली कंपनियों की संख्या 15 से बढ़कर 24 हो गई।
मई के अंत में, सर्वाधिक MF होल्डिंग्स वाली टॉप-5 स्मॉलकैप कंपनियां थीं कार्बोरंडम यूनिवर्सल, ब्लू स्टार, सायंट, गुजरात स्टेट पेट्रोनेट और चोलामंडलम फाइनैंस।
मार्च 2023 के अंत में, कार्बोरंडम यूनिवर्सल में म्युचुअल फंडों की मार्च 2021 के अंत में 25 प्रतिशत से थी जो मई के अंत में बढ़कर 27 प्रतिशत हो गई। इसी तरह, ब्लू स्टार में उनकी निवेश भागीदारी दो वर्षीय अवधि के दौरान 20 से बढ़कर 24 प्रतिशत हो गई।
वर्ष 2021-22 और 2022-23 में, MF निवेशकों ने सक्रिय स्मॉलकैप फंडों में 32,220 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया और मासिक आधार पर निवेश में तेजी दर्ज की गई। इस वित्त वर्ष (2023-24) में अब तक वृद्धि की रफ्तार बरकरार रही है और निवेशकों ने मई में 3,280 करोड़ रुपये का बड़ा निवेश किया है। इसके परिणामस्वरूप, पिछले दो साल में सक्रिय स्मॉलकैप योजनाओं की कुल प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां (AUM) 79 प्रतिशत बढ़कर मई 2023 के आखिर में 1.5 लाख करोड़ रुपये पर दर्ज की गईं।
MF अधिकारियों और वितरकों का मानना है कि स्मॉलकैप फंडों के लिए बढ़ते आकर्षण को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि दीर्घावधि के दौरान यह श्रेणी शानदार प्रदर्शक के तौर पर उभरेगी और निवेशक इस क्षेत्र को मिडकैप और लार्जकैप के मुकाबले बेहतर मान रहे हैं।
वैल्यू रिसर्च के आंकड़े से पता चलता है कि औसत तौर पर, स्मॉलकैप फंडों ने 10 साल में 21.3 प्रतिशत की सालाना प्रतिफल दिया है, जबकि लार्जकैप के लिए यह 13.4 प्रतिशत रहा।
हालांकि इसे लेकर कुछ चिंताएं हैं कि फंड मैनेजरों को स्मॉलकैप कंपनियों में पूंजी प्रवाह लगातार बढ़ने पर सही मूल्यांकन पर सही कंपनियां तलाशने में चुनौती का सामना करना पड़ेगा।
इस समस्या की वजह से, SBI MF ने अपने स्मॉलकैप फंड में एकमुश्त निवेश समाप्त कर दिया और SIP निवेश पर 25,000 रुपये की सीमा तय कर दी।
मौजूदा समय में, चार योजनाएं 10,000 करोड़ रुपये और 10 योजनाएं 5,000 करोड़ रुपये से अधिक AUM का प्रबंधन कर रही हैं।
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फंड्सइंडिया के उपाध्यक्ष एवं शोध प्रमुख अरुण कुमार का कहना है, ‘भले ही अभी चिंता करने के कोई कारण नजर नहीं आ रहे हैं, लेकिन स्मॉलकैप एमएफ क्षेत्र के बढ़ते आकार के साथ कुछ जोखिम बढ़े हैं। निवेशकों को उस समय समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जब बड़े आकार की बिकवाली होगी। आकार की समस्या कुछ खास योजनाओं तक सीमित है, और इसलिए संपूर्ण श्रेणी स्तर पर, हमें चिंता की कोई वजह नहीं दिख रही है।’
स्मॉलकैप शेयरों में तेजी की वजह से निफ्टी स्मॉलकैप 100 का पीई अनुपात मार्च के अंत के 17 गुना से बढ़कर 21 गुना तक पहुंचा है। ब्लूमबर्ग के आंकड़े से पता चलता है कि यह अभी भी निफ्टी-50 (23 गुना) और निफ्टी मिडकैप 100 (24 गुना) के लिए मूल्यांकन की तुलना में कम है।
पिछले तीन कैलेंडर महीनों (जून समेत) में, यह सूचकांक हरेक महीने में 5 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा।
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कोटक एमएफ के वरिष्ठ कार्यकारी उपाध्यक्ष (वी-पी) पंकज टिबरेवाल का कहना है, ‘हम कोष का इस्तेमाल करने में सक्षम रहे हैं, क्योंकि निवेश दायरा काफी व्यापक है। यदि आप बॉटम-अप नजरिया अपनाते हैं तो अवसर बने हुए हैं। अल्पावधि में, बढ़ते मूल्यांकन की वजह से हम कुछ हद तक सतर्क हैं। सबसे महत्वपूर्ण है सही शेयर का चयन करना और गलतियों से बचना। आय के मुकाबले, प्रवर्तक की मजबूती के साथ साथ कंपनी की बैलेंस शीट और नकदी प्रवाह भी महत्वपूर्ण है।’
‘बॉटम-अप’ दृष्टिकोण में, फंड प्रबंधक खास विशेषताओं और वृहद कारकों के बजाय खास शेयरों की बारीकियों पर ज्यादा जोर देता है।
DSP MF में वी-पी (निवेश) रेशम जैन का कहना है, ‘इस निवेश प्रवाह में तेजी से मौजूदा बाजार में कोई बड़ी समस्या नहीं दिख रही है, क्योंकि मूल्यांकन ताजा तेजी के बावजूद उचित स्तर पर दिख रहा है। इसके अलावा, कॉरपोरेट आय वृद्धि उपयुक्त लग रही है, और मुद्रास्फीति में नरमी के साथ आगामी वर्ष में मुनाफा मार्जिन सकारात्मक रहने की संभावना है।’
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विश्लेषकों का कहना है कि मूल्यांकन इतना ज्यादा ऊंचा नहीं है कि यह स्मॉलकैप क्षेत्र के लिहाज से प्रतिकूल हो, इसलिए निवेशकों को सही बाजार पूंजीकरण (mcap) संतुलन के लिए अपने पोर्टफोलियो पर ध्यान देना चाहिए।
एक म्युचुअल फंड हाउस के वरिष्ठ अधिकारी का मानना है, ‘निवेशक लार्ज-कैप में बिकवाली कर रहे हैं और स्मॉलकैप खरीद रहे हैं। यह चिंता का विषय है। प्रतिफल के पीछे भागना समस्या नहीं है, लेकिन निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में निवेश बदलाव करने से पहले संबंधित जोखिमों को समझना चाहिए। मेरा मानना है कि ज्यादातर निवेशक ऐसा नहीं करते हैं।’