बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इंडसइंड बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक और सीईओ सुमंत कठपालिया और पूर्व डिप्टी सीईओ अरुण खुराना सहित 5 वरिष्ठ अधिकारियों से 19.87 करोड़ रुपये जब्त करने का आज निर्देश दिया। इन अधिकारियों पर भेदिया कारोबार नियमों के उल्लंघन का आरोप है। सेबी ने इन अधिकारियों सहित तीन अन्य को अगले आदेश तक प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शेयरों की खरीद-बिक्री करने से रोक दिया है।
एकपक्षीय अंतरिम आदेश में बाजार नियामक ने खुराना के 14.39 करोड़ रुपये जब्त करने और कठपालिया को 5.2 करोड़ रुपये लौटाने का निर्देश दिया है। इंडसइंड बैंक के डेरिवेटिव पोर्टफोलियो खाते में गड़बड़ी की जानकारी होने के बावजूद अधिकारियों द्वारा शेयर बेचे गए और नुकसान से बचा गया। ऐसे में नियामक ने बचाए गए कुल नुकसान के आधार पर यह राशि वसूलने का आदेश दिया है।
सेबी की जांच में पता चला कि खुराना ने 3.48 लाख शेयर और कठपालिया ने 1.25 लाख शेयर ऐसे समय में बेचे जब उनके पास मूल्य संबंधी संवेदनशील अप्रकाशित जानकारी थी। इस जानकारी के सार्वजनिक होने पर इंडसइंड बैंक का शेयर 27 फीसदी टूट गया था।
सेबी ने कहा कि इसका कोई प्रमाण नहीं मिला कि गड़बड़ी से संबंधित जानकारी सामान्य तौर पर पहले से सार्वजनिक थी। इसके अलावा सेबी अन्य संदिग्धों से संबंधित भेदिया करोबार और खुलासा नियमों के उल्लंघनों की भी विस्तृत जांच कर रहा है जिसके शीघ्र पूरी होने की उम्मीद है।
स्टॉक एक्सचेंजों ने इसकी पुष्टि की कि वित्त वर्ष 2024 और 2025 के लिए इंडसइंड बैंक के अधिकारियों द्वारा कोई ट्रेडिंग योजना जमा नहीं कराई गई थी। भेदिया कारोबार नियमों के तहत मूल्य संबंधी संवेदनशील अप्रकाशित जानकारी होने पर शेयरों की खरीद-बिक्री की योजना की पहले से जानकारी देनी होती है।
सेबी ने पाया कि इंडसइंड बैंक के मुख्य वित्त अधिकारी द्वारा नवंबर 2023 में विसंगतियों को चिह्नित किया गया था। नियामक ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 10 मार्च के खुलासे से पहले विसंगतियों को दूर करने और उसकी जानकारी देने में चूक की गई। सेबी इन गड़बड़ियों का खुलासा करने में चूक करने की जांच कर रहा है।
सेबी के पूर्णकालिक सदस्य कमलेश वार्ष्णेय ने कहा, ‘कंपनी के अंदर का व्यक्ति होते हुए और मूल्य संबंधी संवेदनशील अप्रकाशित जानकारी रहते हुए भेदिया कारोबार गतिविधियों में लिप्त होना भोले-भाले निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करने और उनके हितों को खतरे में डालने के समान है।’
सेबी ने स्पष्ट किया कि उसने 10 मार्च को स्वतः संज्ञान लेकर जांच शुरू की थी और उसने अपनी जांच बंद नहीं की है जबकि कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया था कि सेबी ने जांच बंद कर दी है। इंडसइंड बैंक ने खुलासा किया कि डेरिवेटिव पोर्टफोलियो के अकाउंट बैलेंस में विसंगतियों का दिसंबर 2024 तक बैंक की नेटवर्थ पर 1,529 करोड़ रुपये या 2.35 फीसदी का असर पड़ा।
हालांकि यह खुलासा मार्च में किया गया था लेकिन सत्यापन के बाद केपीएमजी द्वारा भेजे गए ईमेल में दिसंबर 2023 तक गड़बड़ियों के कारण 2,093 करोड़ रुपये का नकारात्मक प्रभाव पड़ने की बात कही गई थी। सेबी की जांच से पता चला कि इंडसइंड न केवल इन गड़बड़ियों पर नजर रख रहा था बल्कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को भी इसकी जानकारी देने का विचार कर रहा था।