SEBI vs Jane Street: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की अमेरिकी ट्रेडिंग कंपनी जेन स्ट्रीट (Jane Street) पर जांच का दायरा और बढ़ गया है। अब इसमें और अधिक स्ट्रैटेजीज और इंडेक्स शामिल हो गए हैं। शुरुआती रिपोर्ट से पता चला है कि कथित बाजार में हेरफेर (market manipulation) का दायरा पहले सोचे गए स्तर से कहीं ज्यादा हो सकता है।
सूत्रों ने बताया कि जुलाई में SEBI के अंतरिम आदेश के बाद जांचकर्ताओं ने अब अधिक सिक्योरिटीज और टाइमफ्रेम का विश्लेषण शुरू किया है। शुरुआती जांच में नए संदिग्ध ट्रेडिंग पैटर्न सामने आए हैं, जो बड़े स्तर पर हेरफेर की संभावना को उजागर करते हैं।
सूत्रों ने बताया कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की एक पूर्व रिपोर्ट, जिसे जेन स्ट्रीट ने सिक्योरिटीज अपीलट ट्रिब्यूनल (SAT) के समक्ष अपनी अपील में “क्लीन चिट” बताया है, में ट्रेडिंग के शुरुआती घंटे के दौरान केवल कुछ ही शेयरों में हुए कारोबार की जांच की गई थी।
इस मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा, “सेबी ने काफी व्यापक जांच की है, और इसके निष्कर्ष अंतरिम आदेश में सामने आए मामलों से कहीं अधिक विस्तृत हैं। बड़ी मात्रा में डेटा की समीक्षा की जा रही है, और अन्य इंडेक्स को भी इसी तरह की जांच के दायरे में लाया जा रहा है।”
जेन स्ट्रीट के मिनट-दर-मिनट कारोबार को सबसे पहले एक गहन समीक्षा में पकड़ा गया था, जिसके परिणामस्वरूप जुलाई में सेबी का आदेश आया। अंतिम आदेश बाद में आने की उम्मीद है। एक सूत्र ने पुष्टि की, एनएसई की नवंबर 2024 की रिपोर्ट में सुबह 9:15 से 10:15 बजे के बीच केवल तीन शेयरों में कारोबार की समीक्षा की गई थी।
फरवरी 2025 में अधिक व्यापक आकलन किया गया जिसमें एक शेयर वाले वायदा एवं विकल्प (एफऐंडओ), नकद खंड और सूचकांक डेरिवेटिव में पूरे बाजार के सौदों को शामिल किया गया।
जुलाई के आदेश में सेबी ने नोट किया कि साप्ताहिक इंडेक्स ऑप्शन की एक्सपायरी के आसपास असामान्य उतार-चढ़ाव देखा गया, जिसमें कुछ इकाइयां लगातार नकद-समतुल्य एफऐंडओ में बड़ी पोजीशन रख रही थीं, खासकर एक्सपायरी के दिनों में। इस कारण नियामक ने जेन स्ट्रीट के सौदों की विस्तार से जांच करने के लिए एक टीम बनाई।
हालांकि शुरुआती जांच बैंक निफ्टी पर केंद्रित थी क्योंकि वहां ट्रेडिंग वॉल्यूम ज्यादा था। लेकिन सूत्रों ने बताया कि अब जांच का दायरा सेंसेक्स और अन्य सूचकांकों तक बढ़ा दिया गया है। इस बारे में जानकारी के लिए सेबी और जेन स्ट्रीट को ईमेल के जरिये भेजे गए सवालों का जवाब खबर लिखे जाने तक नहीं मिला।
इस बीच, सैट में अपनी अपील में जेन स्ट्रीट ने सेबी और एनएसई के बीच पत्राचार के साथ-साथ नियामक के एक विभाग द्वारा पूर्व निगरानी रिपोर्ट का खुलासा करने की मांग की है। उसने तर्क दिया है कि ये रिपोर्ट उसके बचाव के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। पिछले हफ्ते, न्यायमूर्ति पीएस दिनेश कुमार की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय सैट पीठ ने सेबी को तीन हफ्ते के भीतर यह बताने का निर्देश दिया कि कुछ दस्तावेज क्यों साझा नहीं किए जा सकते। अगली सुनवाई 18 नवंबर को है। सेबी ने न्यायाधिकरण को बताया है कि उसने एनएसई रिपोर्ट के अलावा 10 गीगाबाइट डेटा पहले ही उपलब्ध करा दिया है।
कानूनी विशेषज्ञों ने आगाह किया कि पूर्ण डिस्क्लोजर से चुनौतियों पैदा हो सकती है क्योंकि सेबी को चल रही जांचों, प्रतिपक्षों, दलालों और तृतीय पक्षों के नामों की गोपनीयता रखनी होगी। नियामक ने सैट को यह भी बताया कि यूएई के एक हेज फंड मैनेजर द्वारा दर्ज शिकायत उसके जुलाई आदेश को लेकर प्रासंगिक नहीं है। हालांकि वह बाद में शिकायत में उल्लिखित रणनीतियों की समीक्षा कर सकता है।