भारत के टेक्नोलॉजी सेक्टर में नौकरी की मांग लगातार धीमी बनी हुई है। स्पेशलिस्ट स्टाफिंग कंपनी Xpheno की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में जितनी नौकरियों की मांग है, उसमें अब केवल 48 प्रतिशत हिस्सा टेक सेक्टर का है। यह पिछले तीन साल से 50 प्रतिशत से कम है। वहीं, गैर-टेक सेक्टर ने 52 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ सबसे अधिक मांग बनाए रखी है। हालिया समय में यह सिलसिला अक्टूबर 2022 में शुरू हुआ था, जब गैर-टेक सेक्टर ने टेक सेक्टर से यह सबसे बड़ा हिस्सा संभाला था।
रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर 2025 में टेक सेक्टर में नौकरी की मांग सितंबर की तुलना में 3 प्रतिशत बढ़ी है। हालांकि, साल दर साल तुलना में टेक हायरिंग में गिरावट जारी है। अक्टूबर 2025 की मांग अक्टूबर 2024 की तुलना में 27 प्रतिशत कम रही। पिछले चार महीनों से टेक सेक्टर में खुली नौकरियों की संख्या बहुत धीरे-धीरे बढ़ रही है।
Also Read: UPI ट्रांजेक्शन पर कोई फीस नहीं, EMI चूकने पर फोन डिजिटल तरीके से हो सकता है लॉक!
अक्टूबर 2025 में टेक सेक्टर में नई नौकरियों या अपडेट की गई नौकरियों की “फ्रेशनेस इंडेक्स” 43 प्रतिशत रही, यानी कुल नौकरियों में से लगभग आधी ही हाल के दो हफ्तों में प्रकाशित या अपडेट हुई थीं। इसके मुकाबले सितंबर 2025 में यह इंडेक्स 37 प्रतिशत और पिछले साल इसी समय 45 प्रतिशत था। महीने-दर-महीने फ्रेशनेस में यह बढ़ोतरी इसलिए आई क्योंकि क्वार्टर के अंत में कंपनियों ने पुरानी रिक्तियों की समीक्षा की और नई हायरिंग योजनाओं को अपडेट किया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आईटी सर्विस कंपनियों में अब 42,000 नौकरियों की मांग है। यह पिछले महीने से 2 प्रतिशत कम है और पिछले साल अक्टूबर 2024 की तुलना में 24 प्रतिशत कम हो गई है। इसका कारण दुनिया भर में तकनीक पर खर्च कम होना और अमेरिका जैसे बड़े बाजारों में समस्याएं हैं, जिससे भारत की आईटी कंपनियां दबाव में हैं।
वहीं, GCC (Gulf Cooperation Council) देशों से आने वाली सक्रिय टेक टैलेंट की मांग 11,000 रही, जो कुल मांग का 10 प्रतिशत है। यह पिछले महीने की तुलना में 11 प्रतिशत कम रही, जबकि साल दर साल मांग में 2 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि तकनीकी और इंजीनियरिंग क्षेत्रों में सबसे ज्यादा नौकरियों की मांग है, जो कुल मांग का 57 प्रतिशत है। लेकिन इस क्षेत्र में रिक्तियों की संख्या पिछले महीने की तुलना में 2 प्रतिशत और पिछले साल की तुलना में 25 प्रतिशत कम हुई है। कुल मिलाकर, भारत के तकनीकी सेक्टर में हायरिंग का रुझान अभी भी धीमा है और वैश्विक बाजार की चुनौतियों की वजह से जल्द सुधार की उम्मीद मुश्किल दिख रही है।