रिजर्व बैंक गवर्नर संजय मल्होत्रा (फाइल फोटो)
RBI MPC Decision: रिजर्व बैंक गवर्नर संजय मल्होत्रा (RBI Governor Sanjay Malhotra) ने बुधवार (1 अक्टूबर) को मौद्रिक नीति का ऐलान किया। आरबीआई गवर्नर ने बताया कि समिति ने सर्वसम्मति से ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है और रीपो रेट को 5.5 फीसदी पर बरकरार रखा है। आरबीआई के इस फैसले के बाद फेस्टिव सीजन में कर्ज सस्ता होने की उम्मीद लगाए लोगों को निराशा हुई है।
केंद्रीय बैंक ने आखिरी बार जून 2025 में रीपो रेट (Repo Rate) में 0.50 फीसदी की कटौती की थी। लेकिन अगस्त में इसे नहीं बदला गया था। हालांकि, इस साल ब्याज दरों में अब तक कुल 1 फीसदी की कटौती हो चुकी है।
गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, ”मौद्रिक नीति समिति ने सर्वसम्मति से नीतिगत ब्याज दर रेपो रेट को को 5.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय किया है।” आरबीआई गवर्नर ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने मौद्रिक नीति रुख को ‘Neutral’ बनाए रखने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि आर्थिक ग्रोथ की संभावनाएं मजबूत बनी हुई हैं। इसका श्रेय अनुकूल मानसून, घटती महंगाई और मौद्रिक ढील को जाता है।
बता दें, रीपो रेट वो ब्याज दर है, जिस पर कमर्शियल बैंक RBI से पैसा उधार लेते हैं। इसे ‘रीपो’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये अक्सर ‘रिपर्चेज एग्रीमेंट’ (Repurchase Agreement) के अंतर्गत होता है। रीपो रेट में बदलाव का फैसला MPC देश की मौजूदा आर्थिक हालातों जैसेकि महंगाई दर, जीडीपी ग्रोथ, लि क्विडिटी की स्थिति और वै श्विक परिस्थितियां, के आधार पर लेती है।
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट के अनुमान को बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। जबकि पहले यह अनुमान 6.5 प्रतिशत था। वहीं, चालू वित्त वर्ष के लिए रिटेल महंगाई का अनुमान घटाकर 2.6 प्रतिशत कर दिया गया है, जो पहले 3.1 प्रतिशत अनुमानित था। यह लगातार दूसरी बार है जब रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है और उसे पहले की तरह यथावत रखा गया है।
रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को पैसा उधार देता है। रीपो रेट बढ़ने पर बैंकों के ऋण महंगे हो जाते हैं, जिससे होम लोन, कार लोन या पर्सनल लोन की ईएमआई बढ़ जाती है। वहीं, दरें घटने पर उधारी सस्ती हो सकती है, लेकिन फिक्स्ड डिपॉजिट और बचत पर ब्याज घट सकता है।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि कमजोर बाहरी मांग के बावजूद भारत की आर्थिक वृद्धि का आउटलुक घरेलू कारकों के चलते मजबूत नजर आ रहा है। उन्होंने कहा, “हाई फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स बताते हैं कि आर्थिक गतिविधियां अब भी मजबूत बनी हुई हैं। ग्रामीण मांग अच्छी मॉनसून और कृषि गतिविधियों के सहारे मजबूत बनी हुई है, जबकि शहरी मांग धीरे-धीरे सुधार के संकेत दिखा रही है।” मल्होत्रा ने आगे कहा कि महंगाई में कमी, मौद्रिक सहजता (Monetary Easing) और GST सुधारों से आर्थिक गतिविधियों को और समर्थन मिलेगा।
हालांकि उन्होंने यह भी माना कि ग्रोथ अभी भी केंद्रीय बैंक की उम्मीदों से नीचे है। उन्होंने कहा कि “भले ही ग्रोथ अनुमान को ऊपर की ओर संशोधित किया गया है, लेकिन Q3 और उसके बाद के लिए आगे के अनुमान पहले से थोड़े कम रहेंगे। इसका प्रमुख कारण टैरिफ से जुड़ी नीतिगत चुनौतियां हैं, हालांकि GST दरों के युक्तिकरण से मिली राहत आंशिक रूप से इस असर को संतुलित करेगी।”
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि बीते कुछ महीनों में महंगाई और भी नरम हुई है। इसी कारण मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने FY26 के लिए कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित महंगाई का अनुमान 3.1% से घटाकर 2.6% कर दिया है। उन्होंने कहा कि इस साल और FY27 की पहली तिमाही में कोर महंगाई भी नियंत्रित रहने की उम्मीद है।
मल्होत्रा ने बताया कि महंगाई में यह गिरावट मुख्य रूप से फूड इन्फ्लेशन में कमी और GST कटौती की वजह से आई है। उन्होंने कहा कि अगस्त में जो अनुमान लगाया गया था, उसके मुकाबले अब महंगाई का असर और हल्का रहने की संभावना है। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि कुछ विकसित अर्थव्यवस्थाओं में महंगाई अब भी उनके लक्ष्य से ऊपर है, जिससे वहां के केंद्रीय बैंकों के लिए ग्रोथ और महंगाई के बीच संतुलन साधना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
बता दें, ज्यादातर अर्थशास्त्रियों ने उम्मीद जताई थी कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) यथास्थिति बनाए रखेगा। हालांकि कुछ को कटौती की संभावना भी दिख रही थी। बिजनेस स्टैंडर्ड के एक सर्वे में अधिकांश अर्थशास्त्रियों ने यथास्थिति का अनुमान लगाया था। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों (जैसे भारतीय स्टेट बैंक) का अनुमान था कि समिति नीतिगत दर में 25 आधार अंकों (bps) की और कटौती कर सकती है। (एक आधार अंक यानी 0.01 percentage point होता है।)