भारतीय इक्विटी बेंचमार्क में सोमवार को बढ़त दर्ज हुई क्योंकि अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल के नरम होने और चीन में सामान्य आर्थिक बढ़त के लक्ष्य से महंगाई और ब्याज दरों में बढ़ोतरी को लेकर चिंता कम हुई। अदाणी समूह के शेयरों में बढ़ोतरी से भी सेंटिमेंट में मजबूती आई।
सेंसेक्स 415 अंक यानी 0.7 फीसदी चढ़कर 60,224 पर बंद हुआ। दो कारोबारी सत्र में सेंसेक्स 1,315 अंक यानी 2.23 फीसदी चढ़ चुका है और इस तरह से 21 फरवरी, 2023 के बाद फिर से 60,000 के पार निकल गया है। निफ्टी ने 117 अंकों की बढ़त के साथ 17,711 पर कारोबार की समाप्ति की।
10 वर्षीय अमेरिकी ट्रेजरी प्रतिफल नरम होकर 3.91 फीसदी पर आने के बीच वैश्विक बाजारों में भी बढ़ोतरी दर्ज हुई। पिछले हफ्ते 10 वर्षीय ट्रेजरी प्रतिफल चार महीने में पहली बार 4 फीसदी के पार निकल गया था, जिससे आशंका पैदा हो गई थी कि ब्याज दरें लंबे समय तक ऊंची बनी रहेगी। इससे यह कयास भी लगाया जाने लगा कि फेडरल रिजर्व की उच्च नीतिगत दर 5.5 फीसदी से लेकर 6 फीसदी तक होगी।
निवेशक यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या प्रतिफल में और गिरावट आएगी। चीन के कम महत्वाकांक्षी बढ़त लक्ष्य ने दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के दोबारा खुलने को लेकर चिंता कम हुई, जो महंगाई में हो रही बढ़त में योगदान कर रहा है।
चीन ने साल के लिए आर्थिक बढ़त का लक्ष्य 5 फीसदी तय किया है और इस तरह से किसी बड़े प्रोत्साहन कदम से दूर रहा है। पिछले साल बढ़त का लक्ष्य चूकने से चीन का नेतृत्व को चौकस कर दिया है। चीन के रियल एस्टेट बाजार में समस्या और कोविड की पाबंदी ने चीन से मांग पर असर डाला था।
चीन का सुस्त बढ़त परिदृश्य केंद्रीय बैंकरों के लिए शायद वरदान जैसा हो सकता है, जो महंगाई से लड़ने की कोशिश कर रहे हैं और यह दरों में बढ़ोतरी के बाद भी कम नहीं हो रहा है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के खुदरा शोध प्रमुख दीपक जसानी ने कहा, सोमवार को वैश्विक शेयर बाजार स्थिर रहे क्योंकि निवेशकों ने 2023 के लिए चीन की तरफ से तय आर्थिक बढ़त के लक्ष्य से पड़ने वाले असर का आकलन किया।
बढ़ते प्रतिफल के अलावा अमेरिका में रोजगार व उपभोग के मजबूत आंकड़े और यूरोप के महंगाई के आंकड़ों ने इस कयास को बल दिया है कि प्रमुख केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में ज्यादा इजाफा करेंगे। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अधिकारियों के हालिया हफ्तों का यह बयान कि 2 फीसदी महंगाई लक्ष्य हासिल होने तक ब्याज दरें ऊंची बनी रहेगी, इससे भी डर में इजाफा हुआ था।
कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी शोध प्रमुख (खुदरा) श्रीकांत चौहान ने कहा, राहत भरी तेजी लगातार दूसरे कारोबारी सत्र मे जारी रही, जिसे ऊर्जा शेयरों मसलन बिजली, तेल व गैस आदि में बढ़त से सहारा मिला और सेंसेक्स को 60,000 अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर से ऊपर जाने में मदद मिली।
आने वाले समय में निवेशकों की नजर अमेरिकी फेडरल रिजर्व के प्रमुख जीरोम पॉवेल के बयान पर होगी, जिससे आगे का संकेत मिलेगा।
बाजार में चढ़ने व गिरने वाले शेयरों का अनुपात मजबूत था और 2,099 शेयर चढ़े जबकि 1,470 में गिरावट आई। सेंसेक्स के 80 फीसदी शेयरों में बढ़ोतरी दर्ज हुई। इन्फोसिस 1.8 फीसदी चढ़ा और सेंसेक्स की बढ़त में इसका योगदान सबसे ज्यादा रहा।