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अगली पॉलिसी में RBI सस्ता कर सकता है कर्ज! एनॉलिस्ट का अनुमान- आगे 25-75 bps घट सकती हैं ब्याज दरें

एनॉलिस्ट मान रहे हैं कि घरेलू ग्रोथ, महंगाई की स्थिति और ग्लोबल हालात को देखते हुए आगे मौद्रिक नरमी (monetary easing) की उम्मीद की जा रही है

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आशुतोष ओझा   
Last Updated- October 01, 2025 | 6:36 PM IST

ट्रंप टैरिफ, ग्लोबल अनि​श्चितताओं को देखते हुए रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने अक्टूबर समीक्षा में रीपो रेट में कोई कटौती नहीं की। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को पॉलिसी जारी करते हुए रीपो रेट को 5.5 फीसदी पर बरकरार रखा और पॉलिसी रुख को ‘न्यूट्रल’ बनाए रखा है। साथ ही गवर्नर ने चालू वित्त वर्ष (FY26) के लिए जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को 6.5 फीसदी से बढ़ाकर 6.8 फीसदी किया। महंगाई दर का अनुमान भी 3.1 फीसदी से घटाकर 2.6 फीसदी कर दिया है। उनका कहना है कि जीएसटी सुधारों का महंगाई और जीडीपी ग्रोथ पर सकारात्मक असर होगा। वहीं, एनॉलिस्ट मान रहे हैं कि घरेलू ग्रोथ, महंगाई की स्थिति और ग्लोबल हालात को देखते हुए मौद्रिक नरमी (monetary easing) की उम्मीद की जा रही है। यानी, आगे की पॉलिसी समीक्षा में रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती का फैसला कर सकता है।

आगे 25-75 bps घट सकती हैं ब्याज दरें?

नुवामा रिसर्च का मानना है कि घरेलू ग्रोथ, महंगाई और ग्लोबल हालातों को देखते हुए मौद्रिक नरमी (monetary easing) की उम्मीद की जा रही है। ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को जल्द ही फिर से ब्याज दरों में कटौती शुरू करनी चाहिए। कैपिटल फ्लो में उतार-चढ़ाव ने RBI को सतर्क किया होगा, लेकिन अब रेट कटौती की रफ्तार और उसकी मात्रा दोनों अहम होंगी। इसके साथ ही, रुपये में गिरावट को भी RBI को सकारात्मक रूप से लेना चाहिए क्योंकि यह टैरिफ के असर को कम करने का सबसे प्रभावी उपाय है। नुवामा रिसर्च ने अनुमान जताया कि मौजूदा साइकिल में रिजर्व बैंक 50–75 बेसिस प्वाइंट (bps) की और कटौती कर सकता है।

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श्रीराम वेल्थ लिमिटेड के सीईओ एंड प्रोडक्ट हेड नवल कागलवाला का कहना है, आरबीआई गवर्नर ने माना कि बाहरी चुनौतियां, खासकर टैरिफ और ट्रेड पॉलिसियों को लेकर अनिश्चितताएं हैं। रुपये की हाल की गिरावट पर भी चिंता जताई गई और जरूरी कदम उठाने का आश्वासन दिया गया। लि​क्विडिटी की स्थिति में सुधार, सरकारी नकदी बैलेंस का ड्रॉडाउन और आने वाले CRR कटौती से सिस्टम को अतिरिक्त सहारा मिलने की संभावना है।

उनका कहना है कि पॉलिसी ऐलान के बाद बॉन्ड मार्केट (G-sec) यील्ड्स में बढ़त दर्ज की गई। साथ ही OIS सेगमेंट में भी हलचल दिखी क्योंकि बाजार के एक हिस्से को पॉलिसी इजिंग की उम्मीद थी। हालांकि, अभी पॉलिसी इजिंग को लेकर कोई ठोस रोडमैप नहीं दिया गया। फिर भी, बयान ने संकेत दिया कि मौजूदा मैक्रोइकोनॉमिक परिस्थितियां ग्रोथ को आगे बढ़ाने के लिए पॉलिसी स्पेस उपलब्ध कराती हैं, जिससे आने वाली बैठकों में ब्याज दरों में राहत की संभावना है।

कोटक महिंद्रा एएमसी के हेड-फिक्स्ड इनकम अभिषेक बिसेन के मुताबिक, गवर्नर ने संकेत दिया कि जीएसटी कटौती से महंगाई घटने और विकास दर उम्मीद से कम रहने के चलते मौद्रिक नरमी की गुंजाइश है। एमपीसी घरेलू विकास पर जीएसटी रेशनलाइजेशन के असर और वैश्विक परिस्थितियों पर नजर बनाए रखना चाहती है। बाजार ने इस पॉलिसी को न्यूट्रल से डोविश के बीच माना है। बिसेन ने उम्मीद जताई कि अगली एमपीसी बैठक में आरबीआई पॉलिसी रेट्स में 25 बेसिस प्वॉइंट की कटौती कर सकता है।

PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड के हेड-फिक्स्ड इनकम पुनीत पाल का कहना है, आज की MPC बैठक में पॉलिसी दरों को यथावत रखा गया, लेकिन पॉलिसी रुख डोविश (Dovish) रहा। दो MPC सदस्यों ने पॉलिसी स्टांस को ‘अकोमोडेटिव’ करने का समर्थन किया। MPC बयान में कहा गया कि ‘वर्तमान मैक्रोइकॉनॉमिक हालात और आउटलुक ने विकास को और समर्थन देने के लिए पॉलिसी स्पेस खोल दिया है।’

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उनका कहना है, पॉलिसी के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में RBI गवर्नर ने बॉन्ड यील्ड को कम रखने की इच्छा जताई। ऐसे में हमारा मानना है कि MPC दिसंबर में पॉलिसी रेट्स में कटौती करेगा और उम्मीद है कि 10 साल का बेंचमार्क गवर्नमेंट सिक्योरिटी यील्ड 6.40% से 6.70% के रेंज में ट्रेड करेगा।

व्हाइटओक कैपिटल एमएफ के सीनियर फंड मैनेजर पीयूष बरनवाल ने कहा, RBI गवर्नर ने हाल के महीनों में महंगाई में तेज गिरावट और आगामी तिमाहियों में भी अपेक्षाओं से कम महंगाई को ध्यान में रखा। जबकि वैश्विक व्यापार अनिश्चितताओं से ग्रोथ को लेकर पैदा हुए जोखिम की चेतावनी भी दी। अमेरिका में फेडरल रिजर्व पहले ही सितंबर में दरें घटा चुका है और संभवतः आगे भी कटौती करेगा। RBI फेड के ट्रेंड को फॉलो कर सकता है। लेकिन फिलहाल रिजर्व बैंक की नजर पहले की गई मौद्रिक कटौती और हाल की GST घोषणाओं का कितना असर होता है, इस पर है।

बरनवाल कहते हैं, दिलचस्प यह है कि दो MPC सदस्यों ने रीपो रेट को ​स्थिर रखने के लिए वोट करने के बावजूद पॉलिसी रूख ‘अकोमोडेटिव’ का समर्थन किया, जो हमारे अनुमान के अनुरूप है। ऐसे में आने वाले महीनों में एक या दो और दर कटौती की संभावना है। उम्मीद है कि दिसंबर की पॉलिसी से ब्याज दरों में कटौती की शुरुआत हो सकती है।

L&T फाइनैंस के एमडी एंड CEO सुदिप्ता रॉय का कहना है कि आज की MPC ऐलान में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करना उम्मीद के अनुरूप है। ग्लोबल चुनौतियों के बावजूद RBI की ओर से चालू वित्त वर्ष के लिए विकास दर के अनुमान को बढ़ाना भी घरेलू अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाता है।

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मौद्रिक समीक्षा की खास बातें:

  • रीपो रेट 5.5% पर बरकरार
  • FY26 के लिए GDP ग्रोथ अनुमान 6.5% से बढ़ाकर 6.8% किया
  • FY26 के लिए महंगाई दर का अनुमान 3.1% से घटाकर 2.6% किया
  • नो-फ्रिल्स (No-frills) खाताधारक अब डिजिटल बैंकिंग सुविधा का लाभ फ्री में उठा सकेंगे
  • बैंकों के लिए संशोधित बेसल-3 पूंजी पर्याप्तता मानदंड 1 अप्रैल, 2027 से प्रभावी होंगे
  • RBI बैंकों को अधिग्रहणों के फंडिंग के लिए रूपरेखा उपलब्ध कराएगा।
  • RBI ने शेयरों के बदले लोन देने की सीमा 20 लाख रुपये से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव रखा
  • IPO फंडिंग के लिए लोन सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये प्रति व्यक्ति की जाएगी
  • बैंक भूटान, नेपाल और श्रीलंका के प्रवासी नागरिकों को सीमा पार व्यापार के लिए रुपये में लोन देंगे
First Published : October 1, 2025 | 5:13 PM IST